राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 1 नवंबर को 336 थी। SAFAR-India के अनुसार, एक्यूआई अब भी 'बहुत खराब' श्रेणी में बना हुआ है। वायु गुणवत्ता 3 नवंबर तक 'अत्यधिक खराब' श्रेणी में रहने का अनुमान है। अगले छः दिनों तक एक्यूआई का इसी रेंज में रहने की संभावना है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अनुसार, 1 नवंबर से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शहरों के बीच केवल इलेक्ट्रिक, सीएनजी और बीएस VI-अनुपालक डीजल बसों को चलने की अनुमति होगी।
राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक क्या है?
- राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) वायु प्रदूषण के स्तर का आकलन और रिपोर्ट करने के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा उपयोग किया जाने वाला डेटा है।
- एक्यूआई को 2014 में 'एक नंबर - एक रंग - एक विवरण' की धारणा के साथ पेश किया गया था ताकि आम व्यक्ति को अपने पड़ोस में हवा की गुणवत्ता का अनुमान लगाने में मदद मिल सके।
- एक्यूआई रिपोर्ट विभिन्न निगरानी स्थलों पर वायु में विभिन्न प्रदूषकों (जैसे PM2.5, PM10, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन इत्यादि) के घनत्व का आकलन करती है।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने आईआईटी-कानपुर और अन्य विशेषज्ञों के सहयोग से इसे बनाया है।
- इसे माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में मापा जाता है।
- एक्यूआई का उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है।
एक्यूआई द्वारा किस प्रदूषक को मापा जाता है?
- प्रदूषित वातावरण में आठ प्रदूषक होते हैं, जिनमें से प्रत्येक को एक सूत्र के आधार पर भार दिया जाता है।
- पार्टिकुलेट मैटर PM 10, PM 2.5, ओजोन (O3), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), लेड (Pb), और अमोनिया (NH3) प्रमुख प्रदूषक हैं जिनका उपयोग गणना के लिए किया जाता है।
राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक की गणना
- भारत में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक की गणना 500-बिंदु पैमाने का उपयोग करके की जाती है।
- इस प्रणाली में 0 से 50 के बीच का स्कोर संतोषजनक माना जाता है।
- 301 से 500 के बीच की रेटिंग जोखिम भरी मानी जाती है।
- ये मान प्रत्येक संदूषक के लिए अलग से एक एक्यूआई मान में परिवर्तित हो जाते हैं।
वायु गुणवत्ता की श्रेणियाँ
- राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक वायु गुणवत्ता को छह श्रेणियों में विभाजित करता है।
- ये हैं- अच्छा, संतोषजनक, मध्यम प्रदूषित, ख़राब, बहुत ख़राब और गंभीर।
- एक्यूआई की इन छह श्रेणियों और इसके विशिष्ट स्वास्थ्य परिणामों का विवरण निम्नलिखित तालिका में दिया गया है:
वायु गुणवत्ता सूचकांक
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श्रेणी
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वायु गुणवत्ता का विवरण
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0-50
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अच्छा
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संतोषजनक वायु गुणवत्ता|
कोई खतरा नहीं।
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51-100
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संतोषजनक
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स्वीकार्य वायु गुणवत्ता|
कुछ जोखिम हो सकता है|
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101-200
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मध्यम प्रदूषित
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संवेदनशील समूहों पर स्वास्थ्य प्रभाव|
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201-300
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खराब
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संवेदनशील समूहों पर गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव|
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301-400
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बहुत खराब
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उच्च स्वास्थ्य चेतावनी|
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401-500
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गंभीर
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आपातकालीन स्थितियों की स्वास्थ्य चेतावनी|
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रास्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक(एनएएक्यूएस)क्या हैं?
- वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, वायु गुणवत्ता मानक निर्धारित करने का अधिकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को देता है।
- परिणामस्वरूप, सीपीसीबी ने नवंबर 2009 में वर्तमान राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों को अधिसूचित किया।
- इससे पहले, भारत ने 1994 में वायु गुणवत्ता मानक स्थापित किए थे, जिन्हें 1998 में संशोधित किया गया था।
- 2009 के नियमों ने प्रदूषकों के लिए अधिकतम स्वीकार्य सीमा को और भी कम कर दिया और आवश्यकताओं को पूरे देश में एक समान बना दिया।
वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (सफर)
- सिस्टम ऑफ़ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च ('सफर') किसी महानगरीय शहर की वायु गुणवत्ता को मापने के लिए एक राष्ट्रीय पहल है।
- आविष्कार - पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES)
- 'सफर', दिल्ली में भारत की पहली परिचालन वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का एक अनिवार्य घटक है।
- इसे भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), और राष्ट्रीय मध्यम दूरी मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF) द्वारा बनाया गया है।
- इसके कार्यान्वयन में बनाए गए उच्च गुणवत्ता नियंत्रण और मानकों के कारण 'सफर' को विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा एक प्रोटोटाइप गतिविधि के रूप में नामित किया गया है।