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​आईआईटी कानपुर ने देश को दिया हाइपर वेलोसिटी एक्सपेंशन टनल

Utkarsh Classes Last Updated 06-02-2024
IIT Kanpur gave Hyper Velocity Expansion Tunnel to the Country Science 4 min read

आईआईटी कानपुर ने देश की पहली हाइपर वेलोसिटी एक्सपेंशन टनल टेस्ट सुविधा का विकास कर सफल परीक्षण किया है। आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित इस तकनीकी सुविधा से हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को सटीक निशाना लगाने के लिए तैयार किया जा सकेगा। 

इसरो और डीआरडीओ के विभिन्न परियोजनाओं में उपयोग: 

  • गगनयान, आरएलवी के साथ ही इसरो और डीआरडीओ के विभिन्न अनुसंधान और परियोजनाओं में इसका उपयोग किया जाएगा। 
  • यह सुविधा अभी विश्व के कुछ देशों के पास ही है। 
  • आईआईटी कानपुर में स्थापित 24 मीटर लंबी टनल को जिगरथंडा (एस-2) कहा गया है। 

भारत की पहली हाइपर वेलोसिटी एक्सपेंशन टनल सुविधा: 

  • यह भारत की पहली हाइपर वेलोसिटी एक्सपेंशन टनल सुविधा है, जिसे संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर इब्राहिम सुगरनो और उनकी टीम ने तैयार किया है।
  • आईआईटी निदेशक एस गणेश के अनुसार, इसे संस्थान के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के हाइपरसोनिक एक्सपेरिमेंटल एयरोडायनामिक्स लैब में स्थापित किया गया है। 

हाइपर वेलोसिटी एक्सपेंशन टनल सुविधा किसकी मदद से हुआ तैयार?  

  • वैमानिकी अनुसंधान और विकास बोर्ड (एआरडीबी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और आईआईटी की मदद से तैयार किया गया है।
  • इसके स्वदेशी डिजाइन को तैयार करने में तीन वर्ष का समय लगा।

हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल को और गति देने में सहायक: 

  • इस परीक्षण सुविधा से भविष्य में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल या रॉकेट लॉन्चर व्हीकल को अधिक गति अवस्था में सटीक परिणाम देने के लिए तैयार किया जाना आसान होगा। 
  • यह एक ऐसी उपलब्धि है, जो हाइपर वेलोसिटी अनुसंधान के लिए नए मानक तैयार करने वाली है। भविष्य में अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में भारत की क्षमता का तीव्र विकास हो सकेगा। 

परीक्षण सुरंग में वायुमंडलीय स्थितियां: 

  • जिगरथंडा यानी एस-2 का निर्माण बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। 
  • परीक्षण के लिए तैयार सुरंग में 'फ्री पिस्टन ड्राइवर' प्रणाली को तैयार किया गया है। इसमें 20-35 एटीएम के वायुमंडल उच्च दबाव पर 150-200 मीटर प्रति सेकंड की गति से फायर करके उसे पूर्ण विराम अवस्था में बिना किसी गतिरोध के पहुंचाया जाता है। 
  • वायुमंडल में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल या गगनयान को इस स्थिति से गुजरना पड़ता है। इसलिए परीक्षण सुरंग में वैसी ही स्थितियां बनाई गई हैं।

हाइपरसोनिक स्थितियों का अध्ययन:  

  • इस परीक्षण सुविधा की मदद से रॉकेट लॉन्चर वाहनों के वायुमंडलीय प्रवेश, क्षुद्रग्रह प्रवेश, स्क्रैमजेट उड़ानों का अध्ययन किया जा सकेगा। साथ ही इसके द्वारा बैलिस्टिक मिसाइलों के दौरान आने वाली हाइपरसोनिक स्थितियों का अध्ययन किया जा सकेगा। इससे नए निष्कर्षों पर पहुंचना संभव होगा। 
  • सुरंग में 3-10 किमी प्रति सेकेंड के बीच उड़ान गति प्राप्त की जा सकती है। 
  • कोई विमान या मिसाइल किस तरह से हाइपरसोनिक गति से व्यवहार करता है, उसकी कौन सी डिजाइन किस तरह की प्रतिक्रिया करती है। इसका सफल परीक्षण सुरंग में किया जाएगा।

FAQ

उत्तर:- आईआईटी कानपुर

उत्तर:- हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का सटीक निशाना लगाने के लिए ।

उत्तर:- 24 मीटर।

उत्तर:- आईआईटी कानपुर में स्थापित 24 मीटर लंबी टनल को जिगरथंडा (एस-2) कहा गया है।
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