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महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का प्रकोप: मुंबई में पहली मौत

Utkarsh Classes Last Updated 13-02-2025
Guillain-Barré syndrome outbreak in Maharashtra: 1st  death in Mumbai Health and Disease 3 min read

दुर्लभ गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के कारण पहली मौत, 12 फरवरी 2025 को मुंबई में दर्ज की गई।  वीएन देसाई अस्पताल के 53 वर्षीय कर्मचारी की मुंबई के एक अस्पताल में इस बीमारी के कारण मौत हो गई।

महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से मरने वालों की कुल संख्या अब 8 हो गई है।  

महाराष्ट्र में पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों की संख्या सबसे अधिक है। अब तक पुणे से सिंड्रोम के कम से कम 172 पुष्ट मामले और इसके कारण सात मौतों की पुष्टि हुई है।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के बारे में

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें पीड़ित व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली व्यक्ति की परिधीय तंत्रिकाओं पर हमला करती है।
  • यह रोग शरीर की उन नसों को प्रभावित करता है जो मांसपेशियों की गति को नियंत्रित करती हैं और जो दर्द, तापमान और स्पर्श संवेदनाओं को संचारित करती हैं। 
  • रोगी मांसपेशियों में कमजोरी, पैरों और/या बांहों में संवेदना की हानि और निगलने या सांस लेने में समस्याओं से पीड़ित हो सकता है।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का कारण

डबल्यूएचओ  के अनुसार, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का कारण ज्ञात नहीं है। 

इसके वायरस या बैक्टीरिया के कारण होने की संभावना है। 

दुर्लभ मामलों में, टीकाकरण या सर्जरी से लोगों में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम होने का खतरा बढ़ सकता है।

लक्षण एवं मृत्यु 

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम आम तौर पर घातक नहीं होता है और अधिकांश रोगी दीर्घकालिक तंत्रिका संबंधी विकारों के बिना ठीक हो जाते हैं।

  • प्रारंभ में, रोगी को पैर में झुनझुनी या कमजोरी का अनुभव होता है जो धीरे -धीरे रोगी के बाहों और चेहरे तक फैल जाता है।
  • इससे रोगी के पैर, हाथ या चेहरे की मांसपेशियों में पक्षाघात हो सकता है।
  • कुछ मरीज़ जिनकी छाती की मांसपेशियाँ प्रभावित होती हैं, उन्हें साँस लेने में कठिनाई होती है।
  • गंभीर मामलों में, रोगी को निगलने या बोलने में कठिनाई होती है।
  • कुछ मामलों में, सांस लेने को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों के पक्षाघात, रक्त संक्रमण, फेफड़ों के थक्के या हृदय गति रुकने के कारण रोगी की मृत्यु हो सकती है।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का कोई ज्ञात इलाज नहीं है, लेकिन उपचार से गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षणों को सुधारने और इसकी अवधि को कम करने में मदद कर सकता है।

FAQ

उत्तर: महाराष्ट्र और राज्य के पुणे शहर में सबसे ज्यादा मामले और मौतें सामने आई हैं।

उत्तर: यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो व्यक्ति की परिधीय नसों को प्रभावित करती है। यह बीमारी शरीर की उन नसों को प्रभावित करती है जो मांसपेशियों की गति को नियंत्रित करती हैं और जो दर्द, तापमान और स्पर्श संवेदनाओं को प्रसारित करती हैं।

उत्तर: यह ज्ञात नहीं है और डबल्यूएचओ के अनुसार यह संभवतः बैक्टीरिया या वायरस के कारण होता है।
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