राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (एनडीएमएफ) की उच्च-स्तरीय समिति ने 29 जनवरी 2025 को नई दिल्ली में हुई एक बैठक में आपदा न्यूनीकरण परियोजनाओं को लागू करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों को 3027.86 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।
इस राशि का उपयोग विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा किसी आपदा के जोखिम, प्रभाव या खतरनाक आपदा स्थिति को कम करने के लिए विभिन्न परियोजनाओं को वितपोषित करने के लिए किया जाएगा।
एनडीएमएफ की उच्च-स्तरीय समिति की संरचना और अध्यक्ष
- उच्च स्तरीय समिति में भारत सरकार के गृह, वित्त और कृषि मंत्रालय के अलावा नीति आयोग के उपाध्यक्ष भी शामिल हैं।
- केंद्रीय गृह मंत्री उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष होते हैं।
- फिलहाल अमित शाह उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष हैं।
राष्ट्रीय आपदा शमन कोष (एनडीएमएफ) के बारे में
- एनडीएमएफ का गठन भारत सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों के तहत किया गया था।
- इस कोष का प्रबंधन केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा किया जाता है
- यह केवल राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) दिशानिर्देशों में उल्लिखित आपदाओं से संबंधित आपदाओं शमन परियोजनाओं के लिए राज्य सरकारों को सहायता अनुदान प्रदान करता है।
- उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश के अनुसार केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा गृह मंत्रालय के परामर्श से राज्यों को धनराशि जारी की जाती है।
राज्यों को 3027.86 करोड़ रुपये की सहायता अनुदान विवरण
सूखाग्रस्त राज्य
- 12 सर्वाधिक सूखाग्रस्त राज्यों के 49 जिलों के लिए 2022.16 करोड़ रुपये। इसमे केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 1200 करोड़ रुपये होगी।
- लाभार्थी राज्य- आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश।
आकाशीय बिजली पर शमन परियोजना
- 10 राज्यों के 50 जिलों के लिए परिव्यय 186.78 करोड़ रुपये।
- लाभार्थी राज्य- आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मेघालय, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल।
वन अग्नि जोखिम प्रबंधन के लिए शमन योजना
- 19 राज्यों के144 प्रभावित जिलों के लिए परिव्यय 818.92 करोड़ रुपये।इसमे केंद्र सरकार की हिस्सेदारी . 690.63 करोड़ रुपये होगा।
लाभार्थी राज्य- आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मिजोरम, मध्य प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तराखंड