भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने चेतावनी जारी की है कि बंगाल की खाड़ी में बन रहे निम्न दबाव क्षेत्र,एक गंभीर चक्रवाती तूफान रेमल में बदल गया है। रेमल चक्रवात के कारण 100-120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की उम्मीद है, जिससे पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश और गरज के साथ बारिश होगी। चक्रवात रेमल बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में विकसित होने वाला इस मौसम का पहला चक्रवात है। चक्रवात का नाम रेमल ओमान ने दिया है जिसका अरबी में मतलब रेत होता है।
भारत में मई-जून और अक्टूबर-नवंबर के महीनों के दौरान उष्णकटिबंधीय चक्रवात काफी आम हैं।
आईएमडी के अनुसार, चक्रवात रेमल के 26 मई की आधी रात को पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप समूह और बांग्लादेश के खेपुपारा के बीच लैंडफॉल (टकराने) की उम्मीद है।
आईएमडी ने लैंडफॉल के दौरान आसपास के क्षेत्र में तेज हवा और भारी बारिश होने की चेतवानी दी है।
लैंडफॉल : उष्णकटिबंधीय चक्रवात समुद्र में उत्पन्न होते हैं और भूमि की ओर बढ़ते हैं। जब उष्णकटिबंधीय तूफान चक्रवात का केंद्र भूमि पर आता है, तो इसे लैंडफॉल कहा जाता है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात से अधिकांश मौतें और विनाश लैंडफॉल के दौरान होता है। इस दौरान चक्रवात की हवा की गति अपने चरम पर होती है, जिससे समुद्र में मजबूत लहरें पैदा होती हैं, और भूमि पर भारी बारिश होती है जिससे बड़े पैमाने पर बाढ़ आती है।
आईएमडी के अनुसार, चक्रवात के कारण पश्चिम बंगाल के कोलकाता, दक्षिण और उत्तर 24 परगना, पूर्व मेदिनीपुर और हावड़ा जिलों में भारी वर्षा होगी।
उत्तर और दक्षिण ओडिशा, मिजोरम, त्रिपुरा, दक्षिण मणिपुर, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में हल्की से मध्यम वर्षा होने की उम्मीद है।
चक्रवात शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द 'साइक्लोस' से हुई है, जिसका अर्थ है 'सांप का लिपटना' है । चक्रवात शब्द हेनरी पिडिंगटन द्वारा गढ़ा गया था जो ब्रिटिश शासन के दौरान कोलकाता में एक प्रतिवेदक के रूप में काम करते थे।
चक्रवात हवाओं की एक बड़ी प्रणाली है जो भूमध्य रेखा के उत्तर में वामावर्त दिशा में और दक्षिण में दक्षिणावर्त दिशा में कम वायुमंडलीय दबाव के केंद्र के चारों ओर घूमती है।
चक्रवात दो प्रकार के होते हैं उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण चक्रवात। उष्णकटिबंधीय चक्रवात मकर और कर्क रेखा के बीच के क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं।
शीतोष्ण, उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले चक्रवातों को शीतोष्ण चक्रवात कहा जाता है।
चक्रवाती हवाएँ विषुवतीय क्षेत्र को छोड़कर विश्व के सभी भागों में पाई जाती हैं।
उत्पत्ति के क्षेत्र के आधार पर, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नाम दिए जाते हैं। इन्हें इस नाम से जाना जाता है:
उष्णकटिबंधीय चक्रवात का नाम विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) और एशिया और प्रशांत के लिए आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र (आरएसएमसी) द्वारा तय किया जाता है।
दुनिया में ऐसे पांच आरएसएमसी हैं।
बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उठने वाले चक्रवात का नामकरण 2004 में शुरू हुआ। ये नाम सदस्य देशों-बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान, थाईलैंड, मालदीव और ओमान द्वारा सुझाए गए हैं।
आरएसएमसी उष्णकटिबंधीय चक्रवात केंद्र ,नई दिल्ली, दी गई सूची से एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात को एक पहचान नाम देता है।