कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य के लोगों को 68वें राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य भर में एक राज्योत्सव का भी शुभारंभ किया।
कर्नाटक राज्य का गठन:
- कर्नाटक राज्य का गठन 1 नवंबर, 1956 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत किया गया था। कर्नाटक पूर्व में मैसूर राज्य कहलाता था। 1 नवंबर, 1973 में मैसूर राज्य का पुनर्नामकरण कर कर्नाटक कर दिया गया।
कर्नाटक के पुनर्नामकरण का 50वां वर्ष:
- 1 नवंबर, 1973 को राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक किए जाने का 1 नवंबर, 2023 को 50वां वर्ष है।
कर्नाटक शब्द की उत्पत्ति:
- कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात् काली या ऊँची और नाडु अर्थात् भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से हुआ है, जिसके संयोजन से बने शब्द "करुनाडु" का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश।
- काला शब्द यहाँ के बयलुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊँचा शब्द की उत्पत्ती दक्कन की पठारी भूमि से हुई है।
- ब्रिटिश राज में इसके लिए कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिए प्रयुक्त होता था जो मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है।
- कर्नाटक का गठन तब हुआ जब भारत के सभी कन्नड़-भाषी क्षेत्रों को एक साथ मिलाकर एक राज्य बनाया गया।
1 नवंबर को भारत के सात राज्य मना रहे अपना स्थापना दिवस:
- 1 नवंबर को कर्नाटक के अलावा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, मध्य प्रदेश, पंजाब, लक्षद्वीप और पुडुचेरी भी अपना स्थापना दिवस मना रहे हैं।
आधुनिक कर्नाटक राज्य की उत्पत्ति:
- आज का कर्नाटक राज्य आजादी के समय 20 से भी अधिक भिन्न-भिन्न प्रान्तों में विभाजित था, जिनमें मद्रास, बॉम्बे प्रेसीडेंसी और निज़ामो की हैदराबाद रियासत भी शामिल थीं।
- लेकिन स्वतंत्रता के बाद, जब 1953 में आंध्र प्रदेश बना तो मद्रास के कई जिले मैसूर राज्य में मिला दिए गये। इससे लोगों में हिंसा की आग भड़क उठी और उनका आन्दोलन विद्रोह पर उतर आया।
- अंततः सरकार ने भाषायी आधार पर 1 नवंबर 1956 को स्टेट ऑफ़ मैसूर की स्थापना की। इसमें सभी कन्नड़ भाषी क्षेत्रों को एक ही राज्य में विलय कर दिया गया।
- वर्ष 1973 में इसका नाम स्टेट ऑफ़ मैसूर से बदल कर कर्नाटक रखा गया। उस समय राज्य के मुख्यमंत्री देवराज उर्स थे।
आंध्र प्रदेश:
- आंध्र प्रदेश का गठन 1 नवंबर 1956 को हुआ।
- 02 जून 2014 को आंध्र प्रदेश से पृथक करके तेलंगाना राज्य बना।
मध्य प्रदेश:
- इस राज्य की स्थापना 1 नवंबर 1956 को ही हुई थी।
- देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य मध्य प्रदेश की स्थापना तत्कालीन भारत सरकार के लिए सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण रही थीं। जिसका मुख्य कारण था चार प्रान्त- मध्य प्रांत, बरार प्रान्त, विंध्य प्रदेश और भोपाल को जोड़कर ही एक राज्य बनाना था।
- इन बड़े प्रान्तों में रहने वाली जनता अलग-अलग विचार, जीवनशैली, खान-पान, रहन-सहन, लोक संस्कृति और आचार-विचार से ताल्लुक रखती थी, बहुत-सी बहस और विचार-विमर्श के बाद आखिरकार मध्य-प्रदेश का गठन किया गया।
- पुनर्गठन के पहले इसे मध्य भारत के नाम से भी जाना जाता था।
छत्तीसगढ़:
- स्थापना: 1 नवंबर 2000 को हुई।
- छत्तीसगढ़ को भगवान श्री राम का ननिहाल ‘दक्षिण कौशल’ प्रांत के रूप में भी जाना जाता है।
- वर्ष 1956 में इस प्रान्त का विलय वर्तमान मध्य-प्रदेश में कर दिया गया था।
- परन्तु, शेष सभी राज्यों की तरह मध्य-प्रदेश का गठन भाषा के आधार पर नहीं हुआ था।
- उस समय इसमें 36 गढ़ समाहित थे, और यहाँ पर सभी लोग छत्तीसगढ़ी और गोंड भाषा बोलते थे। जिसके चलते छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने की माँग स्वतंत्रता से पहले ही उठ रही थी।
- छत्तीसगढ़ के गठन के साथ ही अजित जोगी को इसका पहला मुख्यमंत्री बनाया गया।
हरियाणा:
- वर्ष 1950 से भाषायी (पंजाबी, हिंदी, पहाड़ी) आधार पर उठी राज्य-निर्माण की माँग के चलते 'पंजाब पुनर्गठन विधेयक, 1966' के अनुसार 1 नवंबर, 1966 को 'हरियाणा' राज्य के रूप में एक नये राज्य का उदय हुआ।
- अब पंजाबी भाषी सिक्ख पंजाब के और हिंदी भाषी हिंदू, हरियाणा राज्य का हिस्सा बन गए। जहाँ पहाड़ी बोली, बोली जाती थी, उस भाग को हिमाचल प्रदेश में मिला दिया गया।
- पुनर्गठन के समय चंडीगढ़ पर हरियाणा और पंजाब, दोनों ने ही अपना अधिकार जताया।
इसलिए, चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया जो कि वर्तमान में दोनों राज्यों की राजधानी के रूप में जाना जाता है।