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सेबी: 7 कृषि वस्तुओं के वायदा कारोबार पर जनवरी 2025 तक प्रतिबंध

Utkarsh Classes Last Updated 20-12-2024
SEBI:Ban on futures trading  on 7 Agricultural commodities till Jan 25 Economy 6 min read

कमोडिटी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सात कृषि जिंसों (कमोडिटी)- सोयाबीन और उसके डेरिवेटिव, कच्चा पाम तेल, गेहूं, चावल (गैर-बासमती), मूंग, चना और सरसों के बीज के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध जनवरी 2025 तक बढ़ा दिया है।

18 दिसंबर 2024 को जारी सेबी की अधिसूचना के अनुसार, इस कमोडिटी में सट्टेबाजी को रोकने और देश में खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने के लिए ऐसा किया गया है।

दिसंबर 2021 में सेबी ने इन सात कृषि जिंसों में वायदा कारोबार पर एक साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। इसे दिसंबर 2022 में एक साल और फिर दिसंबर 2023 में एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था।

प्रतिबंध के तहत सभी मान्यता प्राप्त कमोडिटी एक्सचेंजों पर नए अनुबंध शुरू करने और मौजूदा अनुबंधों में कारोबार करने पर रोक है।

वायदा बाजार एक ऐसा बाजार है जहां किसी वस्तु की मांग और आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए किसी वस्तु की भविष्य की कीमत का अनुमान लगाने की कोशिश की जाती है।

प्रतिबंध बढ़ाने का कारण

  • सरकार को डर है कि इन कृषि जिंसों के वायदा कारोबार से देश में इन  कृषि जिंसों के दामों में सट्टेबाजी बढ़ेगी  और इनकी कीमतों में उछाल आएगा।
  • इससे देश में खाद्य मुद्रास्फीति और बढ़ेगी।
  • जलवायु परिवर्तन से जुड़ी घटनाओं के कारण भारत में कृषि जिंसों के उत्पादन में उतार-चढ़ाव हो रहा है।
  • इससे कई आवश्यक कृषि जिंसों की कीमतों में उछाल आया है।
  • देश में आवश्यक कृषि जिंसों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत ने गेहूं और चावल के निर्यात पर लगभग प्रतिबंध लगा दिया है।

कमोडिटी बाज़ार क्या है? 

कमोडिटी बाज़ार  वह जगह है जहाँ कमोडिटीज को खरीदा और बेचा जाता  हैं। 

कमोडिटी एक मूर्त वस्तु है जिसका उपयोग अन्य वस्तुओं, जैसे चावल, गेहूँ, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, सोना, चाँदी, आदि के उत्पादन के लिए एक निविष्ट के रूप में किया जाता है। 

कमोडिटीज का कारोबार स्पॉट (नकद ) बाजार- जैसे कि मंडियाँ या वायदा बाजार में डेरिवेटिव के रूप में  होता है। स्पॉट मार्केट या नकद बाजार में, खरीदार विक्रेता को नकद भुगतान करता है और विक्रेता द्वारा खरीदार को मौके पर ही सामान पहुँचाया जाता है। भारत में, स्पॉट मार्केट या नकद बाजार को राज्य सरकार द्वारा विनियमित किया जाता है।

वायदा बाजार

वस्तुओं का वायदा बाजार में डेरिवेटिव अनुबंधों के रूप में कारोबार होता है। भारत में कमोडिटी डेरिवेटिव अनुबंधों का कारोबार किसी कमोडिटी एक्सचेंज या एनएसई और बीएसई जैसे पारंपरिक स्टॉक एक्सचेंजों पर कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए स्थापित एक अलग समर्पित प्लेटफॉर्म पर किया जाता है।

वायदा बाजार एक ऐसा बाजार  है, जहां निवेशक एक निर्दिष्ट भविष्य की तारीख पर डिलीवरी के लिए कमोडिटी और फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट खरीदते और बेचते हैं।

फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट खरीदार और विक्रेता के बीच एक अनुबंध है, जहां खरीदार भविष्य में एक निर्दिष्ट तिथि पर पूर्व-निर्धारित मूल्य पर डेरिवेटिव खरीदने के लिए सहमत होता है।

भारत में कमोडिटी बाजार का नियामक

सेबी ने 28 सितंबर 2015 से कमोडिटी डेरिवेटिव बाजार को विनियमित किया है। इससे पहले, इसे फॉरवर्ड मार्केट कमीशन द्वारा विनियमित किया जाता था, जिसे बाद में समाप्त कर दिया गया और इसकी शक्ति सेबी को हस्तांतरित कर दी गई।

भारत में मान्यता प्राप्त कमोडिटी एक्सचेंज

भारत में वर्तमान में तीन कमोडिटी एक्सचेंज हैं जो सेबी द्वारा विनियमित हैं।

क्र.सं

कमोडिटी एक्सचेंज का नाम 

मुख्यालय

वे खंड जिनमें व्यापार की अनुमति है 

  1.  

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एमसीएक्स)

यह भारत में स्थापित होने वाला पहला कमोडिटी एक्सचेंज है। 

इसका परिचालन नवंबर 2003 में शुरू हुआ।

मुंबई 

कमोडिटी डेरिवेटिव 

  1.  

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स

इसका परिचालन दिसंबर 2003 में शुरू हुआ।

मुंबई 

कमोडिटी डेरिवेटिव 

  1.  

इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड (आईसीईएक्स)

इसका परिचालन 2015 में शुरू हुआ।

मुंबई 

कमोडिटी डेरिवेटिव 


सेबी की अध्यक्ष: माधबी पुरी बुच

सेबी का मुख्यालय: मुंबई

FAQ

उत्तर: भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी)

उत्तर: सोयाबीन और इसके डेरिवेटिव, कच्चा पाम तेल, गेहूं, चावल (गैर-बासमती), मूंग, चना और सरसों के बीज

उत्तर: 28 सितंबर 2015 से सेबी

उत्तर: माधबी पुरी बुच
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