जून 2024 में विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने देश में निम्न कार्बन ऊर्जा क्षेत्र को विकसित करने के लिए भारत सरकार को 1.5 बिलियन डॉलर के ऋण को मंजूरी दी है । यह विश्व बैंक द्वारा भारत को दिया गया दूसरा ऐसा ऋण है। पिछले साल 2023 में विश्व बैंक ने निम्न कार्बन ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिए भारत को 1.5 बिलियन डॉलर की ऋण मंजूरी की थी।
निम्न कार्बन ऊर्जा क्षेत्र उस ऊर्जा स्रोत को संदर्भित करता है जिसे जलाने पर जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम तेल और गैस) जलाने की तुलना में कम कार्बन निकलता है।
हाइड्रोजन और अमोनिया को शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला ईंधन माना जाता है और कम कार्बन वाले ईंधनों में जैव ईंधन शामिल किया जाता है। जैव ईंधन ,बायोमास जैसे पौधों (लकड़ी, पुआल, गुड़, कृषि अपशिष्ट आदि), शैवाल से बनाया जाता है।
भारत सरकार ने 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को साकार करने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन शुरू किया है।
हरित हाइड्रोजन का तात्पर्य इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से पानी को तोड़कर हाइड्रोजन के उत्पादन से है। इलेक्ट्रोलिसिस के लिए आवश्यक बिजली का उत्पादन ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों जैसे सूर्य, जल विद्युत, हवा आदि का उपयोग करके किया जाता है।
विश्व बैंक के अनुसार यह ऋण भारत सरकार के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का समर्थन करेगा।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन 4 जनवरी 2023 को शुरू किया गया था। मिशन पर कुल परिव्यय 19,744 करोड़ रुपये है और मिशन 2029-30 तक जारी रहेगा।
मिशन का कुछ मुख्य उद्देश्य है :
विश्व बैंक से ऋण राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के तहत निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के सरकारी प्रयास का पूरक होगा।
आईबीआरडी , विश्व बैंक समूह का एक हिस्सा है और यह दुनिया का सबसे बड़ा विकास बैंक है।
आईबीआरडी की स्थापना 1944 में मध्यम आय वाले सदस्य देशों और ऋण योग्य कम आय वाले देशों को ऋण, ऋण गारंटी, जोखिम प्रबंधन उत्पाद और सलाहकार सेवाएं प्रदान करने के लिए की गई थी।
यह व्यावसायिक दरों पर ऋण प्रदान करता है और सदस्य देशों में विकास परियोजनाओं का वित्तपोषण करता है।
विश्व बैंक समूह का मुख्यालय: वाशिंगटन डी.सी., संयुक्त राज्य अमेरिका
विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष: डॉ. अजय बंगा (अमेरिकी नागरिक)
सदस्य देश: 189
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