22 अप्रैल 2024 को प्रकाशित स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश था। 2023 में सिपरी के अनुसार भारत का सैन्य खर्च 83.6 बिलियन डॉलर था। 2022 में भी भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश था।
भारत सरकार ने हाल के वर्षों में अपने सैन्य खर्च में वृद्धि की है। 2024-25 के अंतरिम केंद्रीय बजट में भारत सरकार ने रक्षा खर्च के लिए 6.21 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं । रक्षा पर यह आवंटन पिछले वित्तीय वर्ष के संशोधित अनुमान से थोड़ा (0.37%) कम था।
2024-25 में रक्षा के लिए आवंटन भारत की जीडीपी का 1.89% है।
भारतीय रक्षा खर्च में बढ़ोतरी का मुख्य कारण चीन के साथ चल रहे तनावपूर्ण संबंध और सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने की सरकार की नीति है।
मई 2020 में चीनी सैनिकों के साथ गलवान में झड़प के बाद से भारत ने चीनी सीमा पर बुनियादी ढांचे के निर्माण को प्राथमिकता दी है। सरकार ने रॉकेट, मिसाइल, लड़ाकू विमान, तोपखाने, नौसेना के युद्धपोतों आदि से लैस करके सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
सिपरी के अनुसार, 2023 में कुल वैश्विक सैन्य व्यय 6.8% बढ़कर 2443 बिलियन डॉलर हो गया है । यह 2009 के बाद से वैश्विक सैन्य व्यय में सबसे अधिक वार्षिक प्रतिशत वृद्धि थी।
वैश्विक शांति और सुरक्षा में गिरावट के कारण दुनिया के सभी क्षेत्रों में सैन्य खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
सैन्य व्यय में वृद्धि विशेष रूप से यूरोप, एशिया और ओशिनिया और मध्य पूर्व (पश्चिम एशिया) में अधिक देखी गई।
चीनी सैन्य बजट में तेज वृद्धि के कारण , प्रतिक्रियास्वरूप भारत, जापान, ताइवान के रक्षा बजट में भी वृद्धि हुई है। यूक्रेन में युद्ध के कारण यूरोप का सैन्य खर्च बढ़ गया है।
2023 में सिपरी के अनुसार दुनिया में शीर्ष सैन्य खर्च करने वाले निम्नलिखित देश थे।
(10) जापान- $50.32 बिलियन
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) एक शोध संस्थान है जिसे 1966 में स्टॉकहोम, स्वीडन में स्थापित किया गया था। इसके अनुसंधान का मुख्य क्षेत्र वैश्विक या क्षेत्रीय संघर्ष, हथियार, हथियार नियंत्रण और निरस्त्रीकरण है।
मुख्यालय: स्टॉकहोम, स्वीडन