प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग स्थित राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया गया।
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद नौसेना दिवस 2023 पर आयोजित कार्यक्रम को भी संबोधित किया गया I
नौसेना दिवस 2023 कार्यक्रम:
- नौसेना दिवस हर वर्ष 4 दिसम्बर को मनाया जाता है।
- सिंधुदुर्ग में 'नौसेना दिवस 2023' समारोह छत्रपति शिवाजी महाराज की समृद्ध समुद्री विरासत का सम्मान करता है, जिनकी सील ने नए नौसेना ध्वज के लिए प्रेरित किया जिसे पिछले साल अपनाया गया था जब प्रधानमंत्री ने पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत का जलावतरण किया था।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना दिवस पर घोषणा की थी कि अब भारतीय नौसेना के रैंकों के नाम भारतीय परंपरा और संस्कृति के अनुसार बदले जाएंगे।
- प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों में महिलाओं की संख्या बढ़ाये जाने की भी बात कही।
छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में:
- उनका जन्म 19 फरवरी, 1630 को वर्तमान महाराष्ट्र राज्य में पुणे ज़िले के शिवनेरी किले में हुआ था।
- उनका जन्म मराठा सेनापति शाहजी भोंसले के घर में हुआ था, जिनके अधिकार में बीजापुर सल्तनत के तहत पुणे और सुपे की जागीरें थीं तथा उनकी माता जीजाबाई, एक धर्मपरायण महिला थीं, जिनके धार्मिक गुणों का उन पर गहरा प्रभाव था।
- इन्होंने वर्ष 1645 में पहली बार अपने सैन्य उत्साह का प्रदर्शन किया, जब किशोर उम्र में ही इन्होंने बीजापुर के अधीन तोरण किले पर सफलतापूर्वक नियंत्रण प्राप्त कर लिया।
- इन्होंने कोंडाना किले पर भी अधिकार किया। ये दोनों किले बीजापुर के आदिल शाह के अधीन थे।
छत्रपति शिवाजी/मराठा साम्राज्य के महत्त्वपूर्ण युद्ध:
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प्रतापगढ़ का युद्ध, 1659 -
यह युद्ध मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज और आदिलशाही सेनापति अफज़ल खान की सेनाओं के बीच महाराष्ट्र के सतारा शहर के पास प्रतापगढ़ के किले में लड़ा गया था।
यह युद्ध गुजरात के सूरत शहर के पास छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगल सेनापति इनायत खान के बीच लड़ा गया।
यह युद्ध मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ा गया।
यह युद्ध महाराष्ट्र के पुणे शहर के पास सिंहगढ़ के किले में मराठा शासक शिवाजी महाराज के सेनापति तानाजी मालुसरे और जय सिंह प्रथम के अधीन गढ़वाले उदयभान राठौड़, जो मुगल सेना प्रमुख थे, के बीच लड़ा गया।
यह युद्ध मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ा गया। यह आखिरी युद्ध था जिसमें मराठा सम्राट शिवाजी लड़े थे।
उपाधियाँ:
- उनके द्वारा छत्रपति, शाककार्ता, क्षत्रिय कुलवंत तथा हैंदव धर्मोधारक की उपाधियाँ धारण की गई।
शिवाजी के अधीन प्रशासन:
केंद्रीय प्रशासन:
- उन्होंने आठ मंत्रियों की एक परिषद (अष्टप्रधान) के साथ एक केंद्रीकृत प्रशासन की स्थापना की, जो प्रत्यक्ष रूप से उनके प्रति उत्तरदायी थे और राज्य के विभिन्न मामलों पर उन्हें सलाह देते थे।
- पेशवा, जिसे मुख्य प्रधान के रूप में भी जाना जाता है, मूल रूप से शिवाजी की सलाहकार परिषद का नेतृत्व करते थे।
प्रांतीय प्रशासन:
- शिवाजी ने अपने राज्य को चार प्रांतों में विभाजित किया। प्रत्येक प्रांत को ज़िलों और ग्राम में विभाजित किया गया था।
- केंद्र की भांति ,आठ मंत्रियों की एक समिति अथवा परिषद होती थी। जिसमें सर-ए- 'कारकुन' अथवा 'प्रांतपति' (प्रांत का प्रमुख) होता था।
राजस्व प्रशासन:
- शिवाजी ने जागीरदारी प्रणाली को समाप्त कर दिया और इसे रैयतवाड़ी प्रणाली में बदल दिया तथा वंशानुगत राजस्व अधिकारियों की स्थिति में परिवर्तन किया, जिन्हें देशमुख, देशपांडे, पाटिल एवं कुलकर्णी के नाम से जाना जाता था।
- राजस्व प्रणाली मलिक अंबर की काठी प्रणाली से प्रेरित थी, जिसमें भूमि के प्रत्येक टुकड़े को रॉड अथवा काठी द्वारा मापा जाता था।
- चौथ और सरदेशमुखी आय के अन्य स्रोत थे।
मृत्यु:
- शिवाजी का निधन वर्ष 1680 में रायगढ़ में हुआ तथा उनका अंतिम संस्कार रायगढ़ किले में किया गया। उनके साहस, युद्ध रणनीति और प्रशासनिक कौशल की स्मृति एवं सम्मान में प्रत्येक वर्ष 19 फरवरी को शिवाजी महाराज जयंती मनाई जाती है।
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