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उप्र ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अंर्तगत 100% ODF + कवरेज प्राप्त किया

Utkarsh Classes 29-09-2023
UP achieves 100% ODF + coverage under Swachh Bharat Mission Grameen Report 10 min read

उत्तर प्रदेश ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण में सभी 95767 गांवों यानी सौ प्रतिशत ओडीएफ प्लस का दर्जा प्राप्त कर लिया है। ओडीएफ प्लस गांव वह है, जिसने ठोस या तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को लागू करने के साथ खुले में शौच मुक्त कर लिया है।

प्रदेश ने सिर्फ नौ महीने में 80 हजार से अधिक गांवों ने ओडीएफ प्लस का दर्जा प्राप्त किया: 

  • एक जनवरी 2023 तक प्रदेश में केवल 15088 गांव ओडीएफ प्लस थे। 
  • प्रदेश ने सिर्फ नौ महीने में 80 हजार से अधिक गांवों ने ओडीएफ प्लस का दर्जा प्राप्त किया और इस त्वरित गति के परिणामस्वरूप ओडीएफ प्लस की समयबद्ध उपलब्धि प्राप्त हुई है। 
    • 95,767 ओडीएफ प्लस गांवों में से 81,744 गांव ठोस अपशिष्ट प्रबंधन या तरल अपशिष्ट प्रबंधन के साथ ओडीएफ प्लस महत्वाकांक्षी गांव हैं; 
    • 10,217 गांव ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन दोनों की व्यवस्था के साथ ओडीएफ प्लस उभरते गांव हैं और 
    • 3,806 गांव ओडीएफ प्लस आदर्श गांव है। 
  • कुल मिलाकर अब तक 15,649 गांवों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था है और 95,048 गांवों में तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था है।

ओडीएफ प्लस मॉडल गांव क्या है? 

  • ओडीएफ प्लस मॉडल गांव वैसे गांव हैं जिन्होंने ओडीएफ की अपनी स्थिति को बनाए रखा है और इनमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन तथा तरल अपशिष्ट प्रबंधन दोनों की व्यवस्था है। इसके तहत निम्न को शामिल किया जाता है:  
  • ये प्रत्यक्ष स्वच्छता का अनुपालन करते हैं यानी यहां न्यूनतम कूड़ा और न्यूनतम अपशिष्ट जल का जमाव नहीं होता है, 
  • यहां सार्वजनिक स्थानों पर कोई प्लास्टिक कचरा नहीं होता है; और 
  • यहां ओडीएफ प्लस से संबंधित सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) संदेश प्रदर्शित किए जाते हैं। वर्तमान में देश में कुल 96,192 गांव ओडीएफ प्लस मॉडल गांव हैं।

स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) – 2023 अभियान: 

  • प्रदेश में सौ प्रतिशत की यह उपलब्धि चल रहे स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) – 2023 अभियान के दौरान मिली है। 
  • स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) अभियान जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत प्रतिवर्ष 15 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाया जाता है।
  • इस वर्ष अब तक लगभग 88 लाख लोगों ने बड़े पैमाने पर इसमें हिस्सा लिया और श्रमदान किया है, जिससे ओडीएफ प्लस स्थिति की उपलब्धि में तेजी आई है।
  • ओडीएफ प्लस उपलब्धि का उत्सव उन ग्राम-पंचायतों के सम्मान के साथ मनाया गया जिन्होंने अनुकरणीय कार्य किया था और अपनी ग्राम पंचायतों को ओडीएफ प्लस मॉडल घोषित किया था।

राज्य में एसबीएम-जी में योगदान देने हेतु सम्मानित किया गया:   

  • पुरस्कार विजेताओं में 60 सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायतें शामिल हैं जिन्होंने ग्राम पंचायत को एक मॉडल के रूप में बनाने में उनके योगदान दिये;
  • 75 सफाई कर्मियों (प्रत्येक 75 जिलों में से एक) को भी उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। 

स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रम द्वारा लोगों को प्रोत्साहित किया गया:

  • गतिविधियों में सीखने और आगे बढ़ने के लिए ठोस अपशिष्ट, तरल अपशिष्ट, आरआरसी और मॉडल गांव के लाइव मॉडल के प्रदर्शन कर लोगों को इस दिशा में कार्य करने हेतु प्रोत्साहित किया गया। 
  • इसके अंतर्गत "देखने में विश्वास को बढ़ावा देना" जैसी गतिविधियां और 'मनोरंजन के माध्यम से शिक्षा', कचरा मुक्त थीम पर जादू शो, कठपुतली शो जैसे स्थानीय/लोक मीडिया समूहों को शामिल करके सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए थे।

भारत में 75 प्रतिशत गांवों ने खुद को ओडीएफ प्लस घोषित किया: 

  • देश भर में 4.43 लाख लगभग 75 प्रतिशत गांवों ने खुद को ओडीएफ प्लस घोषित किया है। 
  • यह  2024-25 तक स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण (एसबीएम-जी चरण II) के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

शत-प्रतिशत ओडीएफ प्लस गांव की उपलब्धि हासिल करके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में: 

  • अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, केरल, लद्दाख, पुडुचेरी, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, और त्रिपुरा शामिल हैं। 

ओडीएफ प्लस गांवों का विवरण:  

  • अब तक ओडीएफ प्लस गांव - 4,43,964
  • ओडीएफ प्लस की उपलब्धि के साथ ठोस अपशिष्ट प्रबंधन या तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था वाले गांव बनने की दिशा में अग्रसर गांव हैं- 2,92,497
  • गांव ओडीएफ प्लस राइजिंग की श्रेणी वाले गांव हैं, जिनमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन दोनों प्रकार की व्यवस्था वाले गांव- 55,549 और 
  • गांव ओडीएफ प्लस मॉडल गांव - 96,018 हैं। 
  • कुल मिलाकर, अब तक 2,31,080 गांवों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था है और 3,76,353 गांवों में तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था है।

देश ओडीएफ से बढ़कर ओडीएफ प्लस की स्थिति में पहुंचा: 

  • 75 प्रतिशत ओडीएफ प्लस गांवों की उपलब्धि भारत के लिए स्वच्छता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि स्वच्छ भारत मिशन चरण II में देश ओडीएफ से बढ़कर ओडीएफ प्लस की स्थिति में पहुंच गया है। 

एसबीएम (जी) के चरण- II के प्रमुख घटकों में निम्नलिखित को शामिल किया गया है: 

  • खुले में शौच से मुक्त स्थिति को बनाए रखना (ओडीएफ-एस), 
  • ठोस (जैव-निम्नीकरणीय) अपशिष्ट प्रबंधन, 
  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (पीडब्ल्यूएम), 
  • तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एलडब्ल्यूएम), 
  • मल गाद प्रबंधन (एफएसएम), 
  • गोबरधन, 
  • सूचना शिक्षा एवं संचार/व्यवहार परिवर्तन संबंधी संचार (आईईसी/बीसीसी) और 
  • क्षमता निर्माण शामिल हैं। 

स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) - 2023 अभियान

  • इस अभियान में 5 करोड़ लोगों ने भाग लिया है और 2.05 करोड़ से अधिक लोगों ने श्रमदान किया है। 
  • एसबीएम-जी में 34 राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों के साथ, लगभग 42 साझेदार मंत्रालय/विभाग भी एसएचएस 2023 में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। 

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन: 

  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन - प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के संदर्भ में, 2,380 प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयां और 1,78,556 अपशिष्ट संग्रहण एवं पृथक्करण शेड स्थापित किए गए हैं। 
  • देश में प्रभावी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए तीन लाख से अधिक वाहन उपलब्ध हैं। 
  • देश में 2,603 ​​से अधिक प्रखंड प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयों से लैस हैं। 
  • कुल 23 राज्य/केन्द्र-शासित प्रदेश बिटुमिनस सड़क निर्माण के लिए अपशिष्ट प्लास्टिक का उपयोग कर रहे हैं।
  • दो राज्य - तमिलनाडु और केरल - इसका उपयोग सीमेंट कारखानों में कर रहे हैं। 

जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट प्रबंधन: 

  • घरेलू स्तर पर जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट प्रबंधन हेतु, लोगों को सामुदायिक स्तर पर खाद बनाने के लिए अपने सूखे और गीले (जैविक) कचरे को स्रोत के स्तर पर ही अलग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। 
  • वर्तमान में 4,94,822 सामुदायिक खाद गड्ढों (कंपोस्ट पिट) एवं 1,78,554 अपशिष्ट संग्रहण शेड का निर्माण किया गया है और कचरे के संग्रहण एवं परिवहन के लिए लगभग 3,16,123 वाहन सक्रिय हैं।
  • 279 जिलों में 729 बायोगैस एवं 63 सीबीजी संयंत्रों का निर्माण पूरा हुआ है।

ग्रे-वाटर प्रबंधन: 

  • ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू स्तर पर उपयोग किए जाने वाले 65-70 प्रतिशत पीने योग्य पानी को ग्रे-वाटर से परिवर्तित किया जाता है, जो प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 36 लीटर होने का अनुमान है। 
  • यह अनुमान जल जीवन मिशन के अनुसार प्रति व्यक्ति 55 लीटर पीने योग्य पानी की अनिवार्य आपूर्ति पर आधारित है। 
  • एसबीएम (जी) ने 2021-23 से तीन संस्करणों में ‘सुजलाम’ अभियान शुरू करके ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रे-वाटर के प्रभावी प्रबंधन को बढ़ावा देने की पहल की है। 
  • कुल 63 प्रतिशत गांवों ने ग्रे-वाटर प्रबंधन की सुविधा को हासिल कर लिया है और ओडीएफ प्लस उपलब्धियों में योगदान दिया है। शेष 37 प्रतिशत गांव भी जल्द ही इसे हासिल कर सकते हैं।

 

FAQ

Answer - उत्तर प्रदेश

Answer - उत्तर प्रदेश

Answer - लगभग 4.43 लाख गांवों ने खुद को ओडीएफ प्लस घोषित किया है।

Answer - लगभग 75 प्रतिशत गांवों ने खुद को ओडीएफ प्लस घोषित किया है।

Answer - 15 सितंबर से 2 अक्टूबर

Answer - जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)
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