केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के अनुसार, भारत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) के एमएमआर (मातृ मृत्यु दर) के लक्ष्य, प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 100 माताओं की मौत को हासिल कर लिया है।
4 मार्च 2025 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के मिशन संचालन समूह (एमएसजी) की 9वीं बैठक के दौरान मंत्री ने यह जानकारी दी।
इस बैठक में भारत सरकार के प्रमुख स्वस्थ्य कार्यक्रम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और केंद्र सरकार की अन्य स्वास्थ्य पहलों के प्रदर्शन की समीक्षा की गई।
एनएचएम के मिशन संचालन समूह की 9वीं बैठक के बारे में
एनएचएम का मिशन संचालन समूह देश में स्वास्थ्य पहलों और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के विकास के संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का सर्वोच्च नीति-निर्माण निकाय है।
बैठक में इस पहल के प्रदर्शन और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की स्थिति की भी समीक्षा की जाती है।
समूह में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय और इन मंत्रालयों के सचिव शामिल हैं।
एनएचएम के मिशन संचालन समूह की 9वीं बैठक में उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा जैसे उच्च फोकस वाले राज्यों के स्वास्थ्य सचिव भी शामिल हुए।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उपलब्धियाँ
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं।
एमएमआर और आईएमआर में कमी
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 द्वारा निर्धारित एमएमआर का लक्ष्य प्रति 1 लाख जीवित जन्मों पर 100 मृत्यु प्राप्त कर लिया गया है।
- 1990-2000 के दौरान देश में एमएमआर में 83% की कमी आई। इसी अवधि में विश्व में एमएमआर में 55% की कमी आई।
- 1990-2000 के दौरान शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में 69% की कमी आई, जबकि विश्व में यह दर 55% थी।
- 1990-2000 के दौरान 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 75% की कमी आई, जबकि वैश्विक स्तर पर यह 58% रही।
- 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) द्वारा निर्धारित प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 12 बच्चों की मौत का आईएमआर लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।
कुल प्रजनन दर में गिरावट
- कुल प्रजनन दर (टीएफ़आर) 1992-93 में 3.4 से घटकर 2019-21 में 2.0 हो गई है।
- देश के 31 राज्यों ने 2.1 का टीएफआर स्तर हासिल कर लिया है, जो स्थिर जनसंख्या वृद्धि को दर्शाता है।
- कुल प्रजनन दर से तात्पर्य एक महिला द्वारा अपने प्रजनन काल के दौरान जन्म दिए जाने वाले बच्चों की औसत संख्या से है।
- 2.1 का टीएफ़आर प्रतिस्थापन जनसंख्या स्तर माना जाता है।
- 2.1 से ऊपर का टीएफ़आर देश में जनसंख्या की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है, और 2.1 से कम का टीएफ़आर देश की जनसंख्या में गिरावट की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
जेब से व्यय
- 2004-05 में कुल स्वास्थ्य व्यय 69.4% से घटकर 2021-22 में 39.4% हो गया है।
- यह किसी व्यक्ति द्वारा अपनी आय से स्वास्थ्य पर खर्च किए गए धन को संदर्भित करता है।
- सरकारी स्वास्थ्य व्यय 2004-05 में कुल स्वास्थ्य व्यय के 22.5% से बढ़कर 2021-22 में 48% हो गया।
- इसका अर्थ है सरकार का स्वस्थ्य पर सार्वजनिक व्यय बढ़ रहा है।
भारत से रोगों का उन्मूलन
- मई 2015 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) ने भारत को मातृ एवं नवजात टेटनस से मुक्त प्रमाणित किया।
- अक्टूबर 2024 में, डबल्यूएचओ ने भारत को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रेकोमा से मुक्त प्रमाणित किया
- वर्ष 2023 में, भारत ने ब्लॉक स्तर पर प्रति दस हजार लोगों पर एक से भी कम कालाजार मामलों की वार्षिक घटनाओं को कम करके कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य हासिल किया।
अन्य उपलब्धियाँ
- 2014 की तुलना में 2023 में मलेरिया की घटनाओं में 79.3% की कमी।
- 2014 की तुलना में 2023 में मलेरिया से संबंधित मौतों में 85.2% की कमी।
- प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम अब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी 748 जिलों को कवर करता है।
- वर्तमान में, देश में 1.76 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर चालू हैं।
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