इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2024: तिथि, विषय और इतिहास
Utkarsh ClassesLast Updated
07-02-2025
Important Day
3 min read
प्रति वर्ष 15 मार्च को इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। कई देशों में मुसलमानों को अक्सर उनकी धार्मिक मान्यताओं के आधार पर भेदभाव और नफरत का सामना करना पड़ता है।
इस अवसर पर दुनिया भर के उन लोगों पर ध्यान आकर्षित किया जाता हैं जिन्हें इस्लाम धर्म में परिवर्तित होने या मुस्लिम माने जाने के कारण परेशान किया जाता है। उन्हें मुस्लिम होने मात्र के लिए हिरासत में लिया जाता है।
इस्लामोफोबिया के बारे में:
इस्लामोफोबिया, मुसलमानों के प्रति एक डर, पूर्वाग्रह और नफरत है। यह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों दुनिया में मुसलमानों और गैर-मुसलमानों को धमकी, उत्पीड़न, दुर्व्यवहार, उत्तेजना के माध्यम से उकसावे, शत्रुता और असहिष्णुता की ओर ले जाता है।
यह भावना, संस्थागत, वैचारिक, राजनीतिक और धार्मिक शत्रुता से प्रेरित होकर संरचनात्मक और सांस्कृतिक नस्लवाद में बदल जाती है।
‘इस्लामोफोबिया’ शब्द की अंतर्राष्ट्रीय कानून में कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है, जो धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता के विपरीत हो।
इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2024 का विषय:
इस वर्ष 2024 में इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने के लिए किसी विशेष थीम का चुनाव नहीं किया गया है।
इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस का इतिहास:
वर्ष 2022 में, संयुक्त राष्ट्र ने 15 मार्च को इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया था। प्रथम इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस वर्ष 2023 में मनाया गया।
इस तिथि को न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में दो मस्जिदों पर हुए आतंकवादी हमलों में मारे गए लोगों को श्रंद्धाजलि अर्पित करते हुए इस दिन को इस्लामोफोबिया दिवस के रूप मनाने का निर्णय लिया गया।
15 मार्च 2020 को ब्रेंटन टैरंट नामक एक बंदूकधारी ने दो मस्जिदों में 51 मुस्लिम उपासकों की हत्या कर दी और अन्य 40 को घायल कर दिया।
अंतर्राष्ट्रीय इस्लामोफोबिया दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य:
वर्ष 2022 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए 15 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में स्थापित करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है। इसे पाकिस्तान द्वारा इस्लामिक सहयोग संगठन की ओर से प्रस्तुत किया गया था।
इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित किया गया। जिसे लेकर भारत द्वारा चिंता व्यक्त की गई है।
अंतर्राष्ट्रीय इस्लामोफोबिया दिवस प्रस्ताव के प्रमुख बिंदु:
इस प्रस्ताव/संकल्प को 193 सदस्यीय वैश्विक निकाय द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया, जो कि मुख्य रूप से 55 मुस्लिम देशों द्वारा प्रायोजित है।
यह प्रस्ताव सभी देशों, संयुक्त राष्ट्र निकायों, अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों आदि से इस्लामोफोबिया को रोकने के बारे में सभी स्तरों पर प्रभावी ढंग से जागरूकता बढ़ाने का आह्वान करता है।
यह प्रस्ताव धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता के अधिकार पर ज़ोर देता है। वर्ष 1981 के एक संकल्प को दोहराता है जिसमें "धर्म या आस्था के आधार पर सभी प्रकार की असहिष्णुता एवं भेदभाव को समाप्त करने" का आह्वान किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय इस्लामोफोबिया दिवस पर भारत का पक्ष:
भारत ने एक विशेष धर्म को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के स्तर तक बढ़ावा दिये जाने के विरुद्ध चिंता व्यक्त की है। धार्मिक फोबिया के समकालीन रूप बढ़ रहे हैं, जिसमें विशेष रूप से हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी फोबिया शामिल हैं।
इस प्रस्ताव पर भारत ने यह भी उद्धृत किया कि इसमें 'बहुलवाद' शब्द का कोई उल्लेख नहीं है।
FAQ
उत्तर: 15 मार्च
उत्तर: 2023
उत्तर: इसे पाकिस्तान द्वारा इस्लामिक सहयोग संगठन की ओर से प्रस्तुत किया गया था।
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