के के बिड़ला फाउंडेशन ने प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार प्रभा वर्मा को उनके उपन्यास रौद्र सात्विकम के लिए 33वें सरस्वती सम्मान 2023 के लिए चुना गया है। बिड़ला फाउंडेशन के अनुसार, मलयालम भाषा में काव्यात्मक छंद में लिखा गया उपन्यास "रौद्र सात्विकम" सत्ता और राजनीति, व्यक्ति और राज्य, तथा कला और सत्ता के बीच के संघर्ष की जांच करता है"। बिड़ला फाउंडेशन के अनुसार "2022 में प्रकाशित रौद्र सात्विकम उपन्यास समय और स्थान की अवधारणा से परे है और यह रचनात्मक दार्शनिक तरीके से धर्म और अधर्म की दुर्दशा को संबोधित करता है।"
सरस्वती सम्मान पुरस्कार विजेता का चयन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अर्जन कुमार सीकरी की अध्यक्षता वाली चयन समिति द्वारा किया गया।
प्रभा वर्मा का जन्म 1959 में तिरुवल्ला, केरल में हुआ था। वह अंग्रेजी और मलयालम दोनों भाषा में अपनी रचनायें लिखते हैं। उन्होंने 30 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें एक दर्जन कविता संग्रह, पद्य में तीन उपन्यास, समकालीन सामाजिक-राजनीतिक परिवेश और साहित्य पर आठ पुस्तकें और आलोचना में निबंधों के सात संग्रह शामिल हैं।
प्रभा वर्मा की कुछ उल्लेखनीय कृतियाँ- “सौपर्णिका, अर्कपूर्णिमा, श्यामा माधवम, चंदना नाज़ी, आर्द्रम, और कनाल चिलम्बु हैं । वर्मा को केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, केंद्र सरकार का साहित्य अकादमी पुरस्कार और वायलार पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
उन्हें सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म गीत के लिए राज्य और फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिल चुका है। प्रभा वर्मा वर्तमान में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के मीडिया सलाहकार हैं।
के.के. बिड़ला फाउंडेशन की स्थापना 1991 में प्रसिद्ध उद्योगपति कृष्ण कुमार बिड़ला द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य भारतीय साहित्य को बढ़ावा देना है। पिछले 10 वर्षों में प्रकाशित भारतीय नागरिक की उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को फाउंडेशन द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कारों के लिए चुना जाता है। के.के.बिड़ला फाउंडेशन द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण पुरस्कार इस प्रकार हैं: