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पूर्व मुख्य न्यायधीश यूयू ललित बंगाल में वीसी की नियुक्ति समिति के प्रमुख होंगे

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
EX-CJI UU Lalit to Head the Committee on Appointment of VC in Bengal Supreme Court 5 min read

उच्चतम न्यायलाय ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित को पश्चिम बंगाल के सभी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति के लिए खोज और चयन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने 9 जुलाई 2024 को यह आदेश पारित किया।

दो न्यायाधीशों की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 138 के तहत पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर यह आदेश पारित किया।

राज्य सरकार की याचिका में कलकत्ता उच्च न्यायालय के 28 जून 2023 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य के राज्यपाल सी वी आनंद बोस द्वारा 13 राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति में कोई अवैधता नहीं थी। राज्यपाल, राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं।

छह सदस्यीय खोज एवं चयन समिति 

  • दो-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने पाया कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का कार्यालय और राज्य सरकार दोनों खोज और चयन समिति बनाने पर सहमत हुए हैं। पीठ ने दो सप्ताह के भीतर छह सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया है। 
  • समिति प्रत्येक राज्य संचालित विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में नियुक्त करने के लिए वर्णमाला क्रम में तीन नामों का एक पैनल तैयार करेगी। 
  • कुलपति पद के लिए अनुशंसित लोगों के नाम मुख्यमंत्री के समक्ष रखे जायेंगे। 
  • मुख्यमंत्री समिति द्वारा भेजे गए नामों को अस्वीकार कर सकती  हैं यदि उन्हें लगता है कि वे पद के लिए अनुपयुक्त हैं और वे  विश्वविद्यालय के कुलाधिपति (राज्य के राज्यपाल) को अन्य नाम सुझा सकतीं  हैं।
  • यदि कुलाधिपति मुख्यमंत्री  द्वारा सुझाये नाम से सहमत हैं, तो कुलाधिपति की मंजूरी के एक सप्ताह के भीतर उस व्यक्ति को कुलपति नियुक्त किया जाना चाहिए।
  • यदि राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति (राज्य के राज्यपाल) और मुख्यमंत्री किसी नाम पर असहमत हैं, तो उस व्यक्ति का नाम सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रखा जाएगा, जो इस मामले पर अंतिम प्राधिकारी होगा।

मामले की पृष्ठभूमि 

  •  2022 में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय संशोधन अधिनियम 2018 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के  दिशानिर्देशों के विपरीत पाया था और उस कानून को अवैध घोषित किया  था। 
  • अधिनियम के तहत की गई सभी कुलपति नियुक्तियों को अवैध ठहराया गया। इसके चलते राज्य में इस कानून के तहत कुलपतियों को इस्तीफा देना पड़ा।
  • राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के  दिशानिर्देशों का अनुपालन करने के लिए पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश 2019 जारी किया। 
  •  इसके बाद राज्य के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने अंतरिम कुलपति उम्मीदवारों के रूप में नियुक्ति के लिए राज्यपाल को 27 नाम सौंपे। 
  • राज्यपाल ने केवल दो नामों को स्वीकार किया और अन्य को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वे सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार थे और वे राज्य की शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर देंगे। 
  • राज्यपाल ने राज्य सरकार से परामर्श किए बिना 13 अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति भी कर दी । 
  • राज्य सरकार ने राज्यपाल के इस फैसले को कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी। 
  • उच्च न्यायालय ने अपने 28 जून 2023 के फैसले में अंतरिम कुलपति नियुक्त करने की राज्यपाल की शक्ति को बरकरार रखा। 
  • राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायलाय में चुनौती दी थी ,जिस पर आज फैसला आया। 

राज्यपाल ने क्यों किया इंकार? 

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच रिश्ते बेहद खराब हैं और दोनों के बीच हमेशा अनबन बनी रहती है।

 यहां तक ​​किउच्चतम न्यायलाय  ने भी शुरू में सुझाव दिया था कि गतिरोध को सुलझाने के लिए राज्यपाल को सीएम के साथ "एक कप कॉफी पर" बैठना चाहिए।

FAQ

उत्तर: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित।

उत्तर: न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित

उत्तर: सी.वी.आनंद बोस

उत्तर : ममता बनर्जी
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