भारत ने अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए 4 पायलटों का किया चयन
Utkarsh ClassesLast Updated
07-02-2025
Space
6 min read
भारत ने 27 फरवरी 2024 को अंतरिक्ष में गगनयान मिशन के लिए चार भारतीय पायलटों के नामों की घोषणा की गई। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) की अपनी यात्रा के दौरान उनके नामों की घोषणा की।
भारत के चार 'गगनवीर':
गगनयान मिशन इसरो द्वारा विकसित भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गगनयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है। ये चार भारतीय पायलट इस प्रकार से हैं:
ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर (केरल)
ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन
ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप
विंग कमांडर सुभांशु शुक्ला
पीएम मोदी ने अंतरिक्ष यात्री बनने की चाहत रखने वाले इन चारों पायलटों को बधाई देते हुए उन्हें भारत का गौरव कहा हैं।
गगनयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का लक्ष्य गगनयान मिशन को 2024-2025 में लॉन्च करना है।
2035 में अंतरिक्ष में होगा भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन:
इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि वर्ष 2035 में अंतरिक्ष में भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा। भारतीय अंतरिक्ष यात्री अपने रॉकेट से चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे।
अंतरिक्ष बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन:
पीएम मोदी ने लगभग ₹1,800 करोड़ की तीन महत्वपूर्ण अंतरिक्ष बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया। ये तीन परियोजनाओं में शामिल हैं:
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में 'पीएसएलवी एकीकरण सुविधा'
महेंद्रगिरि में इसरो प्रणोदन परिसर में 'अर्ध-क्रायोजेनिक्स एकीकृत इंजन और चरण परीक्षण सुविधा'
वीएसएससी में 'ट्राइसोनिक पवन सुरंग'
अंतरिक्ष बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से होने वाले लाभ:
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में पीएसएलवी एकीकरण सुविधा पीएसएलवी प्रक्षेपण की आवृत्ति को प्रति वर्ष छह से बढ़ाकर 15 करने में मदद करेगी।
यह अत्याधुनिक सुविधा एसएसएलवी और निजी अंतरिक्ष कंपनियों द्वारा डिजाइन किए गए अन्य छोटे प्रक्षेपण वाहनों के प्रक्षेपण को भी पूरा कर सकती है।
चारों 'गगनवीर' की रूस में दी गई कड़ी ट्रेनिंग:
गगनयान स्पेस मिशन के लिए एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग रूस में होना बताता है कि ये काफी कड़ी ट्रेनिंग थी। अंतरिक्ष यात्रियों को हर परिस्थिति के लिए तैयार किया गया। रूस की एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग इस तरह की ट्रेनिंग के लिए विश्व-प्रसिद्ध है।
अंतरिक्ष यात्रियों को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की कठिन ट्रेनिंग दी गई। यह अंतरिक्ष में रहने और काम करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए जरूरी है। यह ट्रेनिंग जीरो ग्रैविटी की स्थिति में शारीरिक संतुलन और सहनशीलता को मजबूत करती है।
ट्रेनिंग के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को खास विमानों में जीरो-ग्रेविटी का अनुभव कराया जाता है ताकि वे अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी के प्रभाव को समझ सकें।
इसमें एस्ट्रोनॉट्स को विभिन्न मिशन सिनेरियो के लिए तैयार किया जाता है, जैसे कि लॉन्च, डॉकिंग, और अंतरिक्ष में चलना। यह ट्रेनिंग उन्हें वास्तविक मिशन के लिए मानसिक रूप से तैयार करती है।
गगनयान मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों को शारीरिक और मानसिक ट्रेनिंग के साथ तकनीकी और वैज्ञानिक ट्रेनिंग भी दी गई है। एस्ट्रोनॉट्स को स्पेसक्राफ्ट के ऑपरेशन, अंतरिक्ष यान की मरम्मत, और वैज्ञानिक प्रयोगों को चलाने की ट्रेनिंग दी गई है।
यह ट्रेनिंग एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में आपातकालीन स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार करती है। जैसे कि अग्निशमन, आपातकालीन निकासी, और जीवनरक्षक प्रणालियों के उपयोग, आदि का सामना करने के लिए तैयार करती है।
गगनयान मिशन के बारे में:
इस मिशन के तहत 4 चालक दल के सदस्यों को 400 किलोमीटर की कक्षा में पहुँचाना है।
ये 4 चालक दल तीन दिनों तक मिशन पर रहेंगे तत्पश्चात उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है।
इसरो ने इस मिशन की टेस्टिंग पिछले साल की थी। वहीं हाल में इसरो ने इसके क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग की। इस मिशन में ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर (HSFC) का विशेष योगदान है।
चंद्रयान 3 और आदित्य एल-1 की सफलता के बाद ये गगनयान मिशन इसरो को और बुलंदियों पर पहुंचाएगा। पीएम मोदी ने जब 2018 में भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान की घोषणा की थी।
गगनयान मिशन कब होगा लॉन्च?
इसरो के गगनयान मिशन अगले वर्ष 2025 तक लॉन्च होगा। हालांकि इसके शुरुआती चरणों को इसी वर्ष यानी 2024 तक पूरा किया जा सकता है।
इसमें दो मानवरहित मिशन को अंतरिक्ष में भेजना शामिल है। जब ये मिशन सफल होंगे उसके बाद ही एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
FAQ
उत्तर : चार
उत्तर : 2035 में अंतरिक्ष में होगा भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन
उत्तर : पीएम मोदी ने लगभग ₹1,800 करोड़ की तीन महत्वपूर्ण अंतरिक्ष बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया।
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