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पशुधन की 16 प्रजातियों की गणना के लिए देश में 21वीं पशुधन जनगणना शुरू

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
21st Livestock Census launched to count 16 species of livestock Census 4 min read

केंद्र सरकार ने 25 अक्टूबर 2024 को केंद्र प्रायोजित 21वीं पशुधन जनगणना अभियान शुरू किया है। इसके साथ ही सरकार ने देश में पशु स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 25 मिलियन डॉलर की महामारी निधि परियोजना भी शुरू की है।

पशुधन जनगणना अभियान और महामारी निधि परियोजना नई दिल्ली में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह द्वारा शुरू की गई।

21वीं पशुधन जनगणना अभियान अक्टूबर 2024 - फरवरी 2025 के दौरान पूरे देश में आयोजित किया जाएगा।

देश में पशुधन जनगणना कौन करता है? 

21वीं पशुधन गणना केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा संबंधित राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेशों के पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग के साथ साझेदारी में आयोजित की जाती है।

पशुधन गणना का अंतराल 

देश में पहली पशुधन जनगणना 1919-1920 में हुई थी और तब से यह हर पांच साल के अंतराल के बाद  आयोजित की जाती है। 20वीं पशुधन जनगणना 2019 में पूरे देश में आयोजित की गई थी।

21वीं पशुधन गणना की विशेषता 

  • पशुधन गणना के लिए मूल इकाई घर होता है।
  • पशुधन जनगणना देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी जिलों में आयोजित की जाएगी, जिसमें सभी ग्रामीण और शहरी परिवार, गैर-घरेलू, उद्यम और संस्थान शामिल होंगे। 
  • जनगणना सभी रक्षा, अर्ध-सैन्य बलों और राज्य पुलिस प्रतिष्ठानों में भी आयोजित की जाएगी। 
  • 21वीं पशुधन गणना में आवारा मवेशियों की लिंगवार संख्या भी शामिल होगी।
  • पशुधन गणना के लिए राज्य पशुपालन विभाग के फील्ड कर्मचारीयों का उपयोग किया जाएगा।
  • जनगणना केंद्र सरकार द्वारा 100 प्रतिशत वित्त पोषित है और 21वीं पशुधन जनगणना के लिए कुल परिव्यय 200 करोड़ रुपये है।
  • जनगणना में 16 प्रजातियों की 219 स्वदेशी नस्लों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • पशुधन की 15 प्रजातियाँ - मवेशी, भैंस, मिथुन, याक, भेड़, बकरी, सुअर, ऊँट, घोड़ा, टट्टू, खच्चर, गधा, कुत्ता, खरगोश और हाथी को गिना जाएगा।
  • जनगणना में पोल्ट्री पक्षियों-मुर्गा, बत्तख, टर्की, गीज़, बटेर, गिनी फाउल, शुतुरमुर्ग और एमू की भी गिनती की जाएगी।
  • यह देश की पहली पशुधन जनगणना है जिसमें पशुपालकों द्वारा रखे गए पशुधन का डेटा स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होगा।
  • यह दूसरी जनगणना है जो स्मार्टफोन/टैबलेट के माध्यम से डिजिटल तरीके से की जा रही है।

पशुधन गणना के लाभ

  • यह गणना ,ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 16 प्रजातियों के पशुधन की आबादी, नस्ल, लिंग, उम्र और उपयोग पर विवरण प्रदान करेगा। 
  • यह पूरे भारत में पशुधन आबादी पर व्यापक आंकड़े  इकट्ठा करने में मदद करेगा। 
  • ये आंकड़े सरकार को पशुधन क्षेत्र में सुधार के लिए कार्यक्रमों की उचित योजना, निर्माण, कार्यान्वयन और निगरानी में मदद करेगा। 
  • इस गणना से सरकार को इस क्षेत्र के विकास और पशु स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए सही नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।

FAQ

उत्तर: राजीव रंजन सिंह, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री द्वारा , 25 अक्टूबर 2024 को नई दिल्ली में।

उत्तर: अक्टूबर 2024 - फरवरी 2025 की अवधि के लिए 200 करोड़ रुपये।

उत्तर: केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राज्य सरकार के सहयोगसे ।

उत्तर: हर पांच साल के बाद , सबसे पहला गणना 1919-20 में किया गया था।

उत्तर: 16 प्रजातियों की 219 देशी नस्लें।

उत्तर: 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर की महामारी निधि परियोजना।
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