भारत में प्रति वर्ष 1 अगस्त को मुस्लिम महिला अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का आयोजन तीन तलाक के विरुद्ध भारत सरकार द्वारा कानून बनने की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया जाता है।
केंद्र सरकार ने 1 अगस्त 2019 को ‘तीन तलाक या तलाके बिद्दत’ को कानूनी अपराध घोषित किया था। “तीन तलाक” के कानूनी अपराध बनाये जाने के बाद से इसमें बड़े पैमाने पर तीन तलाक की घटनाओं में कमीं आई है।
सरकार ने तीन तलाक कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं को एक तरफा तलाक की शर्तों जैसे सामाजिक बुराई से मुक्ति दिलाया है।
भारत में मुस्लिम महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए शाह बानो बेगम बनाम मो. अहमद खान’, और ‘शायरा बानो बनाम भारत संघ’ ने सरकार के इस कदम की आधारशिला रखी।
इनके द्वारा अपनी रिट याचिका में उच्चतम न्यायालय से मुस्लिम समाज में व्याप्त तीन प्रथाओं यथा - तलाक-ए-बिद्दत, बहुविवाह और निकाह-हलाला को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई थी।
क्योंकि मुस्लिम समाज में व्याप्त इस तरह की प्रथाओं से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 आदि के प्रावधानों का उल्लंघन होता है।
तीन तलाक कानून
तीन तलाक को तलाक-ए-बिद्दत भी कहा जाता है। इसके तहत पूर्व में एक मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक बोल कर या फोन, मैसेज, मेल या पत्र के जरिए तीन तलाक दे देता था तो उसका शीघ्र ही तलाक हो जाता था।
परन्तु अब इसपर केंद्र द्वारा कानून बनाने से इस गतिविधि में काफी कमी आई है। क्योंकि इस कानून पारित होने से तीन तलाक के मामलों में 82% की कमी आई है।
इसके तहत तलाक की घोषणा को संज्ञेय अपराध माना जाएगा। इसके तहत दण्ड के रूप में 3 साल कैद की सजा का प्रावधान है।
जब से कानून पारित हुआ है, तीन तलाक के मामलों में 82% की कमी आई है।
तीन तलाक प्रथा विश्व के मिस्र (1929), सूडान, पाकिस्तान (1956), मलेशिया (1969), बांग्लादेश (1972), इराक (1959) सीरिया (1953) जैसे बड़े-बड़े मुस्लिम देशों में भी प्रतिबंधित है।