24 नवंबर 2023 को नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में इस वर्ष गेहूं उत्पादक क्षेत्रों के लगभग 60% भूभाग को जलवायु अनुकूलित किस्मों से आच्छादित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक का उद्देश्य विभिन्न फसलों के संबंध में समीक्षा करना था।
उत्पादन में स्थिरता लाने का प्रयास:
- जलवायु अनुकूलित किस्मों से उत्पादन में स्थिरता लाने में सहजता होगी। कृषि मंत्री तोमर ने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक निगरानी समिति का गठन करने का भी सुझाव दिया।
इसकी आवश्यकता क्यों?
- भारत की कृषि प्रणाली अभी भी काफी हद तक प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर करती है। भारत की जलवायु मानसूनी प्रकार की होने के कारण यह प्रति वर्ष हर मौसम में एक समान नहीं रहती है और यहाँ जलवायु वैविध्य बना रहता है। ऐसे में जलवायु अनुकूलित किस्मों के आच्छादन से उत्पादन में स्थिरता लाया जा सकता है।
- खरीफ फसलों के प्रदर्शन एवं अनुमानित उपज के संदर्भ में यह बताया गया कि मानसून में देरी की वजह से जुलाई-अगस्त माह में कम बरसात हुई जिससे फसलों की वृद्धि प्रभावित हुई, किंतु सितंबर में मानसूनी वर्षा ज्यादातर प्रदेशों में सामान्य रहने से खरीफ का उत्पादन अधिक प्रभावित नहीं होने की संभावना है।
- रबी में औसत 648.33 लाख हेक्टेयर की खेती होती है। वर्तमान समय तक करीब 248.59 लाख हेक्टेयर की बुवाई हो चुकी है।
- विशेष तौर पर गेहूं में इस वर्ष करीब 60% क्षेत्र को जलवायु अनुकूल किस्मों से आच्छादित करने का लक्ष्य रखा गया है।
- ऐसी किस्मों के बुवाई करने से किसानों को गेहूं उत्पादन में स्थिरता लाने में सहजता हो सकेगी।
- कृषि मंत्री तोमर द्वारा इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निगरानी समिति गठित करने के सुझाव पर विभाग द्वारा शीघ्र ही कार्यवाही किये जाने की संभावना है।
भारत में फसल प्रतिरूप:
- अभी भी देश की करीब दो-तिहाई आबादी कृषि गतिविधियों में संलग्न है। यह एक प्राथमिक गतिविधि है, जो उद्योगों के लिए कच्चे माल और खाद्यान्न का उत्पादन करती है।
- भारत जलवायविक रूप से एक विविधताओं वाला देश है इसलिए यहाँ विभिन्न खाद्य और गैर-खाद्य फसलें हैं जिनकी खेती तीन मुख्य फसल मौसमों रबी, खरीफ और जायद में की जाती है।
- भारत में प्रमुख फसलों को निम्न रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- खाद्य फसलें: चावल, गेहूं, बाजरा, मक्का और दालें।
- नकदी फसलें: चाय, कॉफी, रबर, गन्ना, तिलहन, बागवानी फसलें, कपास और जूट।
- भारत में फसल ऋतु के आधार पर इन्हें तीन वर्गों में वर्गीकृत किया गया है:
- रबी:
- इनकी बुआई अक्टूबर-दिसंबर में जबकि कटाई अप्रैल-जून की जाती है।
- इसके अंतर्गत मुख्यतः गेहूँ, जौ, मटर, चना, सरसों आदि की खेती की जाती है।
- देश में रबी फसल के अंतर्गत आने वाले मुख्य राज्य पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश हैं।
- ख़रीफ़:
- इनकी बुआई जून-जुलाई में जबकि कटाई सितंबर-अक्टूबर में की जाती है।
- इसके अंतर्गत मुख्यतः चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूंग, उड़द, कपास, जूट, मूंगफली, सोयाबीन आदि की खेती की जाती है।
- देश में ख़रीफ़ फसल के अंतर्गत आने वाले मुख्य राज्य असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा के तटीय क्षेत्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र हैं।
- जायद (रबी और खरीफ के बीच का समय):
- इनकी बुआई मार्च में जबकि कटाई जुलाई की जाती है।
- इसके अंतर्गत मुख्यतः मौसमी फल, सब्जियाँ, चारा फसलें आदि की खेती की जाती है।
- देश में रबी फसल के अंतर्गत आने वाले मुख्य राज्यों में अधिकांशतः उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी राज्य हैं।