प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने रक्षा, अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत के लिए एक वर्ष का विस्तार को मंजूरी दे दी है।
डॉ. समीर कामत 31 मई 2024 को सेवानिवृत्त होने वाले थे लेकिन अब उनका कार्यकाल 31 मई 2025 तक बढ़ा दिया गया है।
डॉ. कामत को यह विस्तार सरकार द्वारा एक असामान्य कदम के तहत सेना प्रमुख मनोज पांडे को एक महीने का विस्तार देने के बाद दिया गया है।
शायद डॉ. कामत का अनुबंध बढ़ाने का मुख्य कारण डीआरडीओ में लागू की जा रही सुधार प्रक्रिया की निरंतरता सुनिश्चित करना है।
भारत सरकार ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में सुधार के लिए पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफ़ेसर. के. विजय राघवन की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय पैनल का गठन किया था ।
पैनल ने अपनी रिपोर्ट प्रधान मंत्री कार्यालय को सौंप दी है जिसमे उसने डीआरडीओ को एक कुशल और चुस्त संस्थान बनाने, डीआरडीओ परियोजनाओं में देरी से बचने, परियोजनाओं और वैज्ञानिकों का मूल्यांकन करने और रक्षा प्रौद्योगिकियों में उद्योग और अकादमिक भागीदारी को अधिकतम करने के लिए व्यापक सुधारों का सुझाव दिया है ।
भारत सरकार ने राघवन पैनल की रिपोर्ट को लागू करने के लिए 31 अगस्त 2024 की समय सीमा तय की है।
इस उद्देश्य के लिए भारत सरकार ने एक पर्यवेक्षण समिति की स्थापना की है, जिसके अध्यक्ष डॉ. कामत हैं और इसमें डीआरडीओ के दो अन्य वरिष्ठ महानिदेशक शामिल हैं।
डीआरडीओ में चल रही सुधार प्रक्रिया में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने डॉ. कामत का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया है।
डॉ. समीर कामत आईआईटी खड़गपुर और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, अमरीका के छात्र हैं। 1989 में, वह डीआरडीओ में शामिल हुए, और 25 अगस्त 2022 को उन्हें डीआरडीओ के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। जो भी डीआरडीओ का अध्यक्ष होता है, वह स्वतः रक्षा, अनुसंधान और विकास विभाग का सचिव भी होता है।\
वह आईआईटी खड़गपुर से प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार, इस्पात मंत्रालय से मेटलर्जिस्ट ऑफ द ईयर पुरस्कार और डीआरडीओ से वर्ष के वैज्ञानिक पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की स्थापना भारत सरकार द्वारा 1958 में केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के तहत की गई थी। डीआरडीओ भारत का प्रमुख रक्षा अनुसंधान और विकास निकाय है जो भारतीय सशस्त्र बलों के लिए अत्याधुनिक रक्षा तकनीक विकसित करता है।