साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोक भवन में हुई कैबिनेट बैठक में 57 जिलों में साइबर क्राइम थाने स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है I
प्रदेश के 18 मंडल मुख्यालयों में पहले से ही साइबर थाने मौजूद हैं I बाकी बचे 57 जनपदों में भी इसी तरह के थाने स्थापित करने का निर्णय लिया गया है I
इनकी स्थापना में अनुमानतः 1 अरब, 27 करोड़, 24 लाख, 51 हजार रुपये से अधिक की राशि खर्च होगी I
अभी तक आईजी स्तर के अधिकारी इन थानों को देखते थे, लेकिन सभी जनपदों में साइबर क्राइम थाने स्थापित होने के बाद से पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी इसकी जिम्मेदारी संभालेंगे।
साइबर अपराध क्या है?
साइबर अपराध को ऐसे अपराध के रूप में परिभाषित किया जाता है जहाँ कंप्यूटर अपराध का माध्यम होता है या अपराध करने के लिये एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाता है।
भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, साइबर अपराध राज्य सूची के अंतर्गत आता है।
इसमें अवैध या अनधिकृत गतिविधियाँ शामिल हैं जो विभिन्न प्रकार के अपराध करने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाती हैं।
साइबर अपराध के प्रकार:
रैनसमवेयर: यह एक प्रकार का फिरौती मांगने वाला सॉफ्टवेयर है। इसे इस तरह से बनाया जाता है कि वह किसी भी कंप्यूटर सिस्टम की सभी फाइलों को एनक्रिप्ट कर देता है। यह सॉफ्टवेयर द्वारा इन फाइलों को एनक्रिप्ट करते ही फिरौती मांगने लगता है और धमकी देता है कि यदि अमुक राशि नहीं चुकाई तो वह उस कंप्यूटर की सभी फाइलों को करप्ट कर देगा।
डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस अटैक: इसका प्रयोग किसी ऑनलाइन सेवा को अनुपलब्ध बनाने और विभिन्न स्रोतों से वेबसाइट पर अत्यधिक ट्रैफिक के माध्यम से नेटवर्क को बाधित करने के लिए किया जाता है।
फिशिंग: यह एक प्रकार का सोशल इंजीनियरिंग अटैक है। इसका उपयोग अक्सर उपयोगकर्ता का डेटा चुराने के लिए किया जाता है। इसमें लॉगिन क्रेडेंशियल और क्रेडिट कार्ड नंबर शामिल हैं।
बॉटनेट: यह कंप्यूटर का एक ऐसा नेटवर्क है जिसे दूर बैठे हैकर्स द्वारा बाह्य रूप से नियंत्रित किया जाता है।
साइबर स्टॉकिंग: इसमें ऑनलाइन उत्पीड़न शामिल होता है जहाँ उपयोगकर्ता को ढेर सारे ऑनलाइन संदेशों और ईमेल का सामना करना पड़ता है। सामान्यतः साइबर स्टॉक किसी उपयोगकर्ता को डराने के लिये सोशल मीडिया, वेबसाइट और सर्च इंजन का उपयोग करते हैं।
भारत में साइबर अपराधों से निपटने हेतु सरकार की पहल:
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C): यह केंद्र पूरे देश में सभी प्रकार के साइबर अपराधों से निपटने के प्रयासों का समन्वय करता है।
साइट्रेन पोर्टल (CyTrain Portal): साइबर अपराध जाँच, फोरेंसिक और अभियोजन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के माध्यम से पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों तथा अभियोजकों की क्षमता निर्माण हेतु एक विशाल ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम (MOOC) मंच।
नागरिक वित्तीय साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली: यह वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और टोल-फ्री हेल्पलाइन के माध्यम से ऑनलाइन साइबर शिकायतें दर्ज करने में सहायता हेतु एक प्रणाली है।
राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: एक ऐसा मंच जहाँ जनता साइबर अपराध की घटनाओं की रिपोर्ट कर सकती है, जिसमें महिलाओं एवं बच्चों के प्रति अपराधों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
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