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पहला अंतरिक्ष अभ्यास 'अंतरिक्ष अभ्यास - 2024'

Utkarsh Classes Last Updated 12-11-2024
First Space Exercise  ‘Antariksha Abhyas – 2024’ Military exercise 6 min read

अंतरिक्ष-आधारित खतरों से निपटने और देश की अंतरिक्ष संपत्तियों की रक्षा के लिए भारत का पहला सैन्य अभ्यास, अंतरिक्ष अभ्यास 2024, 11 नवंबर 2024 को शुरू हुआ और 11 से 13 नवंबर 2024 तक आयोजित किया जाएगा। 

भारतीय अंतरिक्ष संपत्ति में मुख्य रूप से 100 से अधिक संचार, मौसम पूर्वानुमान, पृथ्वी अवलोकन, नेविगेशन, वैज्ञानिक अनुसंधान, रक्षा के लिए उपग्रह और वे रॉकेट शामिल हैं जिनके माध्यम से इन उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जाता है।

अन्तरिक्ष अभ्यास 2024 का आयोजन किसने किया है?

मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ  की रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी ने अंतरिक्ष अभ्यास 2024 का आयोजन किया है।

अन्तरिक्ष अभ्यास 2024 का उद्घाटन किसने किया?

अंतरिक्ष अभ्यास 2024 का उद्घाटन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए, जनरल अनिल चौहान ने अंतरिक्ष में स्थित देश के संपत्ति को सैन्य खतरों से रक्षा  करने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और  अन्य अकादमी के सहयोग से नए युग की प्रौद्योगिकियों और अत्याधुनिक प्रणालियों के नवाचारों और विकास को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। 

अन्तरिक्ष अभ्यास 2024 के प्रतिभागी और उद्देश्य

रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और उसकी संबद्ध इकाइयों- भारतीय सेना, वायु सेना और भारतीय नौसेना -के कार्मिक, मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ के तहत विशेषज्ञ शाखाएं जैसे रक्षा साइबर एजेंसी, रक्षा खुफिया एजेंसी और सामरिक बल कमान अभ्यास में भाग ले रहे हैं। 

इस अभ्यास में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के प्रतिनिधि भी भाग ले रहे हैं।

अभ्यास का उद्देश्य

इस अभ्यास का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष संपत्तियों, जैसे उपग्रहों, को शत्रुतापूर्ण ताकतों से होने वाले खतरों और उनकी सुरक्षा के लिए भारतीय बलों द्वारा की जाने वाली सुरक्षा का अनुकरण करना है।  

यह भारतीय अंतरिक्ष-आधारित संपत्तियों के नष्ट होने की स्थिति में काम करने के लिए भारतीय सैन्य क्षमताओं का भी परीक्षण करेगा। 

जवाबी रक्षा उपायों को स्थापित करने और दुश्मनों की अंतरिक्ष-आधारित संपत्तियों को नष्ट करने की भारतीय क्षमता का भी परीक्षण किया जाएगा।

भारत में एयरोस्पेस कमांड 

संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के पास अंतरिक्ष में युद्ध छेड़ने के लिए एक एकीकृत एयरोस्पेस कमांड है। भारत में सरकार एक ऐसी कमान स्थापित करने का प्रयास कर रही है, जिसमें सेना की तीनों अंग शामिल होंगी।

 

भारतीय अंतरिक्ष संपत्तियों पर खतरे से निपटने के लिए एक एयरोस्पेस कमांड की आवश्यकता की सिफारिश भारत सरकार द्वारा स्थापित नरेश चंद्र समिति द्वारा की गई थी। कारगिल समीक्षा समिति की सिफारिशों की समीक्षा के लिए नरेश चंद्र समिति की स्थापना की गई थी।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरोस्पेस कमांड की स्थापना की दिशा में पहले कदम के रूप में सितंबर 2018 में वायु सेना स्टेशन, जोधपुर में संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन के दौरान रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी की स्थापना को मंजूरी दी थी ।

इसके बाद, भारत सरकार ने 2019 में रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और रक्षा अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना की।

रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी एक त्रि-सेवा  कमांड है जो अंतरिक्ष में भारत की संपत्तियों और हितों की रक्षा के लिए रणनीति विकसित करने के जिम्मेदार है। यह अंतरिक्ष युद्ध, जिसमें एंटी-सैटेलाइट हथियार प्रणाली क्षमताओं और खुफिया उपग्रह शामिल हैं के लिए भी मुख्य संस्था है।

 

रक्षा अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ,क्षा अंतरिक्ष एजेंसी के तहत काम करता है। यह अंतरिक्ष युद्ध के लिए उपयुक्त हथियार प्रणालियों और संबंधित प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और नागरिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों को देश के रक्षा के लिए विकसित करने के लिए जिम्मेदार है।

मिशन शक्ति 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) ने युद्ध की स्थिति में दुश्मन देश की अंतरिक्ष-आधारित संपत्तियों-उपग्रहों को नष्ट करने के लिए मिशन शक्ति शुरू किया है।  

मिशन शक्ति के तहत पहला परीक्षण 27 मार्च 2019 को किया गया था, जब स्वदेशी रूप से विकसित मिसाइल प्रणाली ने अंतरिक्ष में एक उपग्रह को नष्ट कर दिया था। 

संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के साथ भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से एक है, जिसने इस क्षमता का प्रदर्शन किया है।

FAQ

उत्तर: भारतीय अंतरिक्ष संपत्तियों पर खतरों से निपटने के लिए भारत का पहला अंतरिक्ष अभ्यास जिसे 11-13 नवंबर 2024 तक आयोजित किया गया था।

उत्तर: जनरल अनिल चौहान, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ

उत्तर: मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ की रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी ने

उत्तर: 2019

उत्तर: नरेश चंद्र समिति (2011) जिसे भारत सरकार ने कारगिल समिति की सिफारिश की समीक्षा के लिए गठन किया था।

उत्तर: उपग्रहरोधी हथियार प्रणाली विकसित करना।
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