केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अंतरिक्ष क्षेत्र में नए उदार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियम को अधिसूचित कर दिया है । केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी और विदेशी निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए फरवरी 2024 में उदारीकृत एफडीआई नीति को मंजूरी दी थी जिसे अब अधिसूचित किया गया है। सरकार ने अमेरिकी अरबपति व्यवसायी एलोन मस्क की भारत यात्रा की पूर्व संध्या पर अंतरिक्ष क्षेत्र में इस नई एफडीआई नीति को अधिसूचित किया है ।
एलोन मस्क, जो शीघ्र ही भारत का दौरा करेंगे, अपनी स्टारलिंक कंपनी,जो उपग्रह-आधारित इंटरनेट सेवा प्रदान करती है के माध्यम से भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश करने के इच्छुक हैं। एलोन मस्क के भारतीय अंतरिक्ष स्टार्ट-अप कंपनियों से मिलने की संभावना है, जिससे मस्क की कंपनी के द्वारा अन्तरिक्ष क्षेत्र में विदेशी निवेश की प्रबल संभावना है।
अंतरिक्ष क्षेत्र में अधिसूचित एफडीआई, निम्नलिखित क्षेत्रों में एफ़डीआई की अनुमति देता है:
उपग्रह निर्माण और डेटा उत्पादों में स्वचालित मार्गों के तहत 74 प्रतिशत,
उपग्रह प्रक्षेपण यानों और अंतरिक्षयानों के लिए 49 प्रतिशत, और
अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए आवश्यक घटकों के निर्माण के लिए 100 प्रतिशत।
15 अगस्त 1969 को अपनी स्थापना के बाद से भारतीय अंतरिक्ष मिशन का नेतृत्व सरकार के स्वामित्व वाले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा किया गया है।
इसरो को अपने उत्कृष्ट संचार और मौसम संबंधी उपग्रहों के लिए दुनिया भर में मान्यता मिली है। इसने अंतरिक्ष अन्वेषण में भी कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जिसमें चंद्रयान -3 मिशन के माध्यम से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनना भी शामिल है।
भारत सरकार वैश्विक उपग्रह प्रक्षेपण व्यवसाय में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती है। वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी लगभग 2 से 3 प्रतिशत है। सरकार की योजना 2030 तक इसे बढ़ाकर 10 प्रतिशत से अधिक करने की है।
इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) ने अगले 10 वर्षों में 22 बिलियन डॉलर के निवेश का अनुमान लगाया है।
राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीति 2023 ने इसरो की नई भूमिका को परिभाषित किया। इसरो का मुख्य कार्य अब अंतरिक्ष क्षेत्र में अनुसंधान और विकास पर केन्द्रित रहेगा। अन्तरिक्ष के अन्य क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी की बढ़ने की संभावना है।
निजी क्षेत्र, 2030 तक वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के 10 प्रतिशत हिस्से पर साझेदारी करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए निवेश करेगा।
इस लक्ष्य को हासिल करने और निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एफडीआई को उदार बना दिया है।
'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) शब्द को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) 1999 में परिभाषित किया गया है।
एफडीआई का अर्थ भारत के बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा पूंजीगत उपकरणों के माध्यम से किसी एक
(i) असूचीबद्ध भारतीय कंपनी में; या
(ii) किसी सूचीबद्ध भारतीय कंपनी की चुकता इक्विटी पूंजी के दस प्रतिशत या अधिक के निवेश से है
इस प्रकार, 49 प्रतिशत एफडीआई का मतलब है कि विदेशी निवासी भारतीय कंपनी में अधिकतम 49 प्रतिशत इक्विटी शेयर रख सकता है।
भारत में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां अभी भी एफडीआई की अनुमति नहीं है। वे हैं:
(i) लॉटरी व्यवसाय,
(ii) जुआ और सट्टेबाजी, कैसीनो आदि ,
(iii) चिट फंड,
(iv) निधि कंपनी,
(v)हस्तांतरणीय विकास अधिकार (टीडीआर) में व्यापार,
(vi) रियल एस्टेट व्यवसाय या फार्म हाउसों का निर्माण, 'रियल एस्टेट व्यवसायों में टाउनशिप का विकास, आवासीय / वाणिज्यिक परिसर, सड़कों या पुलों का निर्माण और सेबी (आरईआईटी) विनियम 2014 के तहत पंजीकृत और विनियमित रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (आरईआईटी) शामिल नहीं होंगे।
(vii) सिगार, चेरूट, सिगारिलो और सिगरेट, तम्बाकू या तम्बाकू के विकल्प का विनिर्माण
(viii) गतिविधियाँ/क्षेत्र जो निजी क्षेत्र के निवेश के लिए खुले नहीं हैं जैसे (क) परमाणु ऊर्जा और (ख) रेलवे संचालन (अनुमत गतिविधियों के अलावा)।
(ix) लॉटरी व्यवसाय, जुआ और सट्टेबाजी गतिविधियों के लिए फ्रेंचाइजी, ट्रेडमार्क, ब्रांड नाम, प्रबंधन अनुबंध के लिए लाइसेंसिंग सहित किसी भी रूप में विदेशी प्रौद्योगिकी सहयोग भी निषिद्ध है।