शोधकर्ताओं की एक टीम ने राजस्थान के जैसलमेर जिले में भारत के पहले अर्ली क्रेटेशियस शार्क जीवाश्मों की खोज की है। जो लगभग "115 मिलियन वर्ष पुराने हैं"। यह शोध पत्र 18 नवंबर 2023 को ‘हिस्टोरिकल बायोलॉजी, एन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ पेलियोबायोलॉजी’ में ‘फस्ट अर्ली क्रेटेशियस शार्क फ्रॉम इण्डिया’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ था।
इन शोधकर्ताओं द्वारा खोजा गया शार्क का जीवाश्म:
- शोधकर्ताओं की टीम में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), जयपुर से त्रिपर्णा घोष; भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रूड़की के पृथ्वी विज्ञान विभाग से प्रोफेसर सुनील बाजपेयी; जीएसआई, कोलकाता से कृष्ण कुमार और देबाशीष भट्टाचार्य आईआईटी से अभयानंद सिंह मौर्य शामिल थे।
अर्ली क्रेटेशियस, शार्क के लिए महान परिवर्तन का काल था:
- शोधकर्ताओं के अनुसार, अर्ली क्रेटेशियस, शार्क के लिए महान परिवर्तन का काल था, क्योंकि नई प्रजातियाँ विकसित हुईं और कई पुरानी प्रजातियाँ गायब हो गईं।
जैसलमेर बेसिन के हाबूर संरचना से खोजे गए जीवाश्म:
- शोधकर्ताओं के अनुसार, जैसलमेर बेसिन के हाबूर संरचना में कई परतें शामिल हैं, जिनमें निचले हिस्से में भूरे रंग का, कठोर, रेतीला कोक्विनोइडल चूना पत्थर और नारंगी से भूरे रंग का कैलकेरियस बलुआ पत्थर और ऊपरी हिस्से में पीले रंग का एरेनेसियस चूना पत्थर, कैल्केरियस बलुआ पत्थर और रेतीले मार्ल बैंड शामिल हैं।
- हाबूर संरचना कभी-कभार तूफान की घटनाओं के साथ निकट तट के वातावरण का प्रतिनिधित्व करता है; जैसा कि एरेनेसियस चूना पत्थर और कैलकेरियस बलुआ पत्थर के साथ जुड़े अम्मोनी बेड़े से स्पष्ट होता है।
हाबूर संरचना से पाँच शार्क प्रजातियों का पता चला:
- जैसलमेर के कनोई गाँव के पास हाबूर संरचना से पाए गए पृथक दांतों पर आधारित साक्ष्य, पाँच लैम्निफॉर्म जेनेरा- क्रेटालम्ना, ड्वार्डियस, लेप्टोस्टिरैक्स, स्क्वैलिकोरैक्स और इओस्ट्रियाटोलामिया की उपस्थिति स्पष्ट करते हैं कि ये सभी दांतेदार दांतों वाली बड़ी, शिकारी शार्क की प्रजातियां हैं जो क्रेटेशियस काल के दौरान यहाँ पाई जाती थीं।
- जैसलमेर के कनोई गाँव के पास हाबूर संरचना से निकाले गए जीवाश्मों में पृथक नियोसेलाचियन दांत भी शामिल हैं।
ड्वार्डियस और इओस्ट्रियाटोलामिया के रिकॉर्ड सबसे पुराने:
- प्रोफेसर बाजपेयी के अनुसार, ड्वार्डियस और इओस्ट्रियाटोलामिया के रिकॉर्ड संभवतः वैश्विक स्तर पर सबसे पुराने साक्ष्यों में से एक हो सकते हैं।
- इनके जीवाश्म आश्चर्यजनक रूप से लगभग 115 मिलियन वर्ष पुराने हैं। भारत में प्रारंभिक क्रेटेशियस कशेरुकियों के सन्दर्भ में शोधकर्ताओं के पास जानकारी बहुत कम है।
पूर्व में भारत में मेसोज़ोइक लैम्निफॉर्म शार्क की प्रजाति:
- इससे पहले भारत से रिपोर्ट की गई मेसोज़ोइक लैम्निफॉर्म शार्क में क्रेटलम्ना अपेंडिकुलाटा, ड्वार्डियस सुडिंडिकस, स्क्वैलिकोरैक्स एफ़ शामिल थे। जबकि दक्षिणी भारत के कावेरी बेसिन के सेनोमेनियन कराई संरचना से क्रेटोडस लॉन्गिप्लिकैटस के प्रमाण मिले थे।
हाबूर संरचना से प्राप्त जीवाश्मों को एएसआई जयपुर में रखा गया:
- यह संग्रह अब भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (एएसआई), पश्चिमी क्षेत्र, जयपुर के पुरापाषाण विज्ञान प्रभाग में रखा गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार, एप्टियन युग के और 115 मिलियन वर्ष पुराने नमूने वैश्विक स्तर पर जीनस क्रेटालम्ना के सबसे पुराने रिकॉर्डों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो निष्कर्षों की विश्वसनीयता और महत्व को रेखांकित करते हैं।
- शोध पत्र के अनुसार, शोधकर्ताओं की टीम ने न केवल पाँच लैम्निफॉर्म जेनेरा की उपस्थिति का दस्तावेजीकरण किया, बल्कि भारत में अर्ली क्रेटेशियस शार्क के बारे में पूर्व ज्ञान की कमी को भी रेखांकित किया।
जैसलमेर से पूर्व में भी कई समुद्री जीवों के जीवाश्म खोजे गए:
- इससे पूर्व भी भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग ने जैसलमेर में व्हेल का जीवाश्म और शार्क मछली के दांत खोजे थे। यह जीवाश्म मध्य इयोसीन (लुटेशियन) युग के बताए जा रहे हैं जो करीब 4.12 से 4.72 करोड़ वर्ष पुराना माना गया है।
- जैसलमेर से 80 किलोमीटर दूर बांधा गाँव में विशेषज्ञ वैज्ञानिकों को समुद्री जीवों के जीवाश्म और अवशेष मिलना यह साबित करता है कि उस वक्त यहाँ सागर रहा होगा।
आकल लकड़ी जीवाश्म:
- जैसलमेर में पूर्व में 18 करोड़ साल पुराने आकल लकड़ी केे जीवाश्म भी खोजे गए हैं। इन्हें जैसलमेर शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जीवाश्म संग्रहालय में रखा गया है।
इयोसीन युग:
- इयोसीन युग पैलियोजिन युग (6.5 से 2.3 करोड़ वर्ष पूर्व) के मध्यकाल को माना जाता है। इयोसीन युग को तीन (निम्न, मध्य और उच्च) काल में बांटकर देखा जाता है।
- यही वह काल था जिसमें जल और थल पर कई तरह के पक्षी, सरीसृप और स्तनधारी जीव पाए जाते थे। जमीन पर रहने वाले जीवों में घोड़ा, हिरण और सूअर और समुद्री जीवों में शार्क और आदिम व्हेल प्रमुख थी।
- समुद्री व्हेल का जन्म इयोसीन युग से ही माना जाता है। सागर और स्थल से संबंधित कई परिवर्तन इसी काल में हुए।