संगीत नगरी ग्वालियर में 'तबला दरबार' में 1500 लोगों ने एकसाथ तबला वादन किया, जिससे एक ही समय में सबसे अधिक व्यक्तियों द्वारा तबला वादन करने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया। इस ऐतिहासिक समारोह का प्रदर्शन, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की उपस्थिति में किया गया। मुख्यमंत्री श्री यादव ने घोषणा की कि 25 दिसम्बर को 'तबला दिवस' के रूप में मनाया जायेगा।
कार्यक्रम का विवरण
- 'तबला दरबार' उत्सव कार्यक्रम 25 दिसंबर की शाम को ग्वालियर किले के कर्ण महल में आयोजित किया गया था।
- ग्वालियर किले में 'तबला दरबार' प्रदर्शन की निगरानी और रिकॉर्ड करने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की तीन सदस्यीय टीम मौजूद थी।
- यह संगीत कार्यक्रम, ग्वालियर में वार्षिक रूप से आयोजित होने वाले 'तानसेन समारोह' के संगीत समारोह का हिस्सा था।
- 'तबला दरबार' कार्यक्रम में भाग लेने वाले स्थानीय कलाकार, रिकॉर्ड स्थापित करने वाले इस कार्यक्रम में प्रदर्शन के लिए ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर संगीत विश्वविद्यालय में लगातार प्रशिक्षण ले रहे थे।
ग्वालियर-संगीत का शहर
- मध्य प्रदेश के शहर ग्वालियर को संस्कृति और रचनात्मकता के प्रति उत्कृष्ट प्रतिबद्धता के लिए यूनेस्को के क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क (यूसीसीएन) में शामिल किया गया है।
- ग्वालियर घराने का संगीत ग्वालियर के पूर्व राजघरानों जैसे राजा मानसिंह और सिंधिया के संरक्षण में फला-फूला।
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर को 'संगीत के रचनात्मक शहर' के रूप में नामित किया है।
- तानसेन का जन्म ग्वालियर में हुआ था।
- भारत के सबसे बड़े वार्षिक संगीत समारोहों में से एक, तानसेन संगीत समारोह, ग्वालियर में आयोजित किया जाता है।
तानसेन समारोह
- वार्षिक पाँच दिवसीय संगीत समारोह 'तानसेन समारोह' का यह 99वां आयोजन है।
- यह महोत्सव 16वीं सदी के महान संगीतकार तानसेन का सम्मान करता है।
- इसका आयोजन, संस्कृति विभाग की उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी द्वारा जिला प्रशासन ग्वालियर के सहयोग से किया जा रहा है।
तानसेन
- तानसेन, एक कवि और संगीतकार, ग्वालियर घराने के शुरुआती शिष्यों में से एक थे।
- उन्होंने 16वीं शताब्दी की शुरुआत में स्वामी हरिदास के मार्गदर्शन में संगीत और गायन का अध्ययन किया, जो ध्रुपद गाते थे लेकिन अपनी कविता, विष्णु के बजाय कृष्ण को समर्पित करते थे।
- तानसेन ने प्रसिद्ध सूफी संत मोहम्मद गौस के मार्गदर्शन में ग्वालियर घराने के संगीत की तकनीकी और बारीकियों का अध्ययन किया और उसमें महारत हासिल की, और उन्होंने कई वर्षों तक मध्य प्रदेश के रीवा के राजा राम चंद्र सिंह के दरबारी संगीतकार के रूप में काम किया।
- तानसेन ने संगीत क्षमता और ज्ञान के दमखम पर पूरे देश में ख्याति अर्जित की, जिसे सुनकर अकबर ने उन्हें मुगल दरबार में अपने दरबारी संगीतकारों के रूप शामिल होने का अनुरोध किया।