भारतीय वायु सेना (आईएएफ़ ) ने बहुराष्ट्रीय रेड फ्लैग 24-2 अभ्यास में भाग लेने के लिए अपने सबसे उन्नत लड़ाकू विमान, राफेल को संयुक्त राज्य अमेरिका के अलास्का के एइलसन एयर फोर्स बेस पर उतारा है। रेड फ्लैग-अलास्का 24-2 ,दो सप्ताह का सैन्य अभ्यास है जो 30 मई 2024 से शुरू होकर 14 जून 2024 को समाप्त होगा।
संयुक्त राज्य वायु सेना के अनुसार, रेड फ्लैग-अलास्का 24-2 में भाग लेने वाले चार देशों के 100 से अधिक विमानों का समर्थन करने के लिए लगभग 3100 कर्मियों को तैनात किया जाएगा।
रेड फ्लैग अभ्यास 1975 में वियतनाम युद्ध के बाद संयुक्त राज्य वायु सेना द्वारा शुरू किया गया था। रेड फ्लैग अलास्का को शुरू में कोप थंडर के नाम से जाना जाता था और यह क्लार्क एयर बेस फिलीपींस में स्थित था। बाद में 2006 में इसका नाम बदलकर रेड फ्लैग अलास्का कर दिया गया और इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के एइल्सन एयर फ़ोर्स बेस में स्थानांतरित कर दिया गया।
रेड फ्लैग अलास्का का संचालन यूनाइटेड स्टेट्स इंडो-पैसिफिक कमांड के एयर कंपोनेंट कमांड, पैसिफिक एयर फोर्सेज द्वारा किया जाता है।
संयुक्त राज्य वायु सेना एक वर्ष में रेड फ्लैग नाम से कई सैन्य अभ्यास आयोजित करती है। 2024 में पहले रेड फ़्लैग अभ्यास को 24-1 कहा जाता है। रेड फाल्ग 24-1 ,साल का पहला अभ्यास विशेष रूप से संयुक्त राज्य वायु सेना के लिए ही होता है । साल के दूसरे अभ्यास में वह मित्र देशों और अपने सहयोगियों को आमंत्रित करता है।
प्रत्येक रेड फाल्ग-अलास्का अभ्यास एक बहु-मंच समन्वित युद्ध संचालन अभ्यास है जिसे युद्ध की स्थिति में भाग लेने वाली इकाइयों की परिचालन क्षमता का परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
भारतीय वायु सेना ने आठ राफेल लड़ाकू विमान, आईएल-78 मध्य हवा में ईंधन भरने वाले विमान और सी-17 ग्लोबमास्टर परिवहन विमान को एइल्सन वायु सेना बेस पर भेजा है। भारतीय वायुसेना कुछ सबसे उन्नत अमेरिकी लड़ाकू विमानों के खिलाफ हवाई युद्ध अभ्यास में भाग लेगी।
अमरीकी वायु सेना की ईल्सन एयर फ़ोर्स बेस में एफ़-16 फाल्कन लड़ाकू विमान और संयुक्त राज्य वायु सेना की एफ़ -35 की दो इकाइयाँ तैनात होती हैं।
एफ़-16 दुनिया में सबसे लोकप्रिय और तैनात लड़ाकू विमानों में से एक है, और एफ़-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान दुनिया का सबसे अच्छा लड़ाकू विमान माना जाता है।
सर्वोत्तम लड़ाकू विमानों और हथियार प्रणालियों में से एक वायु सेना के साथ प्रशिक्षण करने से भारतीय वायुसेना को बहुमूल्य अनुभव प्राप्त होगा।
यह पहली बार है जब भारतीय वायु सेना की राफेल विमान एफ़ -35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों के साथ प्रशिक्षण करेगा ।
चीन के जे-20 से निपटने के लिए बहुमूल्य अनुभव
यह भारतीय वायुसेना के लिए एक बहुमूल्य अनुभव होगा क्योंकि चीन के पास जे-20 लड़ाकू विमान है। चीनियों का दावा है कि जे-20 विमान एफ़ -35 विमानों के समान श्रेणी के हैं। चीन अक्सर भारतीय सीमा पर, खासकर लद्दाख में, जे-20 को तैनात करता रहा है। यह बताया जाता है कि जून 2020 में भारतीय और चीनी सेना के बीच गलवान सीमा पर झड़प के दौरान चीन ने इस क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की तैनाती का मुकाबला करने के लिए अपने जे-20 विमानों को तैनात किया था। बहविष्य में चीन के साथ युद्ध की परिस्थिति में भारतीय वायु सेना को जे-20 से मुकाबला करना पड़ेगा और भारत के पास कोई भी स्टील्थ लड़ाकू विमान नहीं है।