महिला जननांग विकृति के प्रति शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2024
Utkarsh ClassesLast Updated
07-02-2025
Important Day
5 min read
प्रति वर्ष 6 फरवरी को महिला जननांग विकृति के विरुद्ध शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन डे (एफजीएम) को मनाने का मुख्य उद्देश्य महिला जननांग विकृति को पूर्णतः समाप्त कर महिलाओं को सम्मान दिलाना है।
फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन डे 2024 का थीम:
6 फरवरी 2024को मनाए जाने वाले फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन डे के लिए शून्य सहनशीलता अंतर्राष्ट्रीय दिवस की थीम ‘उसकी आवाज उसका भविष्य’ है।
फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन के बारे में:
सामान्यतः फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन को महिलाओं का खतना भी कहा जाता है। इसमें महिलाओं के जननांग को आंशिक या पूरी तरह से काट दिया जाता है।
यह प्रथा महिलाओं के यौन स्वास्थ्य और मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन करती है। इस प्रथा से उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है।
यह प्रथा महिलाओं को यौन सुख से वंचित करती है और उन्हें सामाजिक रूप से अलग-थलग भी करती है।
कहाँ प्रचलित है एफजीएम प्रथा?
यह कूप्रथा कई देशों में प्रचलित है, विशेषकर अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व में यह अधिक देखने को मिलती है।
एक आंकड़े के अनुसार अमेरिका में तकरीबन 5,00,000 से अधिक लड़कियों और महिलाओं को एफजीएम से गुजरना पड़ा है।
इससे तीन महाद्वीपों के 31 देशों में कम से कम 200 मिलियन लड़कियां और महिलाएं जननांग विकृति से पीड़ित हैं। इनमें आधे से ज्यादा पीड़ित मिस्र, इथियोपिया और इंडोनेशिया में रहते हैं।
यूएनएफपीए के मुताबिक सालाना 4 मिलियन से अधिक लड़कियों को एफजीएम से गुजरने का खतरा होता है। 15 वर्ष की आयु से पहले ही ज्यादातर लड़कियों का एफजीएम का खतरा रहता है।
इसके अलावा यूरोप में भी 60,000 महिलाओं के जननांग को विकृत किया गया। 67,000 से अधिक महिलाओं पर इसका खतरा बना हुआ है।
ऑस्ट्रेलिया में 50,000 या उससे ज्यादा महिलाओं को एफजीएम का सामना करना पड़ रहा है।
जर्मनी में 70,000 से ज्यादा और ब्रिटेन में 1,37,000 महिलाएं इस कुप्रथा का शिकार हुई।
एफजीएम डे का महत्व:
समाज में सदियों से महिलाओं के विरुद्ध कई कुप्रथा चली आ रही है।
एफजीएम महिलाओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है और कभी-कभी दर्द के चलते उनकी मृत्यु भी हो जाती है।
प्रति वर्ष इस दिवस का आयोजन का उद्देश्य एफजीएम के विरुद्ध लोगों को जागरूक करना है। महिलाओं के अधिकारों और उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए लड़ना सभी की जिम्मेदारी है। इस कुप्रथा के विरुद्ध आवाज उठाने और महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए जागरूक करने की आवश्यकता है।
एफजीएम दिवस का इतिहास:
इस दिन को मनाने की शुरुआत नाइजीरिया की पूर्व राष्ट्रपति स्टेला ओबसंजो ने की थी।
नाइजीरिया की पूर्व राष्ट्रपति स्टेला, महिला जननांग विकृति के विरुद्ध शून्य सहनशीलता चलाने वाले अभियान की प्रवक्ता भी थीं।
स्टेला ने ही वर्ष 2003 में 6 फरवरी को पहली बार यह दिन मनाने की घोषणा की थी।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस दिन को स्वीकार कर लिया है।
महिला जननांग विकृति को पूर्णतः समाप्त करने का लक्ष्य:
इस दिन की शुरुआत के साथ यह निर्धारित किया गया है कि वर्ष 2030 तक महिला जननांग विकृति कुप्रथा को खत्म कर दिया जाएगा।
एफजीएम के समर्थन में यूनिसेफ का अभियान:
संयुक्त राष्ट जनसंख्या कोष और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने वर्ष 2007 में महिला विकृति उत्पीड़न के विरुद्ध संयुक्त अभियान चलाया।
इसके बाद वर्ष 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित करके 6 फरवरी को महिला जननांग विकृति के खिलाफ शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय महिला जननांग विकृति के विरुद्ध दिवस घोषित किया था।
FAQ
उत्तर:- 6 फरवरी
उत्तर:- ‘उसकी आवाज उसका भविष्य’
उतर:- 2003
उत्तर:- एफजीएम दिवस मनाने की शुरुआत नाइजीरिया की पूर्व राष्ट्रपति स्टेला ओबसंजो ने की थी।
Submit your details to access
Free Questions Booklet
Thank You! Your PDF Resource is Ready for Download
Install the
Utkarsh AppTo Access Your
5 Model Test Papers & Exclusive Offers
Install Now
Get Unlimited Download
To download limitless free study materials, provide your mobile number.
Submit Your Details to Get 25 Coins for FREE!
You're All Set!
25 Coins have been credited to your wallet. Install the UTKARSH app now to redeem and start learning!
DOWNLOAD OUR APP
Utkarsh Classes: Prepare for State & Central Govt Exams
With the trust and confidence of our students, the Utkarsh Mobile App has become a leading educational app on the Google Play Store. We are committed to maintaining this legacy by continually updating the app with unique features to better serve our aspirants.