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22 भारतीय मूल के वैज्ञानिकों को दी गई पहले बैच का वैभव फेलोशिप

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Vaibhav Fellowship of 1st batch given to 22 Indian origin scientists Government Scheme 4 min read

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने 23 जनवरी 2024 को विश्व के 22 भारतीय मूल के वैज्ञानिकों को दी गई वैभव फेलोशिप के पहले बैच का शुभारंभ किया। 

वैभव फ़ेलोशिप का उद्देश्य: 

  • इसका उद्देश्य भारत में प्रवासी भारतीयों की वैज्ञानिक क्षमताओं को शामिल करना। प्रवासी भारतीयों की सांस्कृतिक जड़ों को पुनः जागृत करना है।

भारत को विकसित बनाने में प्रवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका:

  • केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह के अनुसार, भारत को 2047 तक विकसित बनाने में प्रवासी भारतीयों की वैज्ञानिक क्षमताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। 
  • वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक वैभव फैलोशिप के पहले बैच के कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली में किया गया। 
  • भारत ने विगत कुछ वर्षों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, नवाचार, क्वांटम मिशन और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रगति की  है। 
  • केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने प्रवासी भारतीयों से भारत में प्रचुर अवसरों को पहचानने और इसके विकास में योगदान देने का आह्वान किया।

वैभव फेलोशिप योजना के बारे में:   

  • केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने 28 फरवरी 2023 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर भारतीय प्रवासियों के लिए वैभव फैलोशिप योजना की शुरुआत की थी।
  • वैभव फेलोशिप योजना को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। 

वैभव फैलोशिप कार्यक्रम की विशेषताएँ: 

  • यह कार्यक्रम 18 पहचाने गए नॉलेज वर्टिकल्स पर ध्यान केंद्रित करेगा। इनमें प्रमुखतः शामिल हैं: 
    • क्वांटम टेक्नोलॉजी
    • स्वास्थ्य
    • औषध क्षेत्र
    • इलेक्ट्रॉनिक्स
    • कृषि
    • ऊर्जा
    • कंप्यूटर और विज्ञान 
  • फैलोशिप भारतीय मूल के उत्कृष्ट वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के लिए खुली है जो सक्रिय रूप से अपने संबंधित देशों में अनुसंधान गतिविधियों में संलग्न हैं।
    • भारतीय मूल के लोगों को मुख्यतः तीन वर्गों में बाँट सकते हैं:-
      • प्रवासी  भारतीय (एनआरआई)
      • भारतीय मूल के अनिवासी भारतीय (पीआईओ) 
      • भारत के प्रवासी नागरिक (ओसीआई)
  • चयनित अध्येताओं को भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक वित्तपोषित वैज्ञानिक संस्थानों के साथ मिलकर शोधकार्य करने का अवसर दिया जाता है।
  • वे अपनी पसंद के भारतीय संस्थान में प्रतिवर्ष दो महीने,अधिकतम तीन वर्ष तक निवास कर सकते हैं।
  • योजना के तहत वैज्ञानिकों को कई आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती है। जिससे कि उन्हें फैलोशिप शोध के लिए अनुकूल वातावरण सुनिश्चित कराया  जा सके। जिसके अंतर्गत:
    • यात्रा
    • आवास और आकस्मिकता
    • अंतर्राष्ट्रीय एवं घरेलू यात्रा व्यय
    • आवास

प्रवासी भारतीयों को शामिल करने वाली अन्य प्रमुख पहल:  

  • प्रवासी भारतीय दिवस: भारत के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान को चिह्नित करने हेतु प्रति वर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।
  • नो इंडिया प्रोग्राम: प्रवासी समुदाय से जुड़ाव हेतु विदेश मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है। इसके तहत भारतीय मूल के युवाओं (18-30 वर्ष) को उनकी भारतीयता और समकालीन भारत से परिचित कराता है।
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की वज्र फैकल्टी स्कीम: एनआरई और विदेशी वैज्ञानिक समुदायों को भारत में अनुसंधान एवं विकास में भाग लेने तथा योगदान करने में सक्षम बनाती है। 
  • वज्र का पूर्ण रूप: विजिटिंग एडवांस्ड जॉइंट रिसर्च 

FAQ

उत्तर :- 22 भारतीय मूल के वैज्ञानिकों को पहले बैच का वैभव फेलोशिप दी गई

उत्तर :- 28 फरवरी 2023 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर

उत्तर :- केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह

उत्तर :- 28 फरवरी
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