वार्षिक भारत-उज्बेक संयुक्त सैन्य अभ्यास 'डस्टलिक' का छठा संस्करण 16 अप्रैल 2025 को पुणे के औंध में स्थित भारतीय सेना के विदेशी प्रशिक्षण नोड में शुरू हुआ। 13 दिवसीय सैन्य अभ्यास 28 अप्रैल 2025 तक जारी रहेगा। द्विपक्षीय डस्टलिक अभ्यास का 5वां संस्करण अप्रैल 2024 में उज्बेकिस्तान के टर्मेज़ जिले में आयोजित किया गया था।
भारतीय सेना और उज्बेकिस्तान की सेना के बीच पहला डस्टलिक अभ्यास 2019 में उज्बेकिस्तान आयोजित किया गया था। शुरुआत में यह एक सेना अभ्यास था, लेकिन बाद में दोनों देशों की वायु सेनाओं की एक टुकड़ी भी इसमें भाग लेने लगी।
वार्षिक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास भारत और उज्बेकिस्तान द्वारा बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।
डस्टलिक एक बटालियन स्तर का अभ्यास है। इस वर्ष, 60 सदस्यीय भारतीय दल में जाट रेजिमेंट और भारतीय वायु सेना के कर्मी शामिल हैं।
उज्बेक पक्ष का प्रतिनिधित्व उसके सेना के जवान कर रहे हैं।
इस वर्ष, डस्टलिक अभ्यास अर्ध-शहरी सेटिंग में एक संयुक्त बहु-डोमेन उप-पारंपरिक ऑपरेशन पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस अभ्यास का उद्देश्य आतंकवादियों द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्र और उसकी मुक्ति के लिए जवाब देने में भारतीय और उज्बेक बलों के कौशल को निखारना है।
दोनों बल मिलकर आतंकवादियों द्वारा कब्जा में लिए गए ज़मीन को आतंकवादियों से मुक्त करने के लिए ऑपरेशन की योजना बनाने और उसे अंजाम देने के लिए एक संयुक्त आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन केंद्र स्थापित करने के लिए काम करेंगे।
सेना और वायु सेना के विशेष बल आतंकवादियों को नष्ट करने के लिए छापे, खोज और नष्ट करने वाले ऑपरेशन करने वाली टीम को रसद सहायता प्रदान करने के लिए एक हेलीपैड सुरक्षित करेंगे।
अभ्यास में मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवीएस), काउंटर-यूएवी उपायों और शत्रुतापूर्ण क्षेत्रों में बलों को बनाए रखने के लिए वायु सेना के रसद समर्थन की तैनाती भी शामिल होगी।
टोही और अवलोकन, विशेष हेलीबोर्न ऑपरेशन (एसएचबीओ), छोटी टीम प्रविष्टि और निष्कर्षण (एसटीआईई) और अन्य संबंधित मिशनों के लिए हेलीकॉप्टर भी तैनात किए जाएंगे।
इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों के सशस्त्र बलों के कर्मियों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना भी है।
इससे भारत और उज्बेकिस्तान के बीच सौहार्दपूर्ण रक्षा संबंधों को और मजबूत करने की उम्मीद है।