कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा पर 8.25% की ब्याज दर की सिफारिश की है। पिछले साल ईपीएफ पर ब्याज दर 8.25 फीसदी थी।
ब्याज दर को अपरिवर्तित रखने का निर्णय 28 फरवरी 2025 को नई दिल्ली में आयोजित ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की 237वीं बैठक में लिया गया।
प्रस्ताव अब केंद्रीय वित्त मंत्रालय के पास जाएगा और अगर इसे मंजूरी मिल जाती है, तो ईपीएफओ द्वारा ईपीएफ ग्राहकों के खाते में यह ब्याज राशि जमा कर दी जाएगी।
ईपीएफओ बैठक की अध्यक्षता किसने की
ईपीएफओ केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
ईपीएफओ बैठक के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की 237वीं बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय श्रम एवं रोजगार और युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने की।
ईडीएलआई योजना के तहत बीमा लाभ में वृद्धि
- बैठक में कर्मचारी जमा लिंक्ड बीमा (ईडीएलआई) योजना के तहत बीमा लाभ में वृद्धि को भी मंजूरी दी गई।
- अगर किसी ईपीएफ ग्राहक की एक वर्ष की निरंतर सेवा पूरी किए बिना मृत्यु हो जाती है, उसके परिवार को 50,000 रुपये का न्यूनतम जीवन बीमा कवरेज मिलेगा।
- गैर-अंशदायी अवधि के बाद सेवा के दौरान मरने वाले सदस्यों को भी अब बीमा लाभ प्रदान किया जाएगा।
ईपीएफओ और उसकी योजनों के बारे में
- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की स्थापना 15 नवंबर 1951 को की गई थी।
- इसे कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम 1952 के प्रावधान के तहत 1952 में एक वैधानिक निकाय बनाया गया था।
- यह जम्मू-कश्मीर सहित पूरे भारत में लागू है।
- यह केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) का केंद्रीय न्यासी बोर्ड ईपीएफओ की योजना का प्रबंधन करता है।
- केंद्रीय बोर्ड में केंद्र राज्य सरकार, नियोक्ता और कर्मचारियों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
- केंद्रीय बोर्ड ईपीएफ, ईपीएस और ईडीएलआई योजना का प्रबंधन करता है।
कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ़ )के बारे में
- यह 18-54 वर्ष की आयु के और संगठित क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारी के लिए लागू है।
- श्रमिक का अधिकतम वेतन 15,000 रुपये होगा।
- 20 से कम श्रमिकों वाले उद्यमों में नियोक्ता का योगदान मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10% होगा। इतनी ही राशि कर्मचारी के खाते से काट ली जाएगी।
- 20 या अधिक श्रमिकों वाले उद्यमों के लिए,नियोक्ता का योगदान मूल वेतन + महंगाई भत्ते का 12% होगा और इतनी ही राशि कर्मचारी के खाते से काट ली जाएगी।
- ईपीएफओ इन राशियों पर ब्याज देगा और सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी को एकमुश्त भुगतान और पेंशन की सुविधा मिलेगी।
- ईपीएफ में विशिष्ट कारणों से आंशिक निकासी की अनुमति है।
ईपीएफ में कर्मचारी के 12% योगदान में से, 8.33% ईपीएस को आवंटित किया जाता है, 3.67% ईपीएफ को जाता है, और 0.50% ईडीएलआई खाते में जाता है।
कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस)
- इसे ईपीएफओ द्वारा 1995 में पेश किया गया था।
- यह ईपीएफ के अंदर आने वाले कर्मचारी के लिए है।
- सेवा-निवृत्ति के बाद कर्मचारी को पेंशन मिलती है।
कर्मचारी जमा लिंक्ड बीमा योजना (ईडीएलआई)
- इसे 1976 में शुरू किया गया था।
- यह ईपीएफ के अंदर आने वाले कर्मचारी को टर्म लाइफ इंश्योरेंस कवर प्रदान करता है।
- यदि ईडीएलआई योजना का सदस्य रहते हुए कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उनके परिवार के सदस्यों को एकमुश्त राशि का भुगतान किया जाता है।