भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने समुद्र/महासागरों में प्लास्टिक के कचरे (समुद्री प्लास्टिक कूड़े) से होने वाले प्रदूषण से निपटने और कचरे को हरित हाइड्रोजन में परिवर्तित करने के लिए नवाचार समाधान विकसित करने के लिए दो शोध परियोजनाएं शुरू की हैं। ये पहल भारत यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद के तहत शुरू की गई है।
दोनों परियोजनाओं में भारत और यूरोपीय संघ द्वारा संयुक्त रूप से कुल निवेश 391 करोड़ रुपये या 41 मिलियन यूरो होगा।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और यूरोपीय संघ का होराइजन यूरोप संयुक्त रूप से प्लास्टिक कूड़ा परियोजना को वित्तपोषित करेगा।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय 90 करोड़ रुपये या 9.3 मिलियन यूरो का निवेश करेगा जबकि होराइजन यूरोप 115 करोड़ रुपये या 12 मिलियन यूरो का निवेश करेगा।
परियोजना का उद्देश्य
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और यूरोपीय संघ का होराइजन यूरोप संयुक्त रूप से इस परियोजना को वित्तपोषित करेंगे।
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय 90 करोड़ रुपये या 9.3 मिलियन यूरो का निवेश करेगा और होराइजन यूरोप 96 करोड़ रुपये या 9.3 मिलियन यूरो का निवेश करेगा।
परियोजना का उद्देश्य
भारत-यूरोपीय संघ (ईयू) व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद की घोषणा अप्रैल 2022 में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन की भारत यात्रा के दौरान की गई थी।
इसका शुभारंभ फरवरी 2023 को किया गया था।
भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा देश था जिसके साथ यूरोपीय संघ ने इस तरह के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद में तीन कार्य समूह हैं जो निम्न पर ध्यान केंद्रित करते हैं:
यूरोपीय संघ 27 यूरोपीय देशों का एक समूह है।
यह 1 नवंबर 1993 को अस्तित्व में आया जब 1992 की मास्ट्रिच संधि लागू हुई।
सदस्य: 27 देश
मुख्यालय: ब्रुसेल्स (बेल्जियम)