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महाराष्ट्र के मिरज में बने सितार-तानपुरा को मिला जीआइ टैग

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Sitar-Tanpura made in Miraj, Maharashtra gets GI tag Place in News 5 min read

हाल ही में महाराष्ट्र के सांगली जिले के एक छोटे से कस्बे ‘मिरज’ में बनने वाले सितार और तानपुरा को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग दिया गया है। ‘मिरज’ में बनने वाले सितार और तानपुरा को जीआई टैग मिलने से महाराष्ट्र के इस कस्बे का महत्व बढ़ गया है।  

मिरज में बने वाद्ययंत्रों का काफी मांग रही है:  

  • मिरज के निर्माताओं का दावा है कि मिरज में बने इन वाद्ययंत्रों की इस क्षेत्र के प्रमुख कलाकारों के बीच काफी मांग है। इनमें शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ फिल्म उद्योग के प्रसिद्ध कलाकार भी शामिल हैं।
  • यह क्षेत्र वाद्य यंत्र बनाने के लिए प्रसिद्ध है। यह सांगली जिले में आता है। निर्माताओं ने दावा किया है कि ये वाद्ययंत्र मिरज में बनाए जाते हैं। शास्त्रीय संगीत के कलाकारों के साथ ही फिल्म उद्योग से जुड़े कलाकारों के बीच इनकी भारी मांग है।

मिरज में वाद्ययंत्रों के निर्माण की काफी पुरानी परंपरा: 

  • मिरज में सितार और तानपुरा बनाने की परंपरा 300 वर्ष से भी अधिक पुरानी है। मिरज में सात पीढ़ियों से अधिक समय से कारीगर इन तार आधारित वाद्य यंत्रों को बनाने का कार्य कर रहे हैं।

केंद्र की भौतिक संपदा कार्यालय ने दिया जीआई टैग: 

  • केंद्र सरकार की भौतिक संपदा कार्यालय ने 30 मार्च 2024 को निम्न संस्था को सितार और तानपुरा बनाने के लिए भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग प्रदान किया: 
    • मिरज म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स क्लस्टर को सितार के लिए और 
    • सोलट्यून म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट प्रोड्यूसर फर्म को तानपुरा के लिए जीआई टैग दिया।

क्लस्टर में 450 से अधिक कारीगर निर्माणकार्य में लगे हैं: 

  • मिरज म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स क्लस्टर के अध्यक्ष मोहसिन मिरजकर ने कहा कि यह शहर, सितार और तानपुरा निर्माताओं दोनों के निर्माण में शीर्ष स्थान रखता है। 
  • उन्होंने बताया कि संस्था में 450 से अधिक कारीगर सितार और तानपुरा सहित संगीत वाद्य यंत्रों का निर्माण करते हैं। मिरज में बने सितार और तानपुरा की बहुत अधिक मांग है, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता।

देश भर में बेचे जाते हैं मिरज के नाम से वाद्ययंत्र: 

  • मोहसिन मिरजकर के अनुसार, कई हिस्सों में मिरज निर्मित होने का दावा कर वाद्ययंत्र बेचे जाते हैं। जब इस बारे में शिकायतें मिलनी शुरू हुई तो हमने वाद्ययंत्र के लिए जीआई टैग लेने का निर्णय लिया। इसके लिए 2021 में आवेदन किया गया था। एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र में निर्मित उत्पाद को जीआई टैग मिलता है। इससे उत्पाद का व्यावसायिक मूल्य बढ़ जाता है।

देश के विभिन्न भागों से मंगाए जाते हैं कच्चे माल: 

  • मोहसिन के अनुसार, मिरज में निर्मित होने वाले सितार और तानपुरा के लिए कर्नाटक के जंगलों से लकड़ी खरीदी जाती है। जबकि महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के मंगलवेधा क्षेत्र से कद्दू खरीदी जाती है। एक माह में 60 से 70 सितार और लगभग 100 तानपुरा बनाये जा सकते हैं।

देश के प्रसिद्ध कलाकार कर चुके हैं मिरज में बने वाद्ययंत्रों का उपयोग: 

  • मोहसिन मिरजकर का दावा है कि उस्ताद अब्दुल करीम खान, दिवंगत पंडित भीमसेन जोशी और राशिद खान मिरज में बने वाद्य यंत्र का उपयोग करते थे। 
  • यही नहीं, शुभा मुद्गल जैसे कलाकारों और फिल्म उद्योग के गायकों जैसे जावेद अली, हरिहरन, सोनू निगम और ए आर रहमान ने मिरज में बने वाद्य यंत्रों का उपयोग किया है।

FAQ

Answer: महाराष्ट्र के सांगली जिले के एक छोटे से कस्बे ‘मिरज’ को

Answer: सितार और तानपुरा

Answer: मिरज म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स क्लस्टर

Answer: सोलट्यून म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट प्रोड्यूसर फर्म
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