भारत सरकार ने म्यांमार में भूकंप प्रभावित पीड़ितों की मदद के लिए ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू किया है। 28 मार्च 2025 को म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें कम से कम 1000 लोग मारे गए थे। अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण के अनुसार म्यांमार में 10,000 से ज़्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार के शासक सीनियर जनरल मिन आंग ह्लाइंग से बात की। पीएम मोदी ने इस चुनौतीपूर्ण समय में म्यांमार के साथ एकजुटता से खड़े रहने के लिए एक करीबी दोस्त और पड़ोसी के रूप में भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
भारत ने अपनी पड़ोसी प्रथम नीति और मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) प्रदान करने में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता होने की नीति के तहत ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू किया है।
भूकंप प्रभावित म्यांमार के लिए राहत सामग्री लेकर भारतीय वायुसेना के दो सी-130जे विमान उत्तर प्रदेश के हिंडन वायुसेना स्टेशन से रवाना हुए।
विमान में 15 टन तत्काल मानवीय सहायता की पहली खेप म्यांमार के यांगून हवाई अड्डे पर पहुंचाई गई। एक खोज और बचाव दल और एक चिकित्सा दल भी म्यांमार भेजा गया है।
राहत पैकेज में टेंट, कंबल, स्लीपिंग बैग, पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक्स, सीरिंज, दस्ताने और पट्टियाँ आदि जैसी महत्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्तियाँ शामिल हैं।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार म्यांमार और थाईलैंड में आए 7.7 तीव्रता वाले भूकंप का केंद्र म्यांमार के मांडले शहर से 17.2 किलोमीटर दूर था।
भूगर्भशास्त्री के अनुसार भूकंप से निकली ऊर्जा 334 परमाणु बमों के बराबर थी।
भूकंप के कारण म्यांमार के पांच शहरों और कस्बों में इमारतें ढह गईं, यांगून-मांडले एक्सप्रेसवे पर एक रेलवे पुल और एक सड़क पुल भी ढह गया।
भूकंप के कारण इरावदी नदी पर बना अवा पुल भी नष्ट हो गया।
थाईलैंड के बैंकॉक में निर्माणाधीन इमारत के ढहने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई है और 100 लोग मलबे में दबे होने की आशंका हैं।
म्यांमार में भूकंप उस समय आया है जब देश कई चुनौतियां का सामना कर रहा है।
भूकंप तब आता है जब पृथ्वी की प्लेटें आपस में टकराती हैं। पृथ्वी के लिथोस्फीयर में 7 प्रमुख प्लेटें होती हैं और वे ऊपरी मेंटल की पिघली हुई सतह जिसे एस्थोनोस्फीयर कहा जाता है, पर तैरती हैं।
जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो ऊर्जा तरंगें निकलती हैं जो पृथ्वी की सतह पर कंपन पैदा करती हैं जिसे भूकंप के रूप में जाना जाता है।
पृथ्वी की सतह के नीचे वह स्थान जहाँ भूकंप की उत्पत्ति होती है उसे हाइपोसेंटर या अवकेन्द्र कहते हैं और पृथ्वी की सतह पर उसके ठीक ऊपर स्थित स्थान को एपिसेंटर या अधिकेंद्र कहते हैं।
भूकंप को सीस्मोग्राफ नामक उपकरणों द्वारा रिकॉर्ड किया जाता है। वे जो रिकॉर्डिंग करते हैं उसे सीस्मोग्राम कहते हैं।
भूकंप को रिक्टर और मर्कली स्केल पर मापा जाता है।
रिक्टर स्केल भूकंप की तरंगों की ताकत (परिमाण) को मापता है जबकि मर्कली स्केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता (लोगों/संरचना पर प्रभाव) को मापता है।
रिक्टर स्केल 0 से 9 तक होता है।