राष्ट्र निर्माण को बढ़ावा देने वाले सामाजिक कार्यों में योगदान देने के भारतीय वायु सेना के प्रयास के भाग के रूप में, वायु सेना ने "नि-क्षय मित्र" योजना में अपनी भागीदारी की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
यह "प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (पीएमटीबीएमबीए) के तहत एक पहल है, जिसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया गया है।
- इसका उद्देश्य वर्ष 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले वर्ष 2025 तक टीबी को समाप्त करना है।
- पहली बार 2018 में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त किया "नि-क्षय मित्र" एक पहल है जो टीबी के इलाज करा रहे लोगों को निर्वाचित प्रतिनिधियों, कॉर्पोरेट्स, संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तियों द्वारा अतिरिक्त नैदानिक, पोषण और व्यावसायिक सहायता प्रदान करती है। इससे सफलता से पुनः स्वस्थ होने की दिशा में उनकी यात्रा में मदद मिलेगी।
- इस दिशा में, 23 अगस्त 2023 को केंद्रीय टीबी डिवीजन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू), भारत सरकार, ने दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
- जिसमें भारतीय वायु सेना टीम ने स्वैच्छिक योगदान के माध्यम से एकत्र किए गए 46 लाख रुपये के योगदान को एल.एस. चांगसन, अपर सचिव और मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार को सौंप दिया।
- इस योगदान के माध्यम से, भारतीय वायु सेना ने छह महीने की अवधि के लिए दिल्ली राज्य में इलाज करा रहे 765 रोगियों का सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है।
- भारत सरकार के निर्धारित मानदंडों के अनुसार, सहायता फूड बॉस्केट रूप में होगी और सरकार द्वारा अनुमोदित एनजीओ के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा।
नि-क्षय मित्र/निक्षय पोषण योजना:
- टीबी रोगियों को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए अप्रैल 2018 में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के रूप में निक्षय पोषण योजना आरंभ की गई थी।
- निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोगियों को उपचार की पूरी अवधि के लिए प्रतिमाह 500 रुपए दिए जाते हैं।
- निक्षय पोषण का उद्देश्य पोषण संबंधी आवश्यकताओं के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से प्रति माह 500 रुपए की राशि प्रदान कर टीबी रोगियों की सहायता करना है।
ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) दिवस:
- 24 मार्च को पूरे विश्व में टीबी दिवस मनाया जाता है। इस दिन टीबी यानि तपेदिक रोग के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। दुनियाभर में हर साल करीब सत्रह लाख लोगों की मौत टीबी की वजह से हो जाती है। डब्ल्यूएचओ वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2022 के अनुसार वर्ष 2021 में भारत में 21.4 लाख टीबी के मामले सामने आए थे।
- वर्ष 2021 में भारत में टीबी के मरीजों की संख्या प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 210 पाई गई। आंकड़ों के अनुसार भारत में रोजाना करीब 800 लोगों की मौत टीबी से हो जाती है। वहीं करीब 10 फीसदी मामले बच्चों में पाए जाते हैं लेकिन इनमें से केवल 6 फीसदी मामले ही सामने आते हैं।
- ऐसे में टीबी का शीघ्र पता लगाने और उपचार के लिए पूरे देश में 2021 में 22 करोड़ से अधिक लोगों की टीबी की जांच की गई थी।
2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य
- मार्च 2018 में नई दिल्ली में आयोजित ‘एंड टीबी समिट’ के दौरान, पीएम मोदी ने निर्धारित समय से पांच साल पहले, 2025 तक टीबी से संबंधित एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत का आह्वान किया था।
- वहीं अब भारत के नेतृत्व में 24 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में वन वर्ल्ड टीबी समिट - 2023 का आयोजन किया गया।
- ऐसे में ‘वन वर्ल्ड टीबी समिट’ इन लक्ष्यों पर और आगे विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करेगा क्योंकि भारत लगातार अपने टी.बी. उन्मूलन संबंधी उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
ट्यूबरकुलोसिस (टीबी):
- टीबी यानि तपेदिक एक संक्रामक रोग है। 1882 में टीबी पैदा करने वाले कीटाणु की खोज की गई थी। यह रोग बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होता है। यह अक्सर फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। टीबी को देश से पूरी तरह से खत्म करने का संकल्प केंद्र सरकार ने रखा है। यही वजह है कि नई स्वास्थ्य नीति में 2025 तक टीबी का उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया।