भारत सरकार ने रामसर आद्रभूमि स्थल में चार नए आद्रभूमि स्थल - तमिलनाडु में सक्काराकोट्टई पक्षी अभयारण्य और थेरथंगल पक्षी अभयारण्य, सिक्किम में खेचेओपालरी आद्रभूमि और झारखंड में उधवा झील को शामिल किया गया है। देश में रामसर स्थलों की संख्या अब 89 हो गई है। एशिया में सबसे अधिक रामसर स्थलों की संख्या ,भारत में है और उसके बाद चीन (82 स्थलों) का है।
यूनाइटेड किंगडम (175 स्थल) और मैक्सिको (142 स्थल) के बाद, भारत में दुनिया में रामसर स्थलों की तीसरी सबसे बड़ी संख्या है।
भारत में , रामसर स्थलों की सूची में सबसे ज़्यादा तमिलनाडु में 20 आर्द्रभूमियाँ हैं।
पहली बार झारखंड और सिक्किम के आद्रभूमि स्थलों को रामसर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में चार नई रामसर स्थलों की घोषणा की है।
हाल ही में जोड़ी गई रामसर स्थलों के बारे में
स्थान - तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के रामनाथपुरम तालुक के सक्काराकोट्टई, राजसूर्यामदाई और अचदिपिराम्बु गांवों के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है।
क्षेत्रफल-230.49 हेक्टेयर
विशेषताएँ-
प्रजातियाँ
स्थान - रामनाथपुरम जिले के रामनाथपुरम तालुक के थेरथांगल गांव में स्थित है।
क्षेत्रफल - 29.5 हेक्टेयर
विशेषताएँ
प्रजातियाँ
स्थान- पश्चिम सिक्किम जिले का खेचेओपालरी गांव।
क्षेत्रफल-11.56 हेक्टेयर
विशेषताएँ
प्रजातियाँ
ट्रांस-हिमालयन प्रवासी पक्षी जैसे ग्रेट बारबेट, लंबी पूंछ वाले श्रीके, ग्रीन-बैकड टिट, रूफस सिबिया आदि यहां पाए जाते हैं।
स्थान - साहेबगंज जिला
क्षेत्रफल - 565 हेक्टेयर
विशेषताएँ
इस झील में दो जल निकाय हैं - पटौरन (155 हेक्टेयर) और बेरहेल (410 हेक्टेयर)।
वे एक जल मार्ग द्वारा आपस में जुड़े हुए हैं।
प्रजातियाँ
आर्द्रभूमि जिसे दलदल भी कहा जाता है, वह भूमि क्षेत्र हैं जो वर्ष भर या वर्ष के कुछ समय तक पानी से ढके रहते हैं ।
आर्द्रभूमि में विविध पारिस्थितिक तंत्रों पाये जाते हैं। आर्द्रभूमि बाढ़ को रोकने, तटीय क्षेत्रों को तूफानों से बचाव करने , भूजल जलभृतों भूजल का पुनर्भरण, पानी की गुणवत्ता में सुधार करने में, एक कार्बन सिंक के रूप में तथा मनुष्यों के लिए भोजन और सामान के स्रोतों जैसी प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि क्षेत्रों की रक्षा के लिए, 1971 में ईरानी शहर रामसर में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। सभी देश इन आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए उपायों पर सहमत हुए। इस सम्मेलन को आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन के रूप में जाना जाता है।
सदस्य देश रामसार सम्मेलन के दिशानिर्देशों और मानदंडों के अनुसार अपने देश में स्थित आर्द्रभूमि को अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि घोषित कर सकते हैं।
भारत ने 1 फरवरी 1982 को रामसर सम्मेलन की पुष्टि की।
प्रथम भारतीय आर्द्रभूमि स्थल- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) और चिल्का झील (ओडिशा), 1981 में।
तमिलनाडु में सबसे ज़्यादा 20 रामसार स्थल हैं।
सबसे बड़ा रामसर स्थल: पश्चिम बंगाल का सुंदरबन
सबसे छोटा रामसर: हिमाचल प्रदेश में रेणुका
उदयपुर और इंदौर वेटलैंड सिटी प्रमाणन प्राप्त शहरों की सूची में शामिल