अरविंद पनगढ़िया को 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया
Utkarsh ClassesLast Updated
07-02-2025
Appointment
6 min read
केंद्र सरकार ने 16वें वित्त आयोग का अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया को बनाया है। इसके साथ ही ऋत्विक रंजनम पांडे को 16वें वित्त आयोग का सचिव बनाया गया है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि आयोग के दूसरे सदस्यों के नामों की घोषणा शीघ्र ही की जाएगी।
अरविंद पनगढ़िया के बारे में:
अरविंद पनगढ़िया जनवरी 2015 से अगस्त 2017 तक नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष रह चुके हैं।
इसके साथ पिछले दिनों G20 मीटिंग के दौरान उन्होंने भारत के शेरपा के रूप में काम किया।
तुर्की (2015), चीन (2016) और जर्मनी (2017) की अध्यक्षता के दौरान G20 की मीटिंग में भारतीय टीम का नेतृत्व कर चुके हैं।
एशियन डेवलपमेंट बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री रहे अरविंद पनगढ़िया साल 1978 से 2003 तक मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग के पढ़ा चुके हैं।
अग्रणी व्यापार अर्थशास्त्री पानगड़िया अक्सर सरकार की संरक्षणवादी आयात छूट नीतियों की आलोचना करते रहे हैं।
पानगड़िया ने इसके पहले एशियाई विकास बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में काम किया है। पानगड़िया ने विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और अंकटाड में भी विभिन्न पदों पर काम किया है।
पानगड़िया ने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि ली है।
मार्च 2012 में भारत सरकार ने पानगड़िया को पद्म भूषण (देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान) से सम्मानित किया था।
पानगड़िया इस समय कोलंबिया विश्वविद्यालय में जगदीश भगवती प्रोफेसर ऑफ इंडियन पॉलिटिकल इकोनॉमी के रूप में काम कर रहे हैं। वह भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर लगातार टिप्पणी करते रहे हैं।
16वें वित्त आयोग का गठन:
अब तक की परंपरा से हटते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 नवंबर 2023 को अध्यक्ष व सदस्यों के नाम का खुलासा किए बगैर वित्त आयोग के काम करने के क्षेत्र को मंजूरी दे दी थी। वित्त आयोग को अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर, 2025 को देनी होगी। 16वें वित्त आयोग 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी 5 वर्ष की अवधि शामिल होगी।
एनके सिंह की अध्यक्षता वाले पंद्रहवें वित्त आयोग की वैधता 31 मार्च, 2026 तक है। सरकारी अधिकारी ऋत्विक रंजनम पांडेय को 16वें वित्त आयोग का सचिव बनाया गया है।
16वें वित्त आयोग का कार्यकाल:
केंद्र सरकार द्वारा गठित किए 16वां वित्त आयोग केंद्र और राज्य के बीच करों के बंटवारे के साथ-साथ आपदा प्रबंधन पर अपनी सिफारिशें देगा। इस आयोग के सदस्यों का कार्यकाल 31 अक्टूबर, 2025 तक या रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक (जो भी पहले हो) होगा।
वित्त आयोग के बारे में:
वित्त आयोग का संवैधानिक प्रावधान:
वित्त आयोग के संबंध में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 और 281 में उल्लेख किया गया है। यह एक अर्द्धन्यायिक एवं सलाहकारी निकाय है।
वित्त आयोग का संरचना/गठन:
वित्त आयोग अनुच्छेद 280(1) के तहत उपबंध है कि वित्त आयोग राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त्त किए जाने वाले एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा।
अनुच्छेद 280(2) के तहत संसद को शक्ति प्राप्त है कि वह वित्त आयोग की निर्धारित करे।
संसद द्वारा वित्त आयोग के सदस्यों की अर्हताएँ निर्धारित करने हेतु वित्त आयोग अधिनियम,1951 पारित किया गया है इसके अंतर्गत निम्नलिखित अर्हताएँ हैं:
अध्यक्ष एक ऐसा व्यक्ति हो जो लोक मामलों का ज्ञाता हो।
अन्य चार सदस्यों में उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की अर्हता हो या
उन्हें प्रशासन व वित्तीय मामलों का विशेष ज्ञान हो या
अर्थशास्त्र का विशिष्ट ज्ञान हो।
वित्त आयोग का कार्य:
भारत के राष्ट्रपति को यह सिफारिश करना कि संघ एवं राज्यों के बीच करों की शुद्ध प्राप्तियों को कैसे वितरित किया जाए एवं राज्यों के बीच ऐसे आगमों का आवंटन।
अनुच्छेद 275 के तहत संचित निधि में से राज्यों को अनुदान/सहायता दिये जाना चाहिए।
केंद्र और राज्यों और राज्यों के भीतर कर का वितरण
भारत की संचित निधि से राज्यों को राजस्व सहायता अनुदान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत और
राज्यों में पंचायतों व नगर पालिकाओं के धन जुटाने के पूरक संसाधनों के बारे में कदम उठाने जैसी सिफारिशें शामिल हैं।
राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त अन्य कोई विशिष्ट निर्देश, जो देश के सुदृढ़ वित्त के हित में हों।
वित्त आयोग की शक्तियाँ:
आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जिसे राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखवाता है।
प्रस्तुत सिफारिशों के साथ स्पष्टीकारक ज्ञापन भी रखवाना होता है ताकि प्रत्येक सिफारिश के संबंध में हुई कार्यवाही की जानकारी हो सके।
वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशें सलाहकारी प्रवृति की होती हैं इसे मानना या न मानना सरकार पर निर्भर करता है।
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