सीएसआईआर - एनआईओ अध्ययन: माइक्रोप्लास्टिक मैदानी क्षेत्रों के लिए खतरा
Utkarsh ClassesLast Updated
07-02-2025
Science
6 min read
हाल ही में गोवा स्थित सीएसआईआर-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआईओ) द्वारा किए एक अध्ययन से पता चला कि ‘माइक्रोप्लास्टिक’ मैदानी क्षेत्रों के लिए खतरा है। यह अध्ययन गोवा स्थित सीएसआईआर-एनआईओ द्वारा गंगा व यमुना नदियों पर किए गए हैं।
'जर्नल आफ हैजर्डस मैटेरियल्स' में प्रकाशित हुआ शोध:
यह शोध गंगा और यमुना नदियों से ‘मैक्रो और माइक्रोप्लास्टिक का एक व्यापक मूल्यांकनः मौसमी, स्थानिक और जोखिम कारकों का अनावरण' शीर्षक से 'जर्नल आफ हैजर्डस मैटेरियल्स' में प्रकाशित हुआ है।
इस अध्ययन में यह बात सामने आई है कि माइक्रोप्लास्टिक में मौजूद ‘पॉलिमर’ सिंधु-गंगा के मैदानी भागों के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्षों को संबंधित नगर निगमों से भी साझा किया है। ताकि वह इन माइक्रोप्लास्टिक को विभिन्न जलस्रोतों तक पहुंचने से रोक सके। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने हर क्षेत्र के लिए अलग-अलग कार्ययोजना बनाने के सुझाव भी दिए हैं।
सीएसआईआर-एनआईओ के डा. महुआ साहा के नेतृत्व में हुआ शोध:
यह शोध कार्य सीएसआईआर-एनआईओ के प्रमुख विज्ञानी डॉ महुआ साहा के नेतृत्व में किए गए हैं। इस शोध के अनुसार, हरिद्वार से पटना तक गंगा में माइक्रोप्लास्टिक का पता चला।
शोध के मुख्य बिंदु:
इसमें शुष्क मौसम की तुलना में बारिश के दिनों में प्रदूषण की सांद्रता अधिक थी।
इसमें कहा गया है कि माइक्रोप्लास्टिक में उच्च जोखिम वाले पॉलिमर सिंधु-गंगा के मैदानी भागों के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक की सबसे अधिक प्रचुरता हरिद्वार में पाई गई और सबसे कम पटना में देखी गई।
माइक्रोप्लास्टिक में ऐसे गुण होते हैं, जो प्राकृतिक रूप से रेत के प्रवाह की तुलना में उसमें वृद्धि कर सकती है।
आगरा में सर्वाधिक माइक्रोप्लास्टिक का रिसाव:
शोधकर्ताओं ने जीआईएस अनुप्रयोगों व क्षेत्र सर्वेक्षणों का उपयोग कर प्लास्टिक रिसाव के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों की भी पहचान की।
गंगा व यमुना नदियों के सतही जल, जल स्तंभों व तलछट में माइक्रोप्लास्टिक की प्रचुरता गीले और सूखे मौसम के दौरान भिन्न होती है।
शुष्क मौसम के दौरान आगरा में माइक्रोप्लास्टिक की प्रचुरता सबसे अधिक थी, जबकि पटना व हरिद्वार में सबसे कम सांद्रता थी।
आगरा में सबसे अधिक प्लास्टिक रिसाव दर्ज किया गया, इसके बाद प्रयागराज, पटना और हरिद्वार का स्थान रहा।
यह देखा गया कि शुष्क मौसम में ऊपर के शहरों से नदी द्वारा अपशिष्ट लाया गया था व बाढ़ क्षेत्र में जमा किया गया था। ये अपशिष्ट बारिश में बह जाते हैं। बाद में ये माइक्रोप्लास्टिक छोटे टुकड़ों में विघटित होकर शहरी प्रवाह के माध्यम से निकटवर्ती नदी प्रणालियों में पहुंच गए होंगे।
माइक्रोप्लास्टिक के बारे में:
यह उपभोक्ता उत्पादों और औद्योगिक कचरे के निपटान और टूटने से पर्यावरण में मौजूद प्लास्टिक मलबे के बेहद छोटे-छोटे टुकड़े हैं। यह पांच मिलीमीटर से भी कम लंबे प्लास्टिक के छोटे टुकड़े होते हैं जो समुद्र और जलीय जीवन के लिए हानिकारक होते हैं।
सिंधु गंगा मैदानी भाग:
सिन्धु-गंगा के मैदानी भाग कोउत्तरी मैदानी क्षेत्र तथा उत्तर भारतीय नदी क्षेत्र भी कहा जाता है। यह एक विशाल एवं उपजाऊ मैदानी इलाका है। इसमें उत्तरी तथा पूर्वी भारत का अधिकांश भाग शामिल है। इस विशाल मैदान में पाकिस्तान के सर्वाधिक आबादी वाले भू-भाग, दक्षिणी नेपाल के कुछ भू-भाग तथा लगभग पूरा बांग्लादेश शामिल है।
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) के बारे में:
सीएसआईआर भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास संगठन है। यह एक अखिल भारतीय संस्थान है।
सीएसआईआर की स्थापना: सितंबर 1942
सीएसआईआर का मुख्यालय: नई दिल्ली
सीएसआईआर के अध्यक्ष: भारत के प्रधान मंत्री (पदेन अध्यक्ष)
सीएसआईआर के उपाध्यक्ष: केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री (पदेन उपाध्यक्ष)
सीएसआईआर के शासी निकाय/निदेशक मंडल: महानिदेशक शासी निकाय का प्रमुख होता है।
सीएसआईआर में 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 दूरस्थ केंद्रों, 3 नवोन्मेषी परिसरों और 5 इकाइयों का एक सक्रिय नेटवर्क शामिल है।
सीएसआईआर का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वित्तपोषण किया जाता है। यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में पंजीकृत है।
सीएसआईआर-एनआईओ के निदेशक: प्रो. सुनील कुमार सिंह
FAQ
उत्तर : सीएसआईआर-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआईओ)
Submit your details to access
Free Questions Booklet
Thank You! Your PDF Resource is Ready for Download
Install the
Utkarsh AppTo Access Your
5 Model Test Papers & Exclusive Offers
Install Now
Get Unlimited Download
To download limitless free study materials, provide your mobile number.
Submit Your Details to Get 25 Coins for FREE!
You're All Set!
25 Coins have been credited to your wallet. Install the UTKARSH app now to redeem and start learning!
DOWNLOAD OUR APP
Utkarsh Classes: Prepare for State & Central Govt Exams
With the trust and confidence of our students, the Utkarsh Mobile App has become a leading educational app on the Google Play Store. We are committed to maintaining this legacy by continually updating the app with unique features to better serve our aspirants.