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प्रभा वर्मा को मिला 2023 का सरस्वती सम्मान

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
2023 Saraswati Samman for Prabha Verma Award and Honour 6 min read

के के बिड़ला फाउंडेशन ने प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार प्रभा वर्मा को उनके उपन्यास रौद्र सात्विकम के लिए 33वें सरस्वती सम्मान 2023 के लिए चुना गया है। बिड़ला फाउंडेशन के अनुसार, मलयालम भाषा में काव्यात्मक छंद में लिखा गया उपन्यास "रौद्र सात्विकम" सत्ता और राजनीति, व्यक्ति और राज्य, तथा  कला और सत्ता के बीच के संघर्ष की जांच करता है"।  बिड़ला फाउंडेशन के अनुसार "2022 में प्रकाशित रौद्र सात्विकम उपन्यास समय और स्थान की अवधारणा से परे है और  यह रचनात्मक दार्शनिक तरीके से धर्म और अधर्म की दुर्दशा को संबोधित करता है।" 

सरस्वती सम्मान पुरस्कार विजेता का चयन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अर्जन कुमार सीकरी की अध्यक्षता वाली चयन समिति द्वारा किया गया।

प्रभा वर्मा के बारे में

 प्रभा वर्मा का जन्म 1959 में तिरुवल्ला, केरल में हुआ था। वह अंग्रेजी और मलयालम दोनों भाषा में अपनी रचनायें लिखते हैं। उन्होंने 30 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें एक दर्जन कविता संग्रह, पद्य में तीन उपन्यास, समकालीन सामाजिक-राजनीतिक परिवेश और साहित्य पर आठ पुस्तकें और आलोचना में निबंधों के सात संग्रह शामिल हैं।

प्रभा वर्मा की कुछ उल्लेखनीय कृतियाँ- “सौपर्णिका, अर्कपूर्णिमा, श्यामा माधवम, चंदना नाज़ी, आर्द्रम, और कनाल चिलम्बु हैं । वर्मा को केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, केंद्र सरकार का साहित्य अकादमी पुरस्कार और वायलार पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

उन्हें सर्वश्रेष्ठ  फ़िल्म गीत के लिए राज्य और फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिल चुका है। प्रभा वर्मा वर्तमान में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के मीडिया सलाहकार हैं।

सरस्वती सम्मान

  • सरस्वती सम्मान एक वार्षिक पुरस्कार है। यह पिछले 10 वर्षों में प्रकाशित उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को दिया जाता है। यह किसी भारतीय नागरिक द्वारा किसी भी भारतीय भाषा में लिखी गई कृति के लिये उसके लेखक को दिया जाता है।
  • विजेता को 15 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, एक प्रशस्ति पत्र और एक पट्टिका दी जाती है।
  • हरिवंश राय बच्चन को पहला सरस्वती सम्मान 1991 में चार खंडों में प्रकाशित उनकी आत्मकथा, क्या भूलूं क्या याद करूं, नींण का निर्माण फिर, बसेरे से दूर और दशद्वार से सोपान तक के लिए मिला था।
  • 32वां पुरस्कार विजेता शिवशंकरी  को उनकी कृति सूर्या वामसम के लिए मिला था । यह तमिल भाषा में लिखा गया था।

के के बिड़ला फाउंडेशन पुरस्कार

के.के. बिड़ला फाउंडेशन की स्थापना 1991 में प्रसिद्ध उद्योगपति कृष्ण कुमार बिड़ला द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य भारतीय साहित्य को बढ़ावा देना है। पिछले 10 वर्षों में प्रकाशित भारतीय नागरिक की उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को फाउंडेशन द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कारों के लिए चुना जाता  है। के.के.बिड़ला फाउंडेशन द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण पुरस्कार इस प्रकार हैं:

बिहारी पुरस्कार

  • बिहारी पुरस्कार की शुरुआत भी 1991 में के के बिड़ला फाउंडेशन द्वारा की गई थी।
  • यह वार्षिक पुरस्कार किसी राजस्थानी लेखक द्वारा हिंदी या राजस्थानी भाषा में प्रकाशित उत्कृष्ट कृति के लिए दिया जाता है।
  • इसमें 2.5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, एक पट्टिका और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
  • प्रसिद्ध कवि जयसिंह नीरज को उनके काव्य संकलन 'धनी का आदमी' के लिए 1991 में उन्हें प्रथम बिहारी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • 32वां बिहारी पुरस्कार 2022 डॉ. माधव हरदा को उनकी पुस्तक 'पचरंग चोला पहाड़ सखी री' के लिए प्रदान किया गया।

व्यास सम्मान

  • यह किसी भारतीय नागरिक द्वारा लिखित और पिछले 10 वर्षों में प्रकाशित हिंदी भाषा  की उत्कृष्ट साहित्यिक कृति के लिए दिया जाता है।
  • इसमें 4 लाख रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
  • राम विलास शर्मा पहले व्यक्ति थे जिन्हें उनकी कृति "भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी" के लिए यह पुरस्कार मिला था।
  • 32वां व्यास सम्मान 2022 ज्ञान चतुर्वेदी को उनके उपन्यास पागलखाना के लिए प्रदान किया गया।

FAQ

उत्तर: प्रभा वर्मा को उनके मलयालम उपन्यास रौद्र सात्विकम के लिए सरस्वती सम्मान 2023 के लिए चुना गया है।

उत्तर: प्रभा वर्मा, इस उपन्यास को 33वें सरस्वती सम्मान 2023 के लिए चुना गया है।

उत्तर: इसमें ₹15 लाख का नकद पुरस्कार, एक पट्टिका और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।

उत्तर: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अर्जन कुमार सीकरी।

उत्तर: हरिवंश राय बच्चन को पहला सरस्वती सम्मान 1991 में उनकी चार खंडों की आत्मकथा, क्या भूलूं क्या याद करूं, नींण का निर्माण फिर, बसेरे से दूर और दशद्वार से सोपान तक के लिए मिला था।

उत्तर: 32वां सरस्वती सम्मान 2022 शिवशंकरी को उनकी कृति सूर्या वंशम के लिए प्रदान किया गया। यह तमिल भाषा में लिखा गया था।
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