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कैबिनेट ने एफटीएससी योजना को तीन और वर्षों के लिए विस्तार को मंजूरी दी

Utkarsh Classes Last Updated 29-11-2023
Cabinet approves extension of FTSC scheme for three more years Government Scheme 4 min read

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 01 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2026 तक की अवधि के लिए केन्द्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के रूप में फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) को जारी रखने को मंजूरी दे दी है। 

  • फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों को आगामी तीन वर्षों तक जारी रखने के लिए 1952.23 करोड़ रुपये (केन्द्र के हिस्से के रूप में 1207.24 करोड़ रुपये और राज्य के हिस्से के रूप में 744.99 करोड़ रुपये) का वित्तीय अनुदान प्रदान किया जाएगा। इस योजना में केंद्र सरकार के हिस्से का वित्त पोषण निर्भया फंड से किया जायेगा। 

फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) की आवश्यकता क्यों? 

  • महिलाओं एवं बच्चों की संरक्षा व सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति सरकार की अटूट प्राथमिकता ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम जैसी कई पहलों से परिलक्षित होती है। 
  • बच्चियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं ने देश पर गहरा प्रभाव डाला है। अक्सर होने वाली ऐसी घटनाओं और अपराधियों की लंबी चलने वाली सुनवाई के कारण एक ऐसी समर्पित अदालत प्रणाली की स्थापना की आवश्यकता महसूस हुई, जो सुनवाई में तेजी लाने और यौन अपराधों के पीड़ितों को तत्काल राहत देने में सक्षम हो।
  • जिसके परिणामस्वरूप, केन्द्र सरकार ने “आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2018” लागू किया, जिसमें दुष्कर्म के अपराधियों के लिए मृत्युदंड सहित कठोर सजा शामिल है और जिससे फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) का गठन संभव हुआ। इस योजना को 02 अक्टूबर 2019 को आरंभ किया गया था।
  • एफटीएससी को प्रारंभ में अक्टूबर 2019 में एक वर्ष की अवधि के लिए आरंभ किया गया, इस योजना को अतिरिक्त दो वर्षों के लिए 31 मार्च 2023 तक बढ़ा दिया गया था। 
  • इसे अब आगामी तीन वर्षों के 1952.23 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है। इस वित्तीय परिव्यय में केन्द्र की हिस्सेदारी का वित्त पोषण  निर्भया फंड से होगा। 

यौन अपराधों पर अंकुश लगाया जा सकेगा:  

  • समर्पित अदालतों के रूप में डिजाइन किए गए एफटीएससी से अपेक्षा की जाती है कि, वे यौन अपराधियों के लिए निवारक ढांचे को मजबूत करते हुए और पीड़ितों को त्वरित राहत प्रदान करते हुए त्वरित न्याय सुनिश्चित करेंगे।

एफटीएससी योजना के अपेक्षित परिणाम:

  • यौन और लैंगिक आधार पर होने वाली हिंसा को समाप्त करने के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • न्यायिक प्रणाली को काम के बोझ से राहत दिलाते हुए, दुष्कर्म और पोक्सो अधिनियम के लंबित मामलों को काफी हद तक कम किया है।
  • मामलों के बोझ को प्रबंधन योग्य संख्या तक पहुँचाया है।
  • बेहतर सुविधाओं और त्वरित सुनवाई के माध्यम से यौन अपराधों के पीड़ितों के लिए न्याय की सुलभता सुनिश्चित करता है।
  • विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग द्वारा कार्यान्वित, एफटीएससी की केन्द्र प्रायोजित योजना देश भर में एफटीएससी की स्थापना के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहित करती है, जिससे दुष्कर्म और पोक्सो अधिनियम से संबंधित मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित होता है।
  • वर्तमान में तीस राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों ने इस योजना के तहत 414 विशिष्ट पोक्सो अदालतों सहित 761 एफटीएससी की शुरुआत की गई है। इसके तहत लगभग 1,95,000 से अधिक मामलों का निपटारा किया है।

FAQ

Answer:- केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आगमी तीन वर्षों के लिए (01 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2026 तक) केन्द्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के रूप में फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) को जारी रखने को मंजूरी दे दी है।

Answer:- इस योजना के लिए केंद्र सरकार हिस्से का वित्त पोषण निर्भया फंड से किया जाना है।

Answer:- फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों को आगामी तीन वर्षों तक जारी रखने के लिए 1952.23 करोड़ रुपये (केन्द्र के हिस्से के रूप में 1207.24 करोड़ रुपये और राज्य के हिस्से के रूप में 744.99 करोड़ रुपये) का वित्तीय परिव्यय शामिल है।

Answer:- फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) की स्थापना 02 अक्टूबर 2019 को की गई।
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