केन्द्रीय कोयला मंत्रालय ने अपने सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमियों (सीपीएसई) को 2027 तक 7,231 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य दिया है।
साथ ही केन्द्रीय कोयला मंत्रालय ने सीपीएसई को कोयला खनन क्षेत्र हेतु शून्य कार्बन उत्सर्जन की योजना का मसौदा तैयार करने की सलाह दी है।
कोयला मंत्रालय के पास कार्बन उत्सर्जन को कम करने और कोयला कंपनियों की भविष्य की स्थिरता दोनों की जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए, देश की नवीकरणीय ऊर्जा आवश्यकताओं में महत्वपूर्ण योगदान देने की महत्वाकांक्षी योजना है।
इसी के तहत सभी सहायक कोयला कंपनियों को निर्धारित कार्यक्रम के भीतर शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है।
तीन वर्ष की कार्य योजना
राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के कोयला उपक्रमों ने विशिष्ट नवीकरणीय लक्ष्यों को रेखांकित करते हुए तीन वर्ष की कार्य योजना सावधानीपूर्वक तैयार की है।
इसके अनुसार, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 3000 मेगावाट और इसकी सहायक कंपनियों और नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) ने 3,731 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की योजना बनाई है।
इस महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य वर्ष 2027 तक 7,231 मेगावाट क्षमता से अधिक की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है।
इसमें मार्च 2023 तक लगभग 1600 मेगावाट नवीकरणीय क्षमता पहले ही तैयार की जा चुकी है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 1,769 मेगावाट का कार्य प्रदान किया गया है।
अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 में 2,553 मेगावाट क्षमता प्राप्त की जानी है।
गुजरात और राजस्थान में बड़े सौर पार्क की स्थापना
सीआईएल और एनएलसीआईएल गुजरात और राजस्थान में बड़े सौर पार्क स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।
सीआईएल ने पहले ही सौर ऊर्जा में अपने पहले उद्यम के लिए गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल), गुजरात को 100 मेगावाट की बिक्री के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है।
1190 मेगावाट के सौर पार्क की स्थापना के लिए राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) के साथ संयुक्त उद्यम में भी प्रवेश किया है।
एनएलसीआईएल ने पहले ही मेसर्स टाटा पावर लिमिटेड को 300 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र का काम सौंप दिया है। एनएलसीआईएल ने गुजरात में स्थापित होने वाले ग्रीन शू विकल्प के तहत एक सौर पार्क और संभावित 300 मेगावाट के एक अन्य सौर पार्क के लिए 300 मेगावाट का टेंडर भी प्राप्त किया है।
सीआईएल और एनएलसीआईएल द्वारा सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना:
सीआईएल और उसकी सहायक कंपनियां सक्रिय रूप से अपनी कोयला रहित भूमि और ओवरबर्डन डंप पर बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर रही हैं।
वे सहायक कोयला कंपनियों के सभी घरों को छत पर सौर सुविधाओं से सुसज्जित कर रहे हैं।
एनएलसीआईएल ने रिहंद जलाशय में 1500 मेगावाट का फ्लोटिंग सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के साथ संयुक्त उद्यम तैयार किया है।
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल)
सीआईएल भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है, जो कोयला मंत्रालय, भारत सरकार के अधीनस्थ है। यह भारत और विश्व में भी सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी है। यह अनुसूची 'ए' ‘नवरत्न’ सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम है।
स्थापना: नवंबर 1975
मुख्यालय: कोलकाता, पश्चिम बंगाल।
अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक: पीएम प्रसाद
नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल)
एनएलसीआईएल, दक्षिणी भारत में तमिलनाडु राज्य के नेवेली और राजस्थान राज्य के बीकानेर जिले के बरसिंगसर में खुली खदानों से सालाना लगभग 30 मिलियन टन लिग्नाइट का उत्पादन करता है।
लिग्नाइट का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए 3240 मेगावाट स्थापित क्षमता के पिथेड थर्मल पावर स्टेशनों में किया जाता है।