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भारतीय जीनोम डेटा के लिए भारतीय जैविक डेटा केंद्र पोर्टल का शुभारंभ

Utkarsh Classes Last Updated 10-01-2025
Indian Biological Data Centre Portals launched for  Indian genome data Science and Technology 5 min read

जीनोमइंडिया परियोजना के तहत 10,000 पूरे जीनोम नमूनों को सफलतापूर्वक डिकोड कर भारत जीनोमिक आंकड़ों के मामले में  भारत आत्मनिर्भर हो गया है। भारत और विदेश में शोधकर्ताओं के लिए इन जीनोम आंकड़ों को सुलभ बनाने के लिए भारत सरकार ने एक समर्पित भारतीय जैविक डेटा केंद्र (आईबीडीसी) पोर्टल का शुभारंभ  किया है। 

इस पोर्टल का शुभारंभ ,9 जनवरी 2025 को नई दिल्ली में आयोजित जीनोम इंडिया डेटा सम्मेलन में किया गया। भारतीय जैविक डेटा केंद्र भारत में जीवन विज्ञान आंकड़ों के लिए पहला राष्ट्रीय भंडार है।

आईबीडीसी पोर्टल का उद्घाटन किसने किया? 

भारतीय जैविक डेटा केंद्र (आईबीडीसी) पोर्टल का उद्घाटन केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में किया। 

मंत्री ने केंद्र सरकार के ‘डेटा प्रोटोकॉल के आदान-प्रदान के लिए रूपरेखा’ का भी अनावरण किया, जो जीनोम आंकड़ों तक पहुँचने के लिए भारत और विदेश में शोधकर्ताओं के लिए दिशा-निर्देशों का एक रूपरेखा निर्धारित करता है। 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जीनोमइंडिया परियोजना के तहत 10 मिलियन जीनोम अनुक्रमण के भविष्य के लक्ष्य की भी घोषणा की।

आईबीडीसी पोर्टल का रखरखाव कौन करता है?

  • ‘भारतीय जैविक डेटा केंद्र (आईबीडीसी)’ भारत में सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अनुसंधान से उत्पन्न सभी जीवन विज्ञान केआंकड़ों का संग्रह रखता है।
  • डेटा सेंटर जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के अधीन है। 
  • डेटा सेंटर की स्थापना राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के सहयोग से डीबीटी के जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्रीय केंद्र, फरीदाबाद, हरियाणा में की गई है।

जीनोमइंडिया क्या है?

जीनोमइंडिया परियोजना को जनवरी 2020 में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू किया गया था। इस परियोजना में देश भर के 20 राष्ट्रीय संस्थान भाग ले रहे हैं।

परियोजना का उद्देश्य

  • जीनोमइंडिया परियोजना का प्रारंभिक उद्देश्य देश भर की आबादी के विविध वर्गों से स्वस्थ भारतीय व्यक्तियों के 10,000 जीनोम को अनुक्रमित करना था।
  • नया उद्देश्य- देश भर में स्वस्थ भारतीयों के 10 मिलियन (एक करोड़)जीनोम को अनुक्रमित करना है।

जीनोम परियोजना के संभावित लाभ

जीनोम परियोजनाओं के कई संभावित लाभ हैं।

आणविक चिकित्सा में उन्नति

  • यह जैव चिकित्सा अनुसंधान और नैदानिक ​​चिकित्सा में क्रांति ल सकता है ।
  • यह किसी व्यक्ति की आनुवंशिक संरचना का अध्ययन करके रोग के मूल कारण का पता लगाने में वैज्ञानिकों की मदद करेगा।
  • रोग के उपचार के लिए नई प्रकार की दवाएँ और इम्यूनोथेरेपी तकनीक विकसित की जा सकती हैं।
  • अंग दाताओं और प्राप्तकर्ता के मिलान में सहायता

ऊर्जा और पर्यावरण में उन्नति

  • यह जैव ईंधन जैसे नए ऊर्जा स्रोतों को बनाने के लिए माइक्रोबियल जीनोमिक्स अनुसंधान को आगे बढ़ाएगा।
  • प्रदूषकों का पता लगाने के लिए पर्यावरण निगरानी तकनीकों का विकास करने में मदद मिलेगा।

जैव पुरातत्व, नृविज्ञान, विकास और मानव प्रवास

  • यह मानव विकास के अध्ययन को आगे बढ़ाएगा ।
  • यह किसी व्यक्ति की वंशावली का पता लगाने में मदद करेगा। 

डीएनए फोरेंसिक (पहचान)

  • डीएनए मिलान के माध्यम से आपराधिक जांच और अपराधियों की पहचान में सहायता मिलेगी।
  • पितृत्व और अन्य पारिवारिक संबंध स्थापित करने में मदद।
  • वन्यजीव अधिकारियों की सहायता के रूप में लुप्तप्राय और संरक्षित प्रजातियों की पहचान करने में (ताकि शिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए इससे इस्तेमाल किया जा सके)।

कृषि, पशुधन प्रजनन और जैव प्रसंस्करण

  • यह रोग प्रतिरोधी, सूखा प्रतिरोधी फसल किस्मों को विकसित करने में मदद करेगा।
  • यह अधिक स्वस्थ, अधिक उत्पादक, रोग प्रतिरोधी जानवरों को विकसित करने में मदद करेगा।

जीनोम क्या है? 

जीनोम जीवों की कोशिका में पाए जाने वाले डीएनए निर्देशों का पूरा सेट है। 

मनुष्यों में जीनोम में कोशिका के नाभिक में स्थित 23 जोड़े गुणसूत्र होते हैं। 

जीनोम में किसी व्यक्ति के विकास और कार्य करने के लिए आवश्यक सभी जानकारी होती है।

FAQ

उत्तर: भारतीय जैविक डेटा केंद्र (आईबीडीसी) पोर्टल

उत्तर: केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह।

उत्तर: राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के सहयोग से क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र, फरीदाबाद, हरियाणा।

उत्तर: केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग

उत्तर: देश भर में स्वस्थ भारतीयों के 10 मिलियन या एक करोड़ जीनोम।

उत्तर: 9 जनवरी 2025 को नई दिल्ली।
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