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डीआरडीओ लैब जोधपुर द्वारा विकसित एमआर-एमओसीआर, भारतीय नौसेना को सौंपा गया

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
MR-MOCR developed by DRDO Lab Jodhpur, Handed to the Indian Navy Rajasthan 4 min read

अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की जोधपुर प्रयोगशाला द्वारा विकसित मध्यम दूरी के माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट (एमआर-एमओसीआर) को 26 जून 2024 को नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया।

समारोह में, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने भारतीय नौसेना के नौसेना आयुध निरीक्षण के महानिदेशक रियर एडमिरल ब्रिजेश वशिष्ठ को एमआर-एमओसीआर सौंपा। 

मीडियम रेंज-माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट (एमआर-एमओसीआर)) की विशेषता

डीआरडीओ द्वारा विकसित मध्यम दूरी के माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट ( एमआर- एमओसीआर) भारतीय नौसेना की रक्षात्मक क्षमता को बढ़ाएगा। एमआर-एमओसीआर एक विशिष्ट तकनीक है जो अद्वितीय माइक्रोवेव अस्पष्टता गुणों वाले एक विशेष प्रकार के फाइबर को एकीकृत करती है। यह रडार संकेतों को छिपाने में मदद करता है और भारतीय नौसेना के प्लेटफार्मों और संपत्तियों के चारों ओर एक माइक्रोवेव ढाल बनाता है। इससे दुश्मन सेना द्वारा भारतीय नौसेना के रडार का पता लगाने की संभावना बहुत ही कम हो जाएगी।

डीआरडीओ द्वारा विकसित एमआर-एमसीओआर मध्यम दूरी के रॉकेट को दागता है  जो एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में माइक्रोवेव अस्पष्ट बादल बनाते हैं। पर्याप्त समय तक बने रहने वाले बादल, रेडियो फ्रीक्वेंसी साधक उपकरण से युक्त दुश्मन के खिलाफ एक ढाल बनाते हैं। यह दुश्मन के रेडियो फ्रीक्वेंसी साधक उपकरण से निकलने वाली  रेडियो फ्रीक्वेंसी को अवरुद्ध कर देता है इस कारण वे  भारतीय नौसेना के प्लेटफार्मों और संपत्तियों के स्थान का पता नहीं लगा पाएंगे।

यह तकनीक भारतीय नौसेना की रक्षात्मक क्षमता को बल देगी।

डीआरडीओ ने व्यापक परीक्षणों के बाद एमआर-एमसीओआर को भारतीय नौसेना को सौंप दिया। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एमआर-एमओसीआर के सफल विकास पर डीआरडीओ को बधाई दी।

डीआरडीओ की स्थापना 1958 में केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के तहत एक प्रमुख अनुसंधान और विकास संगठन के रूप में की गई थी। इसकी स्थापना भारतीय सशस्त्र बलों के लिए नई अत्याधुनिक हथियार प्रणाली विकसित करने और भारत को महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाने के लिए की गई थी।

डीआरडीओ का मुख्यालय नई दिल्ली में है।

डीआरडीओ जोधपुर प्रयोगशाला 

डीआरडीओ की जोधपुर प्रयोगशाला मई 1959 में स्थापित की गई थी। शुरुआत में इसकी स्थापना रेगिस्तानी युद्ध के लिए विकसित हथियारों के अनुसंधान और परीक्षण करने के लिए की गई थी। बाद में, प्रयोगशाला के कार्यक्षेत्र में  - छलावरण, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार, जल और गुणवत्ता प्रबंधन, परिवहन और नेविगेशन प्रणाली, हथियार, गोला-बारूद और गतिविधि के भंडारण क्षेत्रों में अनुसंधान को शामिल कर दिया गया।
डीआरडीओ की जोधपुर प्रयोगशाला के निदेशक: आर वी हर प्रसाद

FAQ

उत्तर : भारतीय नौसेना

उत्तर : डीआरडीओ की जोधपुर प्रयोगशाला।

उत्तर: मई 1959।

उत्तर : आरवी हारा प्रसाद

उत्तर: डॉ समीर वी कामत
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