वसंत उत्सव/नए साल के त्योहार वैसाखी, विशु, बिशुब, बहाग बिहू, पोइला बोइशाख, वैशाखड़ी और पुथंडु त्योहार 13-14 अप्रैल 2024 को देश के विभिन्न हिस्सों में मनाए जा रहे हैं। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन त्योहारों के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं।
वैसाखी या बैसाखी त्यौहार
- वैसाखी या बैशाखी त्यौहार उत्तर भारत, विशेषकर पंजाब में मनाया जाता है। जम्मू में इसे बसोआ के नाम से भी जाना जाता है।
- उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में, वैशाखी रबी कृषि मौसम के फसल की कटाई, विशेष रूप से गेहूं की फसलों की कटाई के शुरुआत का प्रतीक है। यह सौर नव वर्ष जिसका पहला महीना वैसाख होता है की शुरुआत का भी प्रतीक है।
- यह त्योहार सिख समुदाय के लिए भी महत्व रखता है। 1699 में वैसाखी दिवस (30 मार्च) को, 10वें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंहजी ने पांच सिखों जिन्हें पंज प्यारे या 'प्रिय पांच' के नाम से भी जाना जाता है को अमृत देकर खालसा पंथ की स्थापना की ।
- त्यौहार के दौरान पंजाब में, पुरुष भांगड़ा , महिलाएं गिद्धा ,पारंपरिक लोक गीतों और ढोल पर नृत्य करती हैं।
- सिख पुरुष पारंपरिक मार्शल नृत्य, गटका भी करते हैं।
विशु महोत्सव
- विशु केरल और तमिलनाडु के मलयाली भाषी क्षेत्र में मनाया जाता है।
- यह मलयाली नव वर्ष का पहला दिन है। मलयालम पंचांग के अनुसार, पहला महीना चिंगम है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अगस्त-सितंबर महीने के अनुरूप है।
- विशु मलयाली ज्योतिषीय पंचांग की शुरुआत के पहले दिन को संदर्भित करता है। विशु, मलयाली पंचांग मेडम महीने के पहले दिन पड़ता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 14 या 15 अप्रैल को होता है।
- संस्कृत में विशु का अर्थ समान होता है। यह वसंत विषुव को संदर्भित करता है जब सूर्य सीधे भूमध्य रेखा के ऊपर होता है और पृथ्वी पर दिन और रात बराबर होते हैं।
- खगोलीय रूप से, वसंत विषुव मार्च के अंत में पड़ता है। विशु त्योहार, जो वसंत विषुव का जश्न मनाता है, मलयाली कैलेंडर के मेदम महीने के पहले दिन पड़ता है।
- 2024 में विशु उत्सव 14 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा।
पुथंडु महोत्सव
- पुथंडु उत्सव तमिलनाडु और श्रीलंका के कुछ हिस्सों में तमिल नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। यह वसंत विषुव के साथ मेल खाता है और तमिल पंचांग के पहले महीने चित्राई के प्रथम दिन में मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अप्रैल महीने में आता है।
- इस साल यह 14 अप्रैल को मनाया जाएगा।
- इस दिन लोग अपने घरों के प्रवेश द्वारों को कोलम से विस्तृत रूप से सजाते हैं तथा घरों में दावतों के साथ मनाया जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि इस दिन, भगवान शिव ने अपना ब्रह्मांडीय नृत्य किया था, जिसे तांडव के नाम से जाना जाता है और इससे सृष्टि की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
पोइला बैशाख
- पोइला बैशाख बंगाली नव वर्ष का पहला दिन है। इस वर्ष, यह 14 अप्रैल, बोइशाख महीने के पहले दिन मनाया जाएगा।
- पोलिया बैशाख के शुरुवात का श्रेय मुगल सम्राट अकबर को दिया जाता है। सम्राट अकबर ने बंगाल में फसली सैन नामक एक नई राजस्व प्रणाली शुरू की जिसके अनुसार किसानों से सौर कैलेंडर के अनुसार कर वसूल किया जाना था।
- अकबर ने पोइला बैशाख को आधिकारिक बंगाली नव वर्ष दिवस और इस दिन को किसानों से कर एकत्र करने का दिन भी घोषित कर दिया था।
- अब, यह दिन एक नई शुरुआत और आशावाद के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
बोहाग बिहु
- बिहू असम का त्योहार है जो साल में तीन बार मनाया जाता है।
- इसे 'बोहाग' (बैसाख, मध्य अप्रैल) के महीने में बोहाग बिहू, 'माघ' (जनवरी के मध्य) के महीने में माघ बिहू और 'कती' (कार्तिक, अक्टूबर के मध्य)) के महीने में कटि बिहू के रूप में मनाया जाता है।
- बोहाग बिहू, जिसे रोंगाली बिहू के नाम से भी जाना जाता है, असमिया नव वर्ष के आगमन और वसंत की शुरुआत का प्रतीक है।
- बोहाग बिहू का पहला दिन गोरू बिहू के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने बैलों और गायों को हल्दी से नहलाते हैं और उन्हें लौकी और बैंगन खिलाते हैं।
- रोंगाली बिहू उत्सव का दूसरा दिन वास्तव में असमिया नव वर्ष का पहला दिन होता है। इसे मनुह बिहू कहा जाता है।
- बोहाग बिहू के अवसर पर लोग नए कपड़े पहनते हैं और हर घर में दावत के लिए विशेष व्यंजन तैयार किए जाते हैं।
- लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को मानद सम्मान के रूप में हाथ से बुने हुए स्कार्फ 'गामुचा' उपहार में देते हैं।