देश में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक घटक विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में भारत सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) नियमों को उदार बनाया है। भारत सरकार ने अब तक देश में सेमीकंडक्टर संयंत्र स्थापित करने के छह प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
हाल ही में, केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास एजेंसी में जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास संयुक्त रूप से एक सेमीकंडक्टर संयंत्र स्थापित करने के लिए ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन और भारत की एचसीएल के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
भारत सरकार द्वारा दिसंबर 2022 में सेमीकंडक्टर मिशन शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य भारत को दुनिया में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण का केंद्र बनाना है।
एसईजेड में किये गये परिवर्तन
- सेमीकंडक्टर या इलेक्ट्रॉनिक घटकों के विनिर्माण के लिए न्यूनतम सन्निहित भूमि क्षेत्र को 50 हेक्टेयर से घटाकर 10 हेक्टेयर कर दिया गया है।
- केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन अनुमोदन बोर्ड, अब एसईजेड भूमि को केंद्र या राज्य सरकार या उनकी अधिकृत एजेंसियों के पास बंधक या पट्टे पर दिए जाने के मामले में ऋण-मुक्त होने की शर्त में ढील दे सकता है।
- निःशुल्क आधार पर प्राप्त और आपूर्ति की गई वस्तुओं के मूल्य को शुद्ध विदेशी मुद्रा गणना में शामिल किया जाएगा तथा लागू सीमा शुल्क मूल्यांकन नियमों का उपयोग करके उसका मूल्यांकन किया जाएगा।
- ये इकाइयां लागू शुल्कों के भुगतान के बाद अपने उत्पादों को घरेलू टैरिफ क्षेत्र (भारत के भीतर) में बेच सकती हैं।
विशेष आर्थिक क्षेत्रों के बारे में
विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईज़ेड) की अवधारणा चीन से प्रेरित है।
यह भारत के भीतर एक विशेष क्षेत्र है जिसे विदेशी/घरेलू निवेश को आकर्षित करने और देश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया है।
सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के विकासकर्ताओं और विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) में स्थापित इकाइयों को कर एवं अन्य रियायतें प्रदान करती है।
1997-2002 की निर्यात आयात (ईएक्सआईएम) नीति ने भारत में एसईज़ेड की अवधारणा पेश की शुरुआत की।
इसे 1 अप्रैल 2000 से पूरे देश में लागू किया गया और कांडला, सांताक्रूज़, कोचीन और सूरत निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्रों (ईपीज़ेड) को एसईज़ेड में बदल दिया गया।
बाद में संसद ने 2005 में विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम बनाया और केंद्र सरकार ने एसईज़ेड अधिनियम 2005 और एसईज़ेड नियम 2006 को 10 फरवरी 2026 को अधिसूचित किया गया।
अनुमोदन बोर्ड की भूमिका
- केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन अनुमोदन बोर्ड देश में एसईजेड प्रस्तावों को मंजूरी देने वाला शीर्ष निकाय है।
- एसईजेड की स्थापना केंद्र सरकार, राज्य सरकार, निजी क्षेत्र या सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा संयुक्त रूप से की जा सकती है।
- कंपनियां इन स्वीकृत एसईजेड में अपनी इकाइयां स्थापित करती हैं।
व्यापार प्रयोजन के लिए विदेशी क्षेत्र
व्यापार प्रयोजनों के लिए एसईज़ेड को विदेशी क्षेत्र माना जाता है।
- एसईज़ेड में स्थित इकाइयों पर सीमा शुल्क अधिनियम 1962 लागू नहीं होता है और सभी आयात स्व-प्रमाणन पर आधारित होते हैं।
- व्यापार के लिए एसईज़ेड को देश के बाकी हिस्सों से अलग माना जाता है । देश के बाकी हिस्से को घरेलू टैरिफ क्षेत्र (डीटीए) कहा जाता है।
- इस प्रकार यदि एसईज़ेड में कोई इकाई घरेलू टैरिफ क्षेत्रों से माल और सेवाएँ खरीदती है तो इसे एसईज़ेड इकाई के लिए आयात माना जाता है।
- यदि एसईज़ेड इकाई घरेलू टैरिफ क्षेत्रों में कंपनियों को अपने माल और सेवाएँ बेचती है तो इसे एसईज़ेड इकाई के लिए यह निर्यात माना जाता है।
शुद्ध विदेशी मुद्रा अर्जक
- एसईजेड में स्थित इकाइयों को अपने संचालन के पांच साल के भीतर शुद्ध निर्यातक बनना होता है।
- ये इकाइयाँ डीटीए इकाइयों को सीमित मात्रा में माल और सेवाएँ बेच सकती हैं और इसे निर्यात के रूप में गिना जाता है।
एसईजेड के लिए भूमि क्षेत्र की आवश्यकता
- एसईजेड के लिए न्यूनतम सन्निहित भूमि क्षेत्र की आवश्यकता 50 हेक्टेयर है।
- अधिकतम भूमि क्षेत्र जिस पर एसईजेड स्थापित किया जा सकता है वह 5,000 हेक्टेयर है।
- सूचना प्रौद्योगिकी या सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाओं, बायोटेक या स्वास्थ्य (अस्पताल के अलावा) सेवा के लिए समर्पित एसईजेड के लिए कोई न्यूनतम भूमि क्षेत्र की आवश्यकता नहीं है।
- सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक घटक विनिर्माण के लिए एसईजेड के लिए न्यूनतम भूमि की आवश्यकता 10 हेक्टेयर है।
- असम, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, गोवा या केंद्र शासित प्रदेश में स्थापित किए जाने वाले एसईजेड के लिए न्यूनतम भूमि की आवश्यकता पच्चीस हेक्टेयर है।
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