वर्तमान में, देश में कुल दस मेलानिस्टिक बाघ (काले बाघ) मिले हैं। ये सभी विशेष रूप से ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व (एसटीआर) में पाए जाते हैं। यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने 21 दिसंबर 2023 को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी है।
- अखिल भारतीय बाघ अनुमान के 2022 चक्र के अनुसार, सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में 16 बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, जिनमें से 10 मेलेनिस्टिक टाइगर थे।
- केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सिमलीपाल बाघ अभयारण्य को एक विशिष्ट संरक्षण क्लस्टर के रूप में पहचाना गया है।
- सितंबर 2021 में प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल के अनुसार, एसटीआर में बाघ की आबादी में काफी भिन्नता है। अन्य बाघों की तुलना में उनके मध्य बहुत सीमित जीन प्रवाह होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, बाघों में पाई जाने वाली ऐसी भिन्नता आबादी विलुप्त होने के लिए अति-संवेदनशील होती है। यह बाघ संरक्षण प्रयासों को प्रभावित करती है।
ब्लैक टाइगर के बारे में:
- यह एक दुर्लभ रंग का बाघ है। ब्लैक टाइगर के शरीर पर धारियों का रंग एवं पैटर्न जंगली बिल्लियों की तरह गहरा होता है। यह ट्रांसमेम्ब्रेन एमिनोपेप्टिडेज़ क्यू जीन में एक उत्परिवर्तन के कारण दिखाई देता है।
- ऐसे बाघों में असामान्य रूप से गहरे या काले रंग के धारियों को छद्म मेलेनिस्टिक या कृत्रिम रंग भी कहा जाता है।
- यदि सिमलीपाल से किसी भी बाघ को चुना जाता है, तो लगभग 60% संभावना है कि वह उत्परिवर्ती जीन को वहन करता है।
- वैज्ञानिकों ने सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व में ओडिशा के 'ब्लैक टाइगर्स' के रंगों के पीछे के रहस्य का पता लगाया है।
- एसटीआर दुनिया का एकमात्र बाघ निवास स्थान है जहाँ मेलेनिस्टिक बाघ पाए जाते हैं।
सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व (एसटीआर) के बारे में:
- टाइगर रिज़र्व के लिए एसटीआर का चयन वर्ष 1956 में किया गया था। जिसे वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत लाया गया।
- जून 1994 में भारत सरकार ने एसटीआर को एक बायोस्फीयर रिज़र्व क्षेत्र घोषित किया था।
- यह बायोस्फीयर रिज़र्व वर्ष 2009 से यूनेस्को के विश्व नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व का भाग है।
एसटीआर की अवस्थिति:
- एसटीआर ओडिशा के मयूरभंज ज़िले के उत्तरी भाग में स्थित है जो भौगोलिक रूप से पूर्वी घाट के पूर्वी छोर पर स्थित है।
ओडिशा के प्रमुख संरक्षित क्षेत्र:
- हदगढ़ वन्यजीव अभयारण्य।
- भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान।
- कोटगढ़ वन्यजीव अभयारण्य।
- बदरमा वन्यजीव अभयारण्य।
- बैसीपल्ली वन्यजीव अभयारण्य।
- नंदनकानन वन्यजीव अभयारण्य।
- लखारी घाटी वन्यजीव अभयारण्य।
- गहिरमाथा (समुद्री) वन्यजीव अभयारण्य।
- चिलिका (नलबण) पक्षी अभयारण्य।