केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई 2024 को अपना लगातार सातवां बजट पेश किया। लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद यह नरेंद्र मोदी सरकार का पहला बजट था। रेलवे के लिए आवंटित अधिकांश बजट राशि रेलवे सुरक्षा बढ़ाने के लिए रखा गया है।
2024-25 बजट में रेलवे को लेकर प्रावधान
वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कुल आवंटन 2,52,000 करोड़ रुपये है जबकि 2023-24 में यह राशि 2,40,200 करोड़ थी । पिछले साल की तुलना में इसमे लगभग 5% की वृद्धि है।
आम चुनाव 2024 से ठीक पहले निर्मला सीतारमण द्वारा पेश अंतरिम बजट 2024-25 के बाद से रेलवे के लिए बजटीय आवंटन राशि में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।
कुल आवंटन में से 1.08 लाख करोड़ रुपये रेलवे सुरक्षा पर खर्च किया जाएगा । इस पैसे का उपयोग पुराने रेलवे ट्रैक को उन्नत करने, भारतीय रेलवे की सिग्नलिंग प्रणाली में सुधार करने, फ्लाईओवर और अंडरपास बनाने और भारतीय रेलवे नेटवर्क पर कवच प्रणाली स्थापित करने के लिए किया जाएगा।
कवच सुरक्षा प्रणाली को स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। कवच प्रणाली में ट्रेनों के ब्रेक को नियंत्रित करने और ड्राइवरों को सचेत करने के लिए ट्रेन के इंजन, सिग्नलिंग सिस्टम और रेल पटरियों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगाए जाते हैं। यदि ट्रेन निर्धारित गति सीमा से अधिक तेज़ चलती है और ड्राइवर हस्तक्षेप करने में विफल रहता है तो सिस्टम स्वचालित रूप से ट्रेन के ब्रेकिंग तंत्र को सक्रिय कर देता है और ट्रेन को रोक देता है।
भारतीय रेलवे ने पिछले एक दशक में 31,180 किलोमीटर पटरियाँ चालू किया है। 2013-14 में प्रतिदिन 4 किलोमीटर ट्रैक बिछाया जाता था, जो अब 2023-24 में बढ़कर 14.54 किलोमीटर प्रतिदिन हो गया है।
2014 से 2024 तक, भारतीय रेलवे ने 41,655 रूट किलोमीटर (आरकेएम) का विद्युतीकरण किया है। 2014 तक 21,413 आरकेएम का विद्युतीकरण किया गया।
रेल मंत्रालय का लक्ष्य जुलाई 2024 तक अपने ब्रॉड गेज नेटवर्क का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण करना है।
रेल मार्ग के विद्युतीकरण का इतिहास
माल लदान का लक्ष्य
भारतीय रेलवे मालगाड़ी सेवाओं से लाभ कमाता है, जबकि यात्री सेवा घाटे में है।
2023-24 में रेलवे ने 1588 मीट्रिक टन माल लदान हासिल किया।
भारतीय रेलवे ने 2030 तक 3000 मीट्रिक टन माल लदान का लक्ष्य रखा है।
उम्मीद है की डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (समर्पित माल गलियारे ) रेलवे को इस माल लदान लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा।
2024-25 के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (डीएफ़सीसी) को आवंटन: 8,155 करोड़ रुपये (पिछले साल, यह 27,482 करोड़ रुपये था)।
इस धनराशि का उपयोग मुख्य रूप से पश्चिमी समर्पित माल गलियारे के निर्माण को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
रेलवे बजट 2005-06 में समर्पित माल गलियारे परियोजना की घोषणा की गई थी । इसमें मालगाड़ियों के लिए एक अलग रेलवे पटरी बनाने का प्रस्ताव रखा गया, जिस पर सिर्फ मालगाड़ियाँ 75 किमी प्रति घंटे से अधिक की औसत गति से चल सकें।
रेल मंत्रालय ने परियोजना को लागू करने के लिए 2006 में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफ़सीसीआईएल ) की स्थापना की।
समर्पित माल गलियारे के दो घटक हैं: पूर्वी और पश्चिमी।
पूर्वी समर्पित माल गलियारा -
पश्चिमी समर्पित माल गलियारा -
जापान और विश्व बैंक भारत में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना का एक प्रमुख वित्तपोषक है।
नया समर्पित माल गलियारा
2010-11 के रेलवे बजट में, सरकार ने तीन और समर्पित माल गलियारों की घोषणा की हैं जो हैं ;
रेल मंत्रालय ने 2024-25 में 2,500 नए यात्री कोचों के निर्माण की घोषणा की है ।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 10,000 से अधिक 2,500 नए यात्री कोचों के निर्माण की घोषणा की।
भारतीय रेलवे अपने यात्री डिब्बों का निर्माण तीन कारखानो में करती है जो हैं :