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सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र की नई परिभाषा अधिसूचित की

Utkarsh Classes Last Updated 24-03-2025
Government notifies the new definition of  the MSME sector Economy 5 min read

केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्यमों (एमएसएमई) के लिए संशोधित वर्गीकरण मानदंड अधिसूचित किए हैं। संशोधित वर्गीकरण की घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने अपने 2025-26 के बजट भाषण में की। संशोधित वर्गीकरण मानदंड 1 अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले नए वित्तीय वर्ष से लागू होंगे। 

पिछली बार एमएसएमई के वर्गीकरण में संशोधन, 1 जुलाई 2020 से लागू किया गया था।

एमएसएमई का नया वर्गीकरण

सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम 2006, जो 2 अक्टूबर 2006 को लागू हुआ, भारत में एमएसएमई क्षेत्र को परिभाषित करता है।

शुरू में, एमएसएमई उद्यमों को विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में विभाजित किया गया था। 

लेकिन , एमएसएमईडी अधिनियम 2006 को संसद द्वारा 2020 में संशोधित किया गया और विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के उद्यमों के बीच के अंतर को समाप्त कर दिया गया।

वर्तमान में, एमएसएमई को  दोहरे मानदंडों - संयंत्र और मशीनरी में निवेश और उनके वार्षिक कारोबार के आधार परर परिभाषित किया जाता है।

सूक्ष्म उद्यम

  • संयंत्र और मशीनरी में निवेश- अधिकतम निवेश सीमा 2.5 करोड़ रुपये तक है (पहले यह 1 करोड़ रुपये थी)।
  • कारोबार सीमा - एक वित्तीय वर्ष में 10 करोड़ रुपये से अधिक नहीं (पहले यह 5 करोड़ रुपये थी)।

लघु उद्यम

  • संयंत्र और मशीनरी में निवेश- 2.5 करोड़ रुपये से अधिक और अधिकतम 25 करोड़ रुपये तक है (पहले यह 1 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये तक थी)।
  • कारोबार सीमा - एक वित्तीय वर्ष में 10 करोड़ रुपये से 100 करोड़ रुपये तक (पहले यह 5 करोड़ रुपये से 50 करोड़ रुपये तक थी)।

मध्यम उद्यम

  • कारोबार सीमा- 25 करोड़ से अधिक और 125 करोड़ रुपये तक है (पहले यह 25 करोड़ रुपये से अधिक और 50 करोड़ रुपये तक थी)।
  • कारोबार सीमा - एक वित्तीय वर्ष में 100 करोड़ रुपये से अधिक और 500 करोड़ रुपये तक (पहले यह 50 करोड़ रुपये से अधिक और 250 करोड़ रुपये तक थी)।

एमएसएमई क्षेत्र के लिए 2025-26 बजट घोषणा

वित्त मंत्री ने अपने 2025-26 बजट भाषण के दौरान एमएसएमई क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था के 6 इंजनों में से एक के रूप में पहचाना।

उन्होंने एमएसईएम क्षेत्रों के लिए कई पहलों की घोषणा की।

एमएसएमई क्षेत्रों के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएँ इस प्रकार हैं:

भारत की अर्थव्यवस्था में एमएसएमई का योगदान

  • देश में एक करोड़ पंजीकृत एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) हैं।
  • इसमें 7.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
  • विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई का योगदान 36% और देश के निर्यात में 45% है।

अन्य पहल

  • उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत सूक्ष्म उद्यमों के लिए क्रेडिट कार्ड योजना शुरू किए जाएंगे।
  • पहले वित्तीय वर्ष में 10 लाख कार्ड जारी किए जाएंगे।
  • क्रेडिट गारंटी कवर 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये किया गया।
  • स्टार्ट-अप के लिए गारंटी कवर 10 करोड़ रुपये से दोगुना होकर 20 करोड़ रुपये किया जाएगा।

पहली बार उद्यमियों के लिए योजना

  • सरकार पहली बार महिला उद्यमियों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति उद्यमियों के लिए एक नई स्टार्ट-अप योजना शुरू करेगी।
  • 5 लाख उद्यमियों को कवर किया जाएगा
  • एमएसएमई उद्यमियों के लिए अगले 5 वर्षों में 2 करोड़ रुपये तक  सावधि ऋण प्रदान किया जाएगा।

राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन 

  • सरकार की "मेक इन इंडिया' पहल को आगे बढ़ाने के लिए छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों पर केंद्रित कर राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन शुरू किया जाएगा।
  • इस मिशन के तहत ,मिशन क्लीन टेक शुरू किया जाएगा जो देश में विनिर्माण का समर्थन करेगा ताकि घरेलू मूल्य संवर्धन में सुधार किया जा सके और सौर पीवी सेल, ईवी बैटरी, मोटर और नियंत्रक, इलेक्ट्रोलाइज़र, पवन टर्बाइन आदि के लिए पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा सके।

महत्वपूर्ण फुल फॉर्म

एमएसएमई /MSME: माइक्रो स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (Micro Small and Medium Enterprises)

FAQ

उत्तर: एमएसएमईडी अधिनियम 2006 में अधिनियमित किया गया था और 2 अक्टूबर 2006 को लागू हुआ था।

उत्तर: संयंत्र और मशीनरी में उद्यम द्वारा अधिकतम निवेश सीमा 2.5 करोड़ रुपये तक होगी और एक वित्तीय वर्ष में कारोबार 10 करोड़ रुपये से अधिक नहीं।

उत्तर: संयंत्र और मशीनरी में उद्यम द्वारा निवेश सीमा 2.5 करोड़ रुपये से अधिक और अधिकतम 25 करोड़ रुपये तक होगी। एक वित्तीय वर्ष में कारोबार 10 करोड़ रुपये से अधिक और 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा नहीं।

उत्तर: संयंत्र और मशीनरी में उद्यम द्वारा निवेश की सीमा 25 करोड़ रुपये से अधिक और अधिकतम 125 करोड़ रुपये तक होगी। एक वित्तीय वर्ष में कारोबार 100 करोड़ रुपये से अधिक और 500 करोड़ रुपये से ज़्यादा नहीं।

उत्तर: 1 अप्रैल 2025 से
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