उत्तर प्रदेश के मेरठ में सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) और अन्य अवसंरचना के विकास के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), उत्तर प्रदेश जल निगम और मैसर्स मेरठ एसटीपी प्रा. लिमिटेड के मध्य एक त्रिपक्षीय समझौता किया गया।
इस त्रिपक्षीय समझौता पर नई दिल्ली में एनएमसीजी के महानिदेशक की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
परियोजना को 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य:
- हाइब्रिड वार्षिकी पीपीपी मोड के अंतर्गत इस परियोजना की कुल लागत 369.74 करोड़ रुपये है और इसे दिसंबर, 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने 220 एमएलडी की कुल क्षमता वाले सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) का निर्माण करने के लिए परियोजना को मंजूरी प्रदान की है। इसमें इंटरसेप्शन एंड डायवर्सन (आई एंड डी) संरचनाओं का विकास, आई एंड डी नेटवर्क बिछाना, 15 वर्षों के लिए परिचालन एवं रखरखाव सहित सीवेज पंपिंग स्टेशन आदि जैसे अन्य निर्माण कार्य भी शामिल हैं।
परियोजना का उद्देश्य:
- इस परियोजना का उद्देश्य मेरठ शहर में वर्तमान सीवेज समस्याओं और इसके कारण काली नदी में सीवेज प्रदूषण की समस्या का समाधान करना है।
परियोजना से लाभ:
- इस परियोजना के पूर्ण होने के बाद, मेरठ शहर से काली नदी (पूर्व) में अनुपचारित सीवेज का निर्वहन नहीं होगा, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी।
- काली नदी (पूर्व) कन्नौज के निकट गंगा नदी से मिलती है और इस परियोजना के पूरा होने से गंगा नदी के प्रदूषण में भी कमी लाने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी):
- एनएमसीजी को अगस्त 2011 को सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।
- एनएमसीजी राष्ट्रीय गंगा परिषद की कार्यान्वयन शाखा के रूप में कार्य करता है।
एनएमसीजी के कार्य:
- एनएमसीजी के प्रमुख कार्यों को निम्न बिन्दुओं में समाहित किया जा सकता है:
- राष्ट्रीय गंगा परिषद के कार्यक्रम को क्रियान्वित करना।
- विश्व बैंक द्वारा समर्थित गंगा नदी घाटी परियोजना का क्रियान्वयन।
- प्राकृतिक मौसम परिवर्तन में बदलाव के बिना जल प्रवाह की निरंतरता बनाए रखना।
- सतही प्रवाह और भूजल को बढ़ाना तथा उसे बनाए रखना।
- क्षेत्र की प्राकृतिक वनस्पतियों के पुनर्जीवन और उनका रखरखाव करना।
- गंगा नदी बेसिन की जलीय जैव विविधता के साथ-साथ तटवर्ती जैव विविधता को संरक्षित और पुनर्जीवित करना।
- नदी के संरक्षण, कायाकल्प और प्रबंधन की प्रक्रिया में जनता की भागीदारी भागीदारी को बढ़ाना है।
- ऐसे सभी कार्य करना जो राष्ट्रीय गंगा परिषद के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक होते हैं।