27 नवंबर 2024 को भारत सरकार ने बाल विवाह की सामाजिक बुराई को मिटाने के लिए देश में 'बाल विवाह मुक्त भारत' अभियान की शुरुआत की। सरकार ने अभियान को समर्थन देने के लिए 'बाल विवाह मुक्त भारत' पोर्टल का भी अनावरण किया।
यह अभियान केंद्रीय बाल एवं महिला विकास मंत्रालय की देखरेख में चलाया जाएगा। सरकार के अनुसार यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक देश से बाल विवाह की सामाजिक बुराई को खत्म नहीं कर दिया जाता।
अभियान देश के उन 130 जिलों पर केंद्रित होगा जहां बाल विवाह की घटनाएं बहुत अधिक हैं। अभियान में संबंधित केंद्र सरकार और राज्य सरकार के विभाग, जिलों के बाल विवाह निषेध अधिकारी, समाज के संगठन और मीडिया शामिल भी शामिल होंगे।
संसद ने बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 पारित किया है, ताकि बाल विवाह को प्रतिबंधित किया जा सके, पीड़ित को संरक्षण और राहत प्रदान की जा सके तथा ऐसे विवाह को बढ़ावा देने, या संपन्न कराने वालों को दंडित किया जा सके।
बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 ने बाल विवाह निरोधक अधिनियम, 1929 का स्थान लिया।
2006 अधिनियम के अनुसार, बाल विवाह से तात्पर्य उस विवाह से है, जिसमें दूल्हे (पुरुष) की आयु 21 वर्ष से कम हो और दुल्हन (लड़की) की आयु 18 वर्ष से कम हो।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 के अनुसार भारत में बाल विवाह की स्थिति इस प्रकार है:
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