रक्षा और अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ. समीर कामथ के अनुसार, स्वदेशी रूप से विकसित हल्के टैंक जोरावर को 2027 में भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है। डीआरडीओ को उम्मीद है कि सभी आवश्यक परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे हो जाएंगे, और टैंक को 2027 में भारतीय सेना में शामिल किया जा सकेगा।
डॉ. समीर कामथ ने हाजीरा, गुजरात में टैंक के परीक्षण शुरू होने के बाद ये बाते कहीं।
ज़ोरावर टैंक का डिजाइन और विकास डीआरडीओ के द्वारा किया जा रहा है जिसमे उसका मुख्य: भागीरदार
निजी क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) हैं।
जून 2020 में लद्दाख के गलवान में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच खूनी झड़प के बाद भारत सरकार ने मार्च 2022 में भारतीय सेना के लिए एक हल्के टैंक के विकास को मंजूरी दी थी ।
सरकार की मंजूरी के ढाई साल के भीतर डीआरडीओ ने टैंक का डिजाइन और प्रोटोटाइप विकसित किया है । टैंक के प्रोटोटाइप का गुजरात के हजीरा में बड़े पैमाने पर परीक्षण किया जा रहा है।
जून 2022 में गलवान.लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक गंभीर झड़प में लगभग 20 भारतीय और चार चीनी सैनिक मारे गए थे । इस खूनी झड़प के बाद दोनों देशों ने इस क्षेत्र में अपने सैनिकों की तेजी से तैनाती की ।
सैनिकों की तैनाती के दौरान भारतीय सेना को टैंकों की त्वरित तैनाती की समस्या का सामना करना पड़ा। भारतीय सेना के मौजूदा टैंक बहुत भारी थे और टैंकों को हवाई मार्ग से अग्रिम पंक्ति तक ले जाने में भारी दिक्कतें आ रही थीं।
दूसरे, जो टैंक तैनात किए गए थे, वे ऊंचाई वाले इलाकों के लिए उपयुक्त नहीं पाए गए। भारतीय सेना ने यह भी पाया कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में उन्नत हल्के टैंक तैनात किए थे, जिससे भारतीय सेना के लिए खतरा बड़ गया था।
इस प्रकार, सेना अधिकतम 25 टन वजन वाला एक टैंक चाहती थी जिसे आसानी से लद्दाख में सीमा वाले स्थान पर आसानी से तैनात किया जा सके और ऐसी परिस्थितियों में युद्ध लड़ने के काबिल हो।
भारतीय सेना वर्तमान में तीन प्रकार के टैंक संचालित करती है, रूसी मूल के टी-72 टी-90 टैंक और स्वदेशी रूप से विकसित अर्जुन एमके 1ए। तीनों टैंकों को पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा पर मैदानी इलाकों और रेगिस्तानी परिस्थितियों में लड़ाई लड़ने के लिए डिजाइन किया गया है। ये टैंक भारी भी हैं - अर्जुन टैंक का वजन 68.5 टन, टी-90 का वजन करीब 46 टन और टी-72 का वजन करीब 45 टन है.
ये टैंक उच्च ऊंचाई वाले ऊबड़-खाबड़ इलाकों में लड़ने के लिए जहां तापमान 0 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे चला जाता है के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित नहीं हैं।
भारत सरकार ने चीन-भारत सीमा के लद्दाख क्षेत्र में तैनाती के लिए भारतीय सेना की आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रोजेक्ट ज़ोरावर शुरू किया।
भारत सरकार ने मार्च 2022 में इस परियोजना को मंजूरी दे दी, और डीआरडीओ को भारतीय सेना की विशिष्टताओं के अनुसार टैंक को डिजाइन और विकसित करने का काम सौंपा गया।
इस परियोजना का नाम लद्दाख के विजेता जोरावर सिंह कहलूरिया के नाम पर 'जोरावर' रखा गया, जिन्होंने लद्दाख पर विजय प्राप्त की थी.
19वीं शताब्दी में जम्मू-कश्मीर के शासक महाराजा गुलाब सिंह के वे एक प्रसिद्ध सैन्य कमांडर थे।
प्रोजेक्ट ज़ोरावर के तहत, चीनी खतरे का मुकाबला करने के लिए लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में त्वरित तैनाती और आवाजाही के लिए अधिकतम 25 टन वजन वाला एक हल्का टैंक विकसित किया जा रहा है।
यह टैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस पारंपरिक टैंकों की समान मारक क्षमता, एक सक्रिय सुरक्षा प्रणाली के साथ सामरिक निगरानी ड्रोन के एकीकरण से लैस होगा।
ज़ोरावर टैंक में उभयचर क्षमता होगा जिसके कारण वो है और पूर्वी लद्दाख में नदी क्षेत्रों और पैंगोंग त्सो झील पर आसानी से नेविगेट कर सकता है। पैंगोंग त्सो झील के विवादित इलाके में भारत और चीन की सेनाएं भारी संख्या में तैनात हैं |