केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने 'इंडिया मेडटेक एक्सपो 2023' के पूर्वावलोकन कार्यक्रम में बताया की भारत 2050 तक चिकित्सा प्रौद्योगिकी और उपकरणों का वैश्विक केंद्र बनने हेतु पूर्णतः तैयार है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने 'इंडिया मेडटेक एक्सपो 2023' के पूर्वावलोकन कार्यक्रम को संबंधित करते हुए यह जानकारी दी।
यह कार्यक्रम 17 से 19 अगस्त, 2023 तक गुजरात के गांधीनगर में जी-20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक के दौरान आयोजित किया जाएगा।
डॉ. मांडविया ने कहा कि चिकित्सा उपकरण क्षेत्र देश के उभरते क्षेत्रों में प्रमुख है। इस सन्दर्भ में उन्होंने आशा व्यक्त की कि 1.5 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी के साथ अगले 25 वर्षों में भारत की बाजार हिस्सेदारी 10-12 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।
हाल ही में आरंभ की गई राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2023 के प्रभावी कार्यान्वयन से 2030 तक चिकित्सा उपकरणों के विकास को वर्तमान 11 बिलियन डॉलर से बढ़कर 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद की जा सकती है।
43 महत्वपूर्ण एपीआई का उत्पादन:
सरकार द्वारा आरंभ की गई उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी कई नई पहलों से देश में 43 महत्वपूर्ण सक्रिय दवा घटक (एपीआई) का उत्पादन किया जा रहा है। पहले इसका विदेशों से आयात किया जाता था। सरकार इस क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश में थोक दवा पार्क और चिकित्सा उपकरण पार्क भी बना रही है।
मेडटेक एक्सपो 2023 चिकित्सा और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं, दवाओं, उपकरणों और सुविधाओं में भारत के नवाचारों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करेगा। इस आयोजन से भारत के चिकित्सा उपकरणों के पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में विश्व के अन्य देशों को भी जानकारी मिलेगी और यह एक ब्रांड पहचान कायम कर सकेगा।
चिकित्सा उपकरणों के निर्माण हेतु चार नए औद्योगिक पार्क:
चिकित्सा उपकरणों के निर्माण के लिए देश भर में चार नए औद्योगिक पार्कों का निर्माण किया जा रहा है। चिकित्सा उपकरणों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण निर्यात संवर्धन परिषद की भी स्थापना की गई है। एक्सपो में भविष्य मंडप और एक अनुसंधान एवं विकास मंडप होगा और इसमें राज्यों, उद्योगों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों, शिक्षाविदों और अन्वेषकों की भागीदारी होगी।
इस क्षेत्र की पर्याप्त क्षमता का उपयोग करने और भविष्य के मार्ग पर मंथन करने के लिए सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय का फार्मास्यूटिकल्स विभाग 'भारत: 'उपकरण, निदान और डिजिटल का अगला मेडटेक वैश्विक हब' विषय के साथ 'इंडिया मेडटेक एक्सपो' की मेजबानी कर रहा है।
एक्सपो में निम्नलिखित की रहेगी भागीदारी:
एक्सपो में फ्यूचर पवेलियन, अनुसंधान और विकास पवेलियन, स्टार्ट-अप पवेलियन, राज्य पैवेलियन, नियामक पवेलियन और मेक इन इंडिया शोकेस सहित विभिन्न मंडप होंगे।
इसमें 150 से अधिक लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम (एमएसएमई) उद्योग और अंतर्राष्ट्रीय विनिर्माताओं, स्टार्ट-अप, नियामक एजेंसियां, राज्य सरकारों और केंद्रीय विभागों सहित 400 से अधिक भागीदार हिस्सा ले रहे हैं।
एक्सपो के दौरान 7 राज्य - मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और गुजरात मंडप स्थापित कर रहे हैं।
स्टार्ट-अप के लिए एक अलग मंडप भी होगा और इसमें 75 स्टार्ट-अप भाग ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त फार्मास्यूटिकल्स विभाग, गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) और राष्ट्रीय मानक संगठन (बीआईएस) सहित चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लिए 7 नियामक एजेंसियां इसमें भाग ले रही हैं।
तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान विषयगत सम्मेलन सत्र आयोजित किए जाएंगे, इनका उद्देश्य ज्ञान की असीम संभावनाओं का पता लगाना, नवाचारों को प्रेरित करना और विभिन्न देशों की प्रतिभाओं के बीच संबंध ज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में संबंध स्थापित करना है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य है:
चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में नवीनतम प्रगति, चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के व्यवसायियों, विशेषज्ञों और नवप्रवर्तकों को एक मंच पर लाना।
प्रसिद्ध उद्योगपति और विशेषज्ञ चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में वर्तमान रुझानों और संभावनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए अपनी अंतर्दृष्टि और अनुभव साझा करेंगे।
सफल उत्पाद विकास और बाजार पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम नियामक दिशानिर्देशों और अनुपालन आवश्यकताओं पर उद्योगपतियों और नीति निर्माताओं के बीच चर्चा की जाएगी।
चिकित्सा उपकरण विकास, विनियमन और कार्यान्वयन में चुनौतियों और अवसरों के बारे में उद्योग विशेषज्ञों, नियामकों और स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सकों के साथ चर्चा।